शीत युद्ध के बाद यूरोप में नाटो का सबसे बड़ा सैन्य अभ्यास
30 साल बाद यूरोप में नाटो और उसके साथियों ने सबसे बड़ा सैन्य अभ्यास किया है. दो महीने लंबी मिलिट्री एक्सरसाइज का मकसद क्या था?
डिफेंडर 23
अमेरिका, उसके नाटो सहयोगी और अन्य पार्टनर देशों के साथ पूरे यूरोप में 22 अप्रैल से 23 जून तक सैन्य अभ्यास चला. आइसलैंड से बाल्टिक सागर तक फैले इस सैन्य अभ्यास के दौरान यूरोप पर हमला होने की स्थिति से निपटने का अभ्यास किया गया.
कितने देश और सैनिक शामिल
डिफेंडर 23 में अमेरिका के 7,000 सैनिक और 20 से ज्यादा देशों के 17,000 से ज्यादा सैनिक शामिल हुए. सैन्य अभ्यास के दौरान हर तरह के इलाके में मिलिट्री एक्सरसाइज की गई.
पूर्वी यूरोप पर मुख्य फोकस
सैन्य अभ्यास, रूस और बेलारूस से सटे पूर्वी यूरोप में खासा केंद्रित रहा. इस दौरान अमेरिका, यूरोप और अफ्रीकी देशों की सेनाओं ने दिखाया कि वे कितनी जल्दी इस इलाके में ऑपरेशन के लिए तैयार हो सकती हैं.
कॉकपिट में चांसलर
डिफेंडर 23 सैन्य अभ्यास में शामिल सभी देशों की वायुसेनाओं ने भी मिलकर आक्रमण, बचाव और कवरिंग का अभ्यास किया. सैन्य अभ्यास में 250 से ज्यादा विमान शामिल थे. इस दौरान जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स भी सैनिकों का मनोबल बढ़ाने पहुंचे.
नागरिक उड़ानों पर असर
लड़ाकू विमानों, ईंधन टैंकरों और बड़े सैन्य विमानों के अभ्यास की वजह से जर्मनी और उसके पड़ोसी देशों में नागरिक यातायात कुछ हद तक प्रभावित हुआ. 12 जून से 23 जून के बीच कई उड़ानों का रूट बदलना पड़ा.
सैन्याभ्यास का मकसद
यूक्रेन युद्ध के कारण यूरोप के कई देश असुरक्षित महसूस करने लगे हैं. बेलारूस में रूसी एटमी हथियारों की तैनाती ने भी तनाव को बढ़ाया है. इन हालातों के बीच नाटो का यह सैन्य अभ्यास यूरोप को आत्मविश्वास दिलाने के लिए था.