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विशाल हाथियों का शिकार कर खा जाते थे निएंडरथाल मानव

३ फ़रवरी २०२३

एक नए अध्ययन ने दावा किया है कि निएंडरथाल मानव बड़े समूहों में आज के हाथियों से तीन गुना ज्यादा विशाल हाथियों का शिकार करते थे. साथ ही आज तक उनके समूहों को जितना बड़ा समझा जाता था, शायद वो उनसे भी बड़े समूहों में रहते थे.

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निएंडरथल मानवों के मॉडल
जर्मनी के एक संग्रहालय में रखे निएंडरथल मानवों के मॉडलतस्वीर: Federico Gambarini/dpa/picture alliance

'साइंस एडवांसेज' पत्रिका में छपे इस नए अध्ययन में शोधकर्ता जिन नतीजों पर पहुंचे हैं वो केंद्रीय जर्मनी के शहर 'हाल' के पास में मिले कुछ अवशेषों के अध्ययन पर आधारित हैं. ये 1,25,000 साल पुराने अवशेष सीधे दांतों वाले हाथियों के हैं.

1980 के दशक में एक विशाल पत्थर की खदान में प्लीस्टोसीन काल के करीब 70 हाथियों की हड्डियां मिली थीं. इस खदान को अब एक कृत्रिम झील के रूप में बदल दिया गया है. उस समय के हाथी वूली मैमथ से भी ज्यादा विशाल होते थे और आज के एशियाई हाथी से तो तीन गुना ज्यादा बड़े होते थे. एक वयस्क नर का वजन 13 मेट्रिक टन तक जा सकता था.

सिर्फ प्रकृति के गुलाम नहीं

नए अध्ययन के सह-लेखकों में से एक विल रोब्रोक्स ने बताया, "इन विशाल जानवरों का शिकार करना और उन्हें मार कर उनकेमांस को खाना इस इलाके में निएंडरथाल मानवों की निर्वाह गतिविधियों का हिस्सा था."

सीधे दांतों वाले एक हाथी का मॉडल
करीब दो लाख साल पहले केंद्रीय जर्मनी में रहने वाले सीधे दांतों वाले एक हाथी का मॉडलतस्वीर: Jens Meyer/AP Photo/picture alliance

रोब्रोक्स द नीदरलैंड्स के लाइडेन विश्वविद्यालय में पुरातत्व विज्ञान के प्रोफेसर हैं. उन्होंने यह भी कहा, "यह मानव विकास में हाथियों के शिकार का पहला स्पष्ट प्रमाण है." अध्ययन से संकेत मिला है कि इस इलाके में 2,000 से 4,000 सालों तक रहने वाले निएंडरथाल मानव कम गतिशील थे और उनके समूह "आम तौर पर जितना समझा गया है उससे कहीं ज्यादा बड़े थे."

रोब्रोक्स ने बताया, "निएंडरथाल सिर्फ प्रकृति के गुलाम या सिर्फ प्रकृति के सहारे रहने वाले उस समय के हिप्पी नहीं थे. असल में वो अपने परिवेश को आकार दे रहे थे, आग से...और उस समय की दुनिया के सबसे विशाल जानवरों पर एक बड़ा असर कायम कर के भी."

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खदान में मिले अवशेषों की उम्र और लिंग के आधार पर शोधकर्ताओं का मानना है कि ऐसा नहीं है कि इन हाथियों को मरने के बाद खाया गया, बल्कि इनका शिकार किया गया था. इनमें से अधिकांश नर थे, कुछ जवान थे और कुछ बूढ़े थे.

एक हाथी से महीनों का भोजन

रोब्रोक्स समझाते हैं, "सबसे बड़े शिकार का पीछा करने वाले शिकारी लाक्षणिक रूप से इसी तरह के समूहों को चुनते थे." वयस्क नर हाथियों का शिकार करना ज्यादा आसान होता होगा क्योंकि मादा अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए झुंडों में चलती थीं.

हजारों साल पुराने पूर्वजों से मुलाकात

रोब्रोक्स के मुताबिक, "वयस्क नर अधिकांश अकेले रहने वाले जानवर होते हैं. इस वजह से उन्हें आसानी से गड्ढों की तरफ दौड़ा कर, उनमें गिरा कर शिकार किया जा सकता है. और वो इन इलाकों में घूमने फिरने वाले सबसे बड़े कैलोरी के स्रोत थे."

शोधकर्ताओं का कहना है कि निएंडरथाल मानव एक हाथी से बड़ी मात्रा में मिले भोजन को संभाल कर भी सकते थे और उससे महीनों तक अपना काम चला सकते थे. रोब्रोक्स ने बताया, "करीब 10 टन के वजन वाले एक औसत नर हाथी से इतना मांस मिलता था कि उससे एक वयस्क निएंडरथाल कम से कम 2,500 दिनों तक अपना पेट भर सकता था."

आग और औजारों का इस्तेमाल

उनका कहना है, "वो या तो इस मांस को लंबे समय तक संभाल कर रख सकते थे - पहले हमें यह नहीं मालूम था - और इतने खाने की खपत इसलिए भी हो जाती थी क्योंकि वो अभी तक हमारी जानकारी के मुकाबले कहीं ज्यादा बड़े समूहों में रहते थे."

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शोधकर्ताओं ने कहा कि निएंडरथाल जानवरों को काटने के लिए चकमक पत्थर के औजारों का इस्तेमाल करते थे जिनकी वजह से अच्छी तरह से संरक्षित हड्डियों पर स्पष्ट निशान हैं. रोब्रोक्स ने बताया, "ये काटने के क्लासिकल निशान हैं जो हड्डियों से मांस को काटने और खुरचने से आते हैं."

लकड़ी के कोयले से लगाई गई आग के सबूत भी मिले हैं जिनसे यह संकेत मिला थाई कि उन लोगों को मांस को आग के ऊपर लटका कर उसे सुखाया भी होगा. रोब्रोक्स कहते हैं कि यह अभी भी कहना मुश्किल है कि ये लोग कितने बड़े समूहों में रहते थे.

उन्होंने यह जरूर कहा, "लेकिन अगर आपके पास एक 10 टन के हाथी का मांस है और आप उसके सड़ने से पहले उसका इस्तेमाल कर लेना चाहते हैं तो उसे एक हफ्ते में खत्म करने के लिए आपको यहीं कोई 20 लोगों की जरूरत होगी.

सीके/एए (एएफपी)

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