कड़ाके की सर्दी और दिल्ली के बेघर
३१ जनवरी २०२२दो करोड़ की आबादी वाली दिल्ली सालभर चरम मौसम का सामना करती है. चिलचिलाती गर्मी से लेकर मूसलाधार बारिश और सर्दी के शुरू होने से पहले जहरीले धुंध का सामना शहर के लोग करते हैं. जनवरी के महीने में पड़ी कड़ाके की सर्दी और बारिश ने कई लोगों की एक कठिन परीक्षा ली. दिल्ली में पिछला मंगलवार लगभग एक दशक में जनवरी का सबसे ठंडा दिन रहा.
रैन बसेरा में रहने वाले 30 साल के मुकेश कहते हैं, "इस बात से कोई इनकार नहीं है कि बहुत ठंड है." मुकेश और उनके जैसे लोग इस सर्दी से बचने के लिए लकड़ी जलाकर खुद को गर्म रखने की कोशिश कर रहे हैं. मुकेश कहते हैं, "पिछले दस दिन बहुत ठंडे रहे हैं और खास तौर से पिछले सप्ताह में, ज्यादा धूप नहीं थी. हम चिंतित रहते हैं क्योंकि हमें गर्म रखने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है."
दिल्ली भर में बेघर लोगों के सटीक आंकड़े का पता नहीं लग पाता है. लेकिन रैन बसेरे में रहने वालों लोगों की संख्या सर्दियों के मौसम में हजारों में चली जाती है. दशकों से बेघरों के लिए काम करने वाले सुनील कमार कहते हैं इस साल अभी तक ठंड की वजह से 176 लोगों की मौत हो गई है. कुमार कहते हैं, "इस तापमान के कारण कई लोग सड़क पर ही मर जाते हैं."
भारतीय मौसम विभाग ने स्थानीय मीडिया को बताया कि दिल्ली का अधिकतम दैनिक तापमान जनवरी के अधिकांश दिनों में सामान्य से दो से छह डिग्री सेल्सियस कम रहा है. जलवायु परिवर्तन मॉडलिंग पर संयुक्त राष्ट्र के साथ काम करने वाले थिंक-टैंक भारती इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक पॉलिसी की अंजल प्रकाश ने कहा, "यह स्थिति सामान्य नहीं है."
उन्होंने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि चरम मौसम की घटनाएं "बहुत अधिक बार होने वाली हैं और भविष्य में इन घटनाओं की गंभीरता और बढ़ेगी."
बेघर रहने वाले लोग ही नहीं दिल्ली के आवारा कुत्ते भी ठंड की मार झेलते हैं. कई लोग आवारा कुत्तों को गर्म कपड़े पहनाते हैं और उन्हें खाना भी देते हैं.
चाय की एक दुकान चलाने वाले और इलाके के कुछ आवारा कुत्तों की देखभाल करने वाले राजू कश्यप कहते हैं, "इस साल मुझे और मेरे कुत्तों को ठंड बहुत अधिक महसूस हुई."
एए/सीके (एएफपी)