बिजनेस करना कितना आसान: भारत 130वें नंबर पर
२६ अक्टूबर २०१६पिछले साल से भारत की रैंकिंग एक नंबर बेहतर हो गई है. वर्ल्ड बैंक ने 2017 के लिए यह रैंकिंग जारी की है. और भारत सरकार इससे खुश नहीं है. भारत सरकार के एक बयान में कहा गया है, "पिछले दो साल में सरकार ने ऐसे बहुत से सुधार किए हैं जिनसे व्यापार शुरू करना, चलाना और उसे बंद करना आसान हो गया है. यह निराशाजनक है कि तकनीकी कारणों से रिपोर्ट में इन बातों को ध्यान में नहीं रखा गया है. वर्ल्ड बैंक के साथ सरकार पूरी प्रक्रिया में कई बार शामिल हुई है. हमें उम्मीद है कि भविष्य में जो रिपोर्टें आएंगी उनमें उन सारे सुधारों को ध्यान में रखा जाएगा जो हाल में ही लागू किए गए हैं."
व्यापार के लिए चार सुविधाओं को बेहतर बनाने के कारण भारत की रैंकिंग सुधरी है. पिछले एक साल में भारत ने जिन चार क्षेत्रों में सुधार किया है उनमें बिजली पाना, कॉन्ट्रैक्ट लागू करवाना, सीमा के आर पार व्यापार और प्रॉपर्टी को रजिस्टर करवाने की प्रक्रिया शामिल हैं.
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हालांकि रिपोर्ट कहती है कि भारत ने बिजली के क्षेत्र में ही कुछ बड़ा सुधार किया है. मंगलवार को जारी इस रिपोर्ट के मुताबिक अब भारत में बिजली का कनेक्शन लेना आसान हो गया है. सरकार के बयान में भी इस बात का जिक्र है. बयान में कहा गया है, "रिपोर्ट में इस बात को तवज्जो दी गई है कि दिल्ली में बिजली का कनेक्शन लेने को आसान और सस्ता बनाने के लिए टाटा पावर ने कोशिशें की हैं. लिहाजा इस मामले में भारत की रैंकिंग अब 26 हो गई है."
पिछले साल बिजली पाने के मामले में भारत 51वें नंबर पर था. कॉन्ट्रैक्ट लागू करने के मामले में भारत की रैंकिंग पिछले साल के 178 से सुधर कर 172 हो गई है. नीति आयोग ने इस साल मई में कहा था कि तीन चार साल में ही भारत को पहले 30 देशों में लाना है. मई में नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा था, "हमारा मकसद यह है कि अगले 3-4 साल में व्यापार करने को आसान बनाने के मामले में भारत को दुनिया के पहले 30 देशों में होना चाहिए."
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पूरी दुनिया में व्यापार करने की सबसे अच्छी जगह न्यूजीलैंड को बताया गया है. पिछले साल नंबर वन पर सिंगापुर था. वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट कहती है कि 137 अर्थव्यवस्थाओं ने पिछले एक साल में अपने यहां सुधार किया है. इनमें से 75 फीसदी विकासशील देश हैं. वर्ल्ड बैंक का मानना है कि व्यापार में आसानी का संबंध निचले आय स्तर में समानता लाने और गरीबी हटाने से है.
विवेक कुमार (रॉयटर्स)