हर सात में से एक भारतीय मानसिक विकारों से पीड़ित
२३ दिसम्बर २०१९साल 2017 में भारत में करीब 19.7 करोड़ लोग किसी ना किसी तरह के मानसिक विकार से पीड़ित थे. इन विकारों की गंभीरता का स्तर अलग-अलग था. इन मानसिक विकारों में डिप्रेशन, एंजाइटी, स्कित्जोफ्रेनिया, बाइपोलर डिसऑर्डर, इडिओपैथिक डवलपमेंट इंटलैक्चुअल डिसैबिलिटी, कंडक्ट डिसऑर्डर्स और ऑटिज्म शामिल हैं. मैग्जीन लांसेट ने इंडियन स्टेट लेवल डिजीज बर्डन इनिसिएटिव के हवाले से ये रिपोर्ट छापी है. रिपोर्ट का मतलब है कि सात में से एक भारतीय किसी ना किसी तरह के मानसिक विकार से ग्रसित था. इन मानसिक विकारों में डिप्रेशन और एंजाइटी सबसे सामान्य रूप से मिलने वाली समस्याएं थीं. करीब साढ़े चार करोड़ इन दोनों विकारों से पीड़ित थे. इन दोनों का प्रभाव भारत में बढ़ता दिखाई दे रहा है. साथ ही महिलाओं और दक्षिण भारतीय राज्यों में इनका असर ज्यादा दिखाई दिया. 2017 में मानसिक विकार रोगियों की संख्या 1990 की तुलना में दोगुनी हो गई है.
डिप्रेशन से पीड़ित लोगों में उम्रदराज लोगों की संख्या ज्यादा है. डिप्रेशन की वजह से होने वाली आत्महत्याओं में भी बढ़ोत्तरी हुई है. बचपन में होने वाले मानसिक विकारों जैसे इडिओपैथिक डवलपमेंट इंटलैक्चुअल डिसैबिलिटी, कंडक्ट डिसऑर्डर और ऑटिज्म के मामले उत्तर भारतीय राज्यों में ज्यादा देखे गए. हालांकि पूरे भारत में इस तरह के मामले पहले की तुलना में कम हुए. सभी मानसिक विकार पीड़ितों में 33.8 % डिप्रेशन, 19 % एंजाइटी, 10.8% इडिओपैथिक डवलपमेंट इंटलैक्चुअल डिसैबिलिटी, 9.8% स्कित्जोफ्रेनिया से पीड़ित थे.
इस रिसर्च पेपर के प्रमुख लेखक और एम्स में कार्यरत प्रोफेसर राजेश सागर का कहना है कि भारत में मानसिक रोगियों की एक बड़ी संख्या है. इसका कारण भारत में मानसिक रोगों पर ध्यान ना दिया जाना भी है. भारत में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत किए जाने की जरूरत है. साथ ही मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को सामान्य चिकित्सा सेवाओं में शामिल कर इसका उपचार लेने में लोगों की झिझक को दूर करने की जरूरत है. प्रोफेसर सागर का कहना है कि इसके लिए सभी स्तरों पर काम करने की जरूरत है. सभी प्रकार के रोगियों की बात करें तो 1990 में कुल रोगियों की संख्या मं 2.5% रोगी मानसिक विकारों से पीड़ित होते थे जबकि 2017 में यह संख्या बढ़कर 4.7% हो गई. 2017 में आई विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत की जनसंख्या का 7.5% हिस्सा मानसिक विकारों से ग्रसित था. इस रिपोर्ट के मुताबिक 2005 से 2015 के बीच दुनिया में डिप्रेशन के मामले 18% बढ़े थे. तब दुनिया में डिप्रेशन के करीब सवा तीन करोड़ पीड़ित थे. इनमें से लगभग आधे दक्षिण पूर्वी एशिया में थे.
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