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पीएम किसान सम्मान निधि का 37 प्रतिशत पैसा ही किसानों को मिला

ऋषभ कुमार शर्मा
२० नवम्बर २०१९

लोकसभा चुनाव से पहले अंतरिम बजट में लागू की गई किसान सम्मान निधि योजना के अनुमानित 14.5 करोड़ की जगह सिर्फ 7.26 करोड़ किसानों तक ही पहुंच सकी है. साथ ही इस वित्त वर्ष में सिर्फ 37 प्रतिशत पैसा किसानों को मिला है.

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Indien Parlament PK Narendra Modi
तस्वीर: Reuters/A. Hussain

वित्तीय वर्ष 2019-20 के सात महीने बीत जाने के बाद केंद्र सरकार की योजना किसान सम्मान निधि का 37 प्रतिशत फंड ही बांटा जा सका है. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने 19 नवंबर को लोकसभा में एक सवाल के जवाब में ये जानकारी दी. वित्त वर्ष 2019-20  में किसानों को दी जाने वाली किसान सम्मान निधि के लिए 75,000 करोड़ रुपये का आवंटन केंद्र सरकार ने किया था. इनमें से अब तक 27,936.26 करोड़ रुपये ही किसानों के खाते में डाले जा सके हैं. ये आंकड़े 31 अक्टूबर तक के हैं. इस वित्त वर्ष में पांच महीने ही बचे हैं. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि इस निधि का एक बड़ा हिस्सा सरकार के पास बच सकता है.

लोकसभा में इस विषय में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए तोमर ने कहा, "75,000 करोड़ रुपये के फंड में से अभी तक 27,936.26 करोड़ रुपये ही खर्च किए जा सके हैं. इसमें राज्यों को प्रशासनिक खर्चे के लिए दिया गया पैसा भी शामिल है. यह योजना अभी जारी है. इस योजना के अंतर्गत किसानों के खाते में सीधे पैसे डाले जाते हैं. पैसे तब ही डाले जाते हैं जब किसानों का डाटा राज्य सरकारों द्वारा सत्यापित कर प्रधानमंत्री किसान वेब पॉर्टल पर डाल दिया जाए. इसके चलते लाभार्थियों की संख्या कम ज्यादा होती रहती है. असली संख्या के बारे में जानकारी वित्त वर्ष के खत्म होने के बाद ही लग पाएगी. इस स्कीम के लिए पैसा 2015-16 की कृषक गणना के आधार पर जारी किया जाता है. इस गणना में जमीन के सामूहिक भागीदारों के आंकड़े नहीं हैं. इस योजना के लिए राज्य सरकारें ही सत्यापन के बाद डाटा भेजती हैं."

Indien Wasser und Umwelt
तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Dey

पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत एक निश्चित आय सीमा में आने वाले किसानों को एक साल में छह हजार रुपये की मदद दी जाती है. इसके लिए हर चार महीने पर दो हजार रुपये किसान के बैंक खाते में डाले जाते हैं. वर्ष 2018-19 में केंद्र सरकार ने इस योजना के लिए 20,000 करोड़ रुपये का फंड जारी किया था. इस योजना की घोषणा 2019 के अंतरिम बजट में की गई थी लेकिन इसे लागू दिसंबर 2018 से किया गया. 25 जून को एक सवाल के जवाब में मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया था कि इस योजना के तहत दी गई पहली किश्त में 6,662 करोड़ रुपये खर्च हुए. इस योजना की घोषणा करते समय केंद्र सरकार का अनुमान था कि करीब 14.5 करोड़ किसानों को इस योजना का लाभ मिलेगा. इंडियन एक्सप्रेस में छपे सरकारी आंकड़ों के मुताबिक यह योजना अभी तक 7.26 करोड़ किसानों तक ही पहुंच पाई है. यह अनुमानित संख्या के आधे के बराबर है.

किसानों का डाटा ना मिलना बड़ी समस्या

ये योजना लोकसभा चुनावों से कुछ समय पहले शुरू की थी. जल्दीबाजी में शुरू की गई इस योजना में पहली किश्त किसानों के खाते में आ गई. लेकिन लोकसभा चुनावों के बाद जब अगली किस्त का पैसा डालने से पहले डाटा का मिलान किया गया तो उसमें अनियमियतताएं पाई गईं. इसके बाद अगली किस्तों का भुगतान रोक किसानों को मोबाइल पर मेसेज भेजकर जानकारी दी गई. किसानों ने जब पता किया तो किसानों के आधार कार्ड में दर्ज नाम की स्पेलिंग और योजना के पंजीकरण फॉर्म में नाम की स्पेलिंग में अंतर, बैंक खाते की जानकारी सही नहीं होना या जरूरी योग्यताओं को पूरा नहीं करना कारण बताया गया.

हालांकि इन सब कारणों के बावजूद इन किसानों को दो या तीन किश्तों का लाभ मिल चुका था. कृषि मंत्रालय की ओर से अभियान चला कर इन गलतियों को दुरुस्त करने की बात सरकार द्वारा कही गई है. इसके अलावा इस योजना के लागू होने में राजनीति होने के आरोप भी लगे हैं. केंद्र सरकार का कहना है कि गैर भाजपाई राज्य सरकारें अपने यहां से किसानों के आंकड़े समय पर नहीं दे रही हैं. जबकि इन सरकारों का कहना है कि आंकड़े देने के बाद भी केंद्र सरकार पैसे देने में देरी कर रही है और जिम्मेदारी राज्य सरकारों पर थोप रही है.

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