पाकिस्तान में बाढ़ के बाद बीमारियों का कहर
२२ सितम्बर २०२२पाकिस्तान में आई विनाशकारी बाढ़ के कारण जल जनित बीमारियों से भी कई लोगों की मौत हो रही है और इस स्थिति से निपटने के लिए पाकिस्तान को फौरन मदद की सख्त जरूरत है. बाढ़ के कारण देश का लगभग एक तिहाई हिस्सा जलमग्न हो गया है.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने बुधवार को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा से इतर कहा, "हमें मदद की जरूरत है. हमें बच्चों के लिए भोजन और दवाएं चाहिए."
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री: बाढ़ के बाद भोजन की कमी का खतरा
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन से भी मुलाकात की और समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक उन्होंने इस मुश्किल घड़ी में पाकिस्तान की हर संभव मदद करने का आश्वासन भी दिया है.
पाकिस्तान में भारी बारिश और उसके बाद आई बाढ़ ने देश में भारी तबाही मचाई है. बाढ़ से जुड़ी घटनाओं में कम से कम 1500 लोग मारे गए और 3.3 करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं.
बाढ़ के कारण विस्थापित हुए लाखों लोग आसमान के नीचे खुले में रहने को मजबूर हैं, जबकि बाढ़ का पानी सैकड़ों किलोमीटर तक फैला हुआ है. अनुमान है कि इस पानी को निकलने में दो से छह महीने तक लग सकते हैं.
बढ़ रही बीमारियां
बाढ़ के बाद देश में बीमारी का प्रकोप फूट पड़ा है. हैजा, डायरिया, त्वचा की एलर्जी, मलेरिया, डेंगू बुखार और पेचिश जैसी बीमारियों ने मरने वालों की संख्या में इजाफा किया.
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) के मुताबिक, "हम मौत और बीमारी की लहर की वास्तविक चिंताओं के बारे में गहराई से चिंतित हैं, जो पहले ही चरम पर पहुंच चुकी हैं. एक दूसरी आपदा का खतरा है."
संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ने बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित बच्चों की मदद के लिए 3.9 करोड़ डॉलर की अपनी अपील दोहराई है. यूनिसेफ ने एक बयान में कहा कि उसने पहले जिस फंडिंग के लिए अपील की थी, उसका अब तक केवल एक-तिहाई ही पूरा हुआ है.
मर्दों की इज्जत की खातिर बाढ़ में फंसी महिलाएं
बच्चों पर मंडराता खतरा
यूनिसेफ के मुताबिक लगभग 34 लाख बच्चे अपने घरों से विस्थापित हो गए हैं और पूरे पाकिस्तान में बाढ़ के पानी ने 550 से अधिक बच्चों की जान ले ली है. यूनिसेफ ने कहा, "हमें डर है कि कई बच्चे सहायता में उल्लेखनीय वृद्धि के बिना अपनी जान गंवा देंगे."
बुधवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में बोलने वाले कई विश्व नेताओं ने पाकिस्तान की बाढ़ में जलवायु परिवर्तन की भूमिका की ओर इशारा किया. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए पाकिस्तान में बाढ़ की स्थिति पर चिंता जाहिर की और कहा, "देश अभी भी पानी में डूबा हुआ है और उसे मदद की जरूरत है. दूसरी ओर हॉर्न ऑफ अफ्रीका अभूतपूर्व सूखे का सामना कर रहा है."
जलवायु परिवर्तन को लेकर बाइडेन ने कहा, "हमारे पास ज्यादा समय नहीं बचा है. हम सभी जानते हैं कि हम पहले से ही जलवायु संकट में जी रहे हैं."
इससे पहले मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र के महासचिव अंटोनियो गुटेरेश ने विश्व नेताओं से कहा था कि जलवायु संकट हमारे समय का सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है. उन्होंने कहा, "दुनिया भर में भारी जन समर्थन के बावजूद जलवायु कार्रवाई को ठंडे बस्ते में डाला जा रहा है."
उन्होंने अपने हाल के पाकिस्तान दौरे के बारे में बताते हुए कहा, "हम जलवायु आपदा का सामना कर रहे हैं. मैंने खुद अपनी आंखों से देखा कि मानसूनी बारिश के बाद देश का एक तिहाई हिस्सा डूबा हुआ है."
वहीं यूएन महासभा को संबोधित करते हुए नाइजीरिया के राष्ट्रपति मुहम्मदु बुहारी ने कहा कि जब जलवायु परिवर्तन की बात आती है तो विकासशील देश "वास्तव में इसकी कीमत चुका रहे हैं."
बुहारी ने कहा, "अफ्रीका और अन्य विकासशील देश औद्योगिक अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का केवल एक छोटा सा हिस्सा पैदा करते हैं, फिर भी हम जलवायु परिवर्तन के नतीजों से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं, जैसा कि हम सोमालिया में लगातार सूखे और पाकिस्तान में आई गंभीर बाढ़ को देख रहे हैं"
एए/सीके (एपी, डीपीए, रॉयटर्स)