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पेरिस पैरालंपिक में टोक्यो का रिकॉर्ड तोड़ने उतरेगा भारत

आदर्श शर्मा
२७ अगस्त २०२४

पेरिस में 28 अगस्त से आठ सितंबर तक चलने वाले पैरालंपिक मुकाबले में भारत ने अपना सबसे बड़ा दल भेजा है. इससे पहले टोक्यो पैरालंपिक में भारतीय एथलीटों ने 19 मेडल जीते थे. इस बार भारत का लक्ष्य उससे भी आगे जाने का है.

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पेरिस पैरालंपिक का मैस्कॉट फ्रीजह, विश्वप्रसिद्ध फ्रांसिसी स्मारक आइफेल टावर के सामने
पेरिस पैरालंपिक का मैस्कॉट फ्रीजह, विश्वप्रसिद्ध फ्रांसिसी स्मारक आइफेल टावर के सामने तस्वीर: STEPHANE DE SAKUTIN/AFP/Getty Images

आधुनिक ओलंपिक खेलों की शुरुआत साल 1896 में हुई थी. इसके पूरे 64 साल बाद 1960 में पहली बार पैरालंपिक खेलों का आयोजन हुआ. इन खेलों का मकसद शारीरिक रूप से अक्षम खिलाड़ियों को भी मैदान में उतरने का मौका देना था. तब से हर चार साल बाद पैरालंपिक खेलों का आयोजन हो रहा है. साल 1988 से जिस शहर में ओलंपिक होता है, वहीं पर कुछ दिनों बाद पैरालंपिक का भी आयोजन किया जाता है. इस बार यह खेल 28 अगस्त से आठ सितंबर तक पेरिस में हो रहे हैं.

पेरिस पैरालंपिक में भारत के कुल 84 खिलाड़ी 12 खेलों में हिस्सा लेंगे. इनमें 32 महिला खिलाड़ी शामिल हैं. यह पैरालंपिक खेलों में भारत का अब तक का सबसे बड़ा दल है, इसलिए इस बार उम्मीदें भी ज्यादा हैं. पैरालंपिक कमेटी ऑफ इंडिया के प्रमुख देवेंद्र झाझड़िया ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में कहा, "पिछले तीन सालों में भारतीय खिलाड़ियों की मेहनत और तैयारी को देखते हुए हम कह सकते हैं कि इस बार हम 25 से ज्यादा मेडल जीतेंगे. मेडल टैली में भारत टॉप-20 में रहेगा."

पेरिस पैरालंपिक का उद्घाटन समारोह 28 अगस्त को होगा. इसमें एथलीट सुमित अंतिल और भाग्यश्री जाधव भारत के ध्वजवाहक होंगे. इसके बाद 29 अगस्त से मुकाबले शुरू होंगे. इनका लाइव प्रसारण स्पोर्ट्स 18 और जिओ सिनेमा पर देखा जा सकेगा.

टोक्यो में सुमित अंतिल ने जेवलिन थ्रो (एफ 64 कैटेगरी) में वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाकर गोल्ड जीता था.
टोक्यो में सुमित अंतिल ने जेवलिन थ्रो (एफ 64 कैटेगरी) में वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाकर गोल्ड जीता थातस्वीर: Tasos Katopodis/Getty Images

किन खिलाड़ियों पर रहेगी नजर

टोक्यो में हुए पिछले पैरालंपिक में पांच भारतीय खिलाड़ियों ने गोल्ड मेडल जीते थे. उनमें से चार खिलाड़ी- अवनी लेखरा, सुमित अंतिल, मनीष नरवाल और कृष्णा नागर, पेरिस में अपना गोल्ड बरकरार रखने के इरादे से उतरेंगे.

टोक्यो में सुमित अंतिल ने जेवलिन थ्रो (एफ 64 कैटेगरी) में वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाकर गोल्ड जीता था. उन्होंने 68.55 मीटर दूर तक भाला फेंका था. इसके बाद 2023 में हुए एशियन पैरा गेम्स में उन्होंने 73.29 मीटर की दूरी पर भाला फेंककर नया रिकॉर्ड बनाया. इसलिए इस बार भी उनके गोल्ड जीतने की उम्मीद है. उनके साथ ही सुंदर सिंह गुर्जर पर भी निगाहें रहेंगी. उन्होंने टोक्यो में जेवलिन थ्रो (एफ 46 इवेंट) में ब्रॉन्ज जीता था. उसके बाद उन्होंने 2023 में 68.6 मीटर दूर भाला फेंककर नया रिकॉर्ड बनाया था.

पेरिस ओलंपिक में जो कमाल शूटर मनु भाकर ने किया है. कुछ वैसा ही कमाल टोक्यो पैरालंपिक में शूटर अवनी लेखरा ने किया था. उन्होंने एक गोल्ड और एक ब्रॉन्ज मेडल जीता था और पैरालंपिक में दो मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बन गई थीं. इस बार वे तीन शूटिंग इवेंट में हिस्सा लेंगी. टोक्यो में मनीष नरवाल ने 50 मीटर पिस्टल (एसएच1 कैटेगरी) में गोल्ड जीता था. इस बार वे 10 मीटर एयर पिस्टल (एसएच1 कैटेगरी) में चुनौती पेश करेंगे.

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पैरा-बैडमिंटन में भारत को कृष्णा नागर और सुहास यथिराज से बड़ी उम्मीदें हैं. कृष्णा ने टोक्यो में मेन्स सिंगल्स की एसएच6 कैटेगरी में गोल्ड अपने नाम किया था. उन्होंने 2024 वर्ल्ड चैंपियनशिप में भी गोल्ड जीता है. वहीं सुहास ने टोक्यो में मेन्स सिंगल्स की एसएल4 कैटेगरी में सिल्वर मेडल जीता था. फिलहाल, वे इस कैटेगरी में दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी हैं. वे पेरिस में दो इवेंट्स में चुनौती पेश करेंगे. खास बात यह है कि सुहास यूपी कैडर के आईएसएस अधिकारी हैं. वे प्रशासनिक काम के साथ अपने खेल को भी जारी रखे हुए हैं.

17 वर्षीय तीरंदाज शीतल देवी का यह पहला पैरालंपिक होगा. वे वुमन कंपाउंड ओपन और मिक्स्ड टीम कंपाउंड ओपन इवेंट्स में हिस्सा लेंगी. शीतल के दोनों हाथ नहीं हैं. वे पैरों की मदद से तीरंदाजी करती हैं. उन्होंने 2022 के एशियन पैरा गेम्स में दो गोल्ड और एक सिल्वर मेडल जीता था. उन्हें 2023 की ‘बेस्ट वुमन पैरा आर्चर' भी चुना गया था.पेरिस ओलंपिक समाप्त, भारत समेत कई देशों ने 2036 के लिए शुरू की कोशिश

पैरालंपिक के हाई जंप इवेंट में गोल्ड और सिल्वर मेडल जीत चुके मरियप्पन थंगावेलू पर भी सबकी नजर रहेगी. उन्होंने इसी साल हुई वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड जीता है. इसलिए उनसे भी पुराने प्रदर्शन को दोहराने की उम्मीद है. इसके अलावा टेबल टेनिस खिलाड़ी भाविनबेन पटेल, बैडमिंटन खिलाड़ी थुलासिमथि मुरुगेसन, एथलीट निषाद कुमार और योगेश कथुनिया को भी मेडल का मजबूत दावेदार माना जा रहा है.

टोक्यो में मेन्स सिंगल्स की एसएल4 कैटेगरी में सिल्वर मेडल जीतने वाले सुहास यथिराज फिलहाल इस कैटेगरी में दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी हैं
टोक्यो में मेन्स सिंगल्स की एसएल4 कैटेगरी में सिल्वर मेडल जीतने वाले सुहास यथिराज फिलहाल इस कैटेगरी में दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी हैंतस्वीर: Kiyoshi Ota/Getty Images

किन खेलों में उतरेंगे भारतीय खिलाड़ी

पेरिस पैरालंपिक में 22 खेलों में 549 इवेंट्स होंगे. भारतीय खिलाड़ी इनमें से 12 खेलों में हिस्सा लेंगे. भारत ने सबसे ज्यादा 38 खिलाड़ी पैरा एथलेटिक्स के इवेंट्स के लिए भेजे हैं. इनमें 28 पुरुष और दस महिला खिलाड़ी शामिल हैं. पिछली बार भारत ने पैरा एथलेटिक्स में कुल आठ मेडल जीते थे. इसमें हाईजंप में चार, जेवलिन थ्रो में तीन और डिस्कस थ्रो में एक मेडल मिला था.

पैरा बैडमिंटन में भारत के 13 खिलाड़ी चुनौती पेश करेंगे. पिछली बार भारत ने इसमें दो गोल्ड समेत कुल चार मेडल जीते थे. पैरा शूटिंग में भारत के 10 खिलाड़ी निशाना साधेंगे. पैरा शूटिंग में ही भारत ने पिछली बार सबसे ज्यादा पांच मेडल जीते थे. इसके अलावा पैरा आर्चरी के मुकाबलों में छह तीरंदाज हिस्सा लेंगे. इनमें तीन महिलाएं और तीन पुरुष शामिल हैं.

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पैरा टेबल टेनिस में दो महिला खिलाड़ी- सोनलबेन पटेल और भाविनबेन पटेल भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी. भाविनबेन पटेल ने टोक्यो में सिल्वर मेडल जीता था. इसके अलावा पावर लिफ्टिंग में चार, पैरा-कैनोए में तीन, पैरा रोइंग, पैरा साइक्लिंग और ब्लाइंड जूडो में दो-दो, पैरा स्विमिंग और पैरा ताइक्वांडो में एक-एक खिलाड़ी हिस्सा लेंगे.

सुंदर सिंह गुर्जर ने टोक्यो में जेवलिन थ्रो (एफ 46 इवेंट) में ब्रॉन्ज जीता था
सुंदर सिंह गुर्जर ने टोक्यो में जेवलिन थ्रो (एफ 46 इवेंट) में ब्रॉन्ज जीता थातस्वीर: OIS/ZUMA Press Wire Service/picture alliance

पैरालंपिक में कैसा रहा है भारत का प्रदर्शन

भारत ने पैरालंपिक खेलों में पहली बार हिस्सा 1968 में लिया था. लेकिन उस साल भारतीय खिलाड़ी कोई मेडल नहीं जीत पाए थे. अगले पैरालंपिक खेलों का आयोजन जर्मनी के हाइडेलबर्ग शहर में हुआ. इनमें मुरलीकांत पेटकर ने 50 मीटर फ्रीस्टाइल तैराकी में गोल्ड मेडल जीतकर देश को खाता खोला. हाल ही में मुरलीकांत की जिंदगी पर बनी फिल्म ‘चंदू चैंपियन' भी रिलीज हुई है.

हालांकि, दूसरे मेडल के लिए भारत को 12 साल का इंतजार करना पड़ा. 1984 में भारत ने दो सिल्वर और दो ब्रॉन्ज मेडल जीते. इसके बाद 20 साल तक कोई मेडल नहीं आया. 2004 में देवेंद्र झाझड़िया ने जेवलिन थ्रो में गोल्ड और राजिंदर सिंह ने पावरलिफ्टिंग में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर इस सूखे को खत्म किया. इसके बाद 2012 में लंदन पैरालंपिक में भारत सिर्फ एक मेडल जीत सका.

2016 में हुए रियो पैरालंपिक में भारत का प्रदर्शन सुधरा. इन खेलों में भारत ने दो गोल्ड, एक सिल्वर और एक ब्रॉन्ज मेडल जीता. इसके बाद टोक्यो पैरालंपिक में भारत ने ऊंची छलांग लगाई. भारतीय खिलाड़ियों ने पांच गोल्ड और आठ सिल्वर समेत कुल 19 मेडल जीते. भारत मेडल टैली में टॉप-25 में जगह बनाने में सफल रहा. भारत ने पैरालंपिक खेलों में कुल 31 मेडल जीते हैं, जिनमें से 60 फीसदी अकेले टोक्यो में आए हैं. इससे भारतीय खिलाड़ियों का आत्मविश्वास बढ़ा है, जिसका फायदा पेरिस पैरालंपिक में मिलने की उम्मीद है.