80 हजार साल बाद दिखा धूमकेतु 'कॉमेट ए3'
दुनियाभर में बिना टेलीस्कोप की मदद से ‘कॉमेट ए3‘ नाम का धूमकेतु देखा जा रहा है. इसके बाद यह 80 हजार साल के बाद ही दिखेगा.
शताब्दी का धूमकेतु
धूमकेतु सी/2023 ए3 सुचिनशान-एटलस लगभग 80 हजार वर्षों में एक बार ही धरती के सबसे नजदीक होता है और नजर आता है. इस कॉमेट को "शताब्दी का धूमकेतु" भी कहा जाता है. इसकी खोज जनवरी 2023 में चीन की पर्पल माउंटेन ऑब्जरवेटरी सुचिनशेन में हुई और कुछ दिन बाद दक्षिण अफ्रीका के एटलस ने भी इसकी खोज की पुष्टि की. इसलिए इसका ऐसा नाम पड़ा है. इसे ‘कॉमेट ए3‘ भी कहा जाता है.
क्या है धूमकेतु
सूर्य का चक्कर लगाने की रेस में पृथ्वी की तरह कुछ उल्का पिंड और गैसीय पिंड भी होते हैं. धूल, बर्फ और गैस से बने पिंड धूमकेतु या कॉमेट कहलाते हैं. वहीं, उल्का पिंड एस्टेरॉयड यानी क्षुद्र ग्रहों से टूट कर बनते हैं. हालांकि धूमकेतु सौरमंडल का हिस्सा नहीं होते.
कैसे पहचानें कि ये धूमकेतु है
धूमकेतु रात के समय आसमान में चमकीले तारों के जैसे दिखते हैं. लेकिन उन्हें तारों से अलग पहचानने का एक तरीका उनकी पूंछ है. तारों से अलग धूमकेतु की एक पूंछ होती है. इसकी वजह से इसे पुच्छल तारा भी कहा जाता है.
क्योंकि हम हैं हट के
कॉमेट तारों से थोड़ा हटकर दिखते हैं और उनसे अधिक चमकीले लगते हैं. इस धूमकेतु को अब तक का सबसे चमकीला कॉमेट कहा जा रहा है. इसे लेकर दुनिया के कई शहरों से खींची गईं तस्वीरें भी इसकी अलग छटा दिखाती हैं.
क्यों है खास
धूमकेतु सौरमंडल के बाहर से लंबी दूरी तय कर आते हैं. सूर्य की तरफ आने के कारण यह पृथ्वी से भी देखे जा सकते हैं. यह धूमकेतु ए3 बिना किसी टेलीस्कोप की मदद से इस बार दुनिया भर के अलग अलग जगहों से नंगी आंखों से भी देखा जा रहा है. यह कारण इसे अधिक खास बना रहा है. कॉमेट ए3 28 सितंबर को सूर्य के सबसे पास था. अब यह लगातार दूर हो रहा है.
तस्वीरों में कैद हो गया कॉमेट ए3
इस साल 24 अक्तूबर के पहले ही इसे आसानी से देखा जा सकता था. इसे देख पाने वाले दुनियाभर के खगोलप्रेमियों ने अमेरिका के फ्लोरिडा, लॉस एंजेलिस, उरुग्वे, इटली, उत्तरी मेसेडोनिया, स्पेन, ऑस्ट्रिया समेत भारत के तमिलनाडु, लद्दाख, कर्नाटक और तेलंगाना समेत कई जगहों से कॉमेट की तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट कीं.
हम भी देखेंगे
डेनमार्क के लोलैंड दक्षिणी जीलैंड में 22 अक्टूबर को आसमान में गुजरते कॉमेट को देखने वालों को ऐसा लगा है मानो डोडेकलिटन की कलाकृतियां भी कह रही हों, “हमें भी देखना हैं कॉमेट..!”