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जर्मनी में राइन को गहरा करने पर विवाद

नताली मुलर | नाइल किंग
१० अक्टूबर २०२२

सूखे से निपटने के लिए जर्मनी में राइन नदी के एक हिस्से को गहरा करने की योजना बन रही है. इंजीनियर कहते हैं कि बिना खोदे नदी गहरी की जा सकती है. स्थानीय लोग और पर्यावरणप्रेमी आशंकाओं से भरे हैं.

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राइन नदी
तस्वीर: Sascha Ditscher/IMAGO

राइन नदी पश्चिमी यूरोप की अर्थव्यवस्था की जीवनरेखा है. नदी जर्मनी, फ्रांस और स्विट्जरलैंड को नीदरलैंड्स के रोटरडैम बंदरगाह से जोड़ती है. हर साल 30 करोड़ टन सामान इससे होकर गुजरता है. इस माल में रसायन, कोयला, अनाज और गाड़ियों के पार्ट्स शामिल हैं. कई कंपनियों के प्लांट बिल्कुल नदी के किनारे हैं ताकि आसानी से जहाज लोड अनलोड किया जा सके. जब विकराल सूखे के कारण इस साल नदी में जहाजों की आवाजाही प्रभावित हुई तो भारी आर्थिक नुकसान हुआ.

जर्मन सरकार नहीं चाहती कि भविष्य में फिर से ऐसा हो. शिपिंग उद्योग और सप्लाई चेन को बचाने के लिए एक एक्शन प्लान बनाया गया है. पानी कम होने पर भी जहाज चलते रहें, इसकी तैयारी की जा रही है. सरकार मध्य राइन घाटी के एक हिस्से को गहरा करना चाहती है. कारोबार जगत ने इस फैसले का स्वागत किया है, लेकिन पर्यावरणप्रेमी और कुछ स्थानीय लोग इससे नाराज हैं.

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गहराई कम होने की वजह से इस पीले हिस्से को राइन का बॉटलनेक कहा जाता है
गहराई कम होने की वजह से इस पीले हिस्से को राइन का बॉटलनेक कहा जाता है

क्या है प्रोजेक्ट

योजना के केंद्र में मध्य राइन घाटी का 50 किलोमीटर लंबा इलाका है. इस इलाके को यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज भी घोषित किया गया है. इस हिस्से में नदी तीखी ढाल वाले पहाड़ों और फिर अंगूर के बागानों के बीच गुजरती है. इसी इलाके में कहीं कहीं राइन विस्तार भी लेती है और उसके इस फैलाव के कारण कुछ बिंदुओं पर नदी की गहराई बहुत कम रह जाती है. कम पानी होने पर उत्तरी सागर से कोयला लाने वाले भारी मालवाहक जहाज वहां फंस सकते हैं.

राइन वॉटरवेज एंड शिपिंग एडमिनिस्ट्रेशन (डब्ल्यूएसए) की साबीने क्रामर कहती हैं, "आशंका होने पर, वजन बहुत कम कर दिया जाता है."

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सरकार इस जगह रिवर चैनल को 20 सेंटीमीटर और गहरा करना चाहती है. फिलहाल पानी कम होने पर इस जगह की गहराई 1.9 मीटर रह जाती है, योजना इसे 2.1 मीटर करने की है. राइन पर शिपिंग का प्रबंधन करने वाली संस्था सीसीएनआर के हेड काई केपमन के मुताबिक "20 सेंटीमीटर सुनने में भले ही कम लगे लेकिन इसके जरिए आप बहुत सामान ट्रांसपोर्ट कर सकते हैं."

राइन को गहरा करने का एक प्रस्तावित मॉडल
राइन को गहरा करने का एक प्रस्तावित मॉडलतस्वीर: Uli Deck/dpa/picture alliance

कैसे गहरी की जाएगी नदी

फेडरल वाटर अथॉरिटी और इंजीनियरों ने एक हाइड्रॉलिक सिस्टम लगाने का प्रस्ताव दिया है. यह सिस्टम तटों पर लगाया जायेगा. प्रवाह कम होने पर यह हाइड्रॉलिक सिस्टम किनारों पर बहने वाले पानी को नदी के मध्य की भाग की तरफ मोड़ देगा. इस दौरान सिस्टम नदी की गाद को हटाते हुए ऐसा करेगा. प्रस्ताव में कहा गया है कि प्रोजेक्ट 2030 तक पूरा हो जाएगा और इसमें 18 करोड़ यूरो का खर्च आएगा. 40 फीसदी रकम पर्यावरण को ठीक रखने में खर्च की जाएगी.

प्रस्ताव जर्मन फेडरेशन फॉर एनवायरनमेंट एंड नेचर कंजर्वेशन (बीयूएएनडी) को रास नहीं आया है. एनजीओ को लगता है कि पानी को बीच में धकेलने से मछलियों और सीपों को नुकसान पहुंचेगा. संगठन की प्रमुख सबीने याकोब कहती हैं, "यह एक बड़ा दखल है. हमें डर है कि ये नदी के तटों और मछलियों की संख्या पर बड़ा असर डालेगा क्योंकि इन्हीं किनारों पर मछलियां अंडे देती हैं."

2022 की गर्मियों में बुरी तरह सूखी राइन
2022 की गर्मियों में बुरी तरह सूखी राइनतस्वीर: Daniel Kubirski/picture alliance

राइन "हमारी पहचान है"

फिलिप रान भी योजना से परेशान है. वह राइन के तट पर बसे कस्बे बाखाराख के मेयर हैं. बाखाराख की 90 फीसदी आय टूरिज्म पर निर्भर है. उन्हें लगता है कि कोई भी नया ढांचा इस इलाके की अलौकिक सुंदरता को खराब कर देगा,  "राइन हमारी पहचान है" और यह पहचान हमारी आंखों के सामने ही खो सकती है.

फिलिप रान कहते हैं, "हमारे यहां एक नौकायन क्लब है. हमारे पास वॉटरस्पोर्ट्स के एसोसिएशन हैं. पब्लिक बीच है...और ये सब नहीं रहेगा."

प्रोजेक्ट फिलहाल प्लानिंग के चरण में ही है. अभी यह तय नहीं हुआ है कि किस तरह का स्ट्रक्चर बनाया जाएगा. क्रामर कहती हैं कि हाइड्रॉलिक स्ट्रक्चर पानी कम होने पर ही दिखाई पड़ेगा, "ज्यादातर लोग जैसा सोच रहे हैं, वैसा नहीं बनने जा रहा है, इसीलिए इलाके के प्राकृतिक परिदृश्य पर इसका उतना बड़ा असर नहीं होगा."