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अर्थव्यवस्थापुर्तगाल

प्रवासियों से जुड़े श्रम कानून सख्त बना रहा है पुर्तगाल

योखेन फागेट
४ अक्टूबर २०२४

पुर्तगाल में नए नियम के तहत उन विदेशी कामगारों के आने पर रोक लगा दी गई है, जिनके पास आधिकारिक वर्क परमिट नहीं है. कुछ विशेषज्ञों को डर है कि इससे अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ सकता है.

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पुर्तगाल के एक खेत में काम कर रहा नेपाल से आया विदेशी कामगार.
विशेषज्ञों की चिंता है कि विदेशी कामगारों की कमी पुर्तगाल के कृषि क्षेत्र को काफी मुश्किल में डाल सकती हैतस्वीर: Jochen Faget/DW

पुर्तगाल ने अवैध तरीके से पहुंचे विदेशी कामगारों को वर्क परमिट के लिए आवेदन करते समय देश में रहने की अनुमति देने का पुराना नियम समाप्त कर दिया है. यह अचानक और अप्रत्याशित रूप से लिया गया फैसला है.

भारत के लोगों का नया ठिकाना बन रहा है पुर्तगाल

सामान्य शब्दों में कहें, तो जिन विदेशी कामगारों के पास वर्क परमिट नहीं है उनके लिए पुर्तगाल आना और वहां रहकर वर्क परमिट हासिल करना अब मुश्किल हो गया है. आव्रजन नीति के प्रभारी और उप-मंत्री रुई आर्मिंडो फ्रेतस के मुताबिक, यह बदलाव यूरोपीय कानूनों को ध्यान में रखते हुए किया गया है. 

पुर्तगाल के साओ तियोतोनिया क्षेत्र में सड़क किनारे खड़े दो विदेशी कामगार. यह इलाका कृषि, खासतौर पर फलों के उत्पादन का प्रमुख क्षेत्र है.
भारत, नेपाल और बांग्लादेश जैसे एशियाई देशों से बड़ी संख्या में कामगार पुर्तगाल आते हैंतस्वीर: Patricia de Melo Moreira/AFP

गैर-सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि इसे दक्षिणपंथी विचारधारा वाले लोगों को खुश करने के लिए उठाए गए कदम के तौर पर देखते हैं. इस विचारधारा के लोग अप्रवासियों के खिलाफ रैली करते रहे हैं. इनका तर्क था कि यह पुर्तगाल की आव्रजन नीति की अव्यवस्थित स्थिति को उजागर करता है.

फ्रेतस का कहना है कि कई लोग पहले बिना किसी वैध वर्क परमिट के देश में चले आते थे. उन्हें लगता था कि वे देश में आने के बाद यहां रहने और काम करने के लिए जरूरी कागजात बना लेंगे. इस संभावना की वजह से कई विदेशी कामगार अवैध तरीके से देश में पहुंच जाते थे. उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया कि इस समस्या को जल्द-से-जल्द हल करने की जरूरत थी, क्योंकि आव्रजन एजेंसी एआईएमए में लगभग चार लाख ऐसे लोगों के आवेदनों का बैकलॉग हो गया है, जिन्होंने देश में आने के बाद जरूरी कागजात बनाने के लिए आवेदन किया है.

फ्रेतस ने आगे बताया, "इनमें से कुछ आवेदन दो साल पहले जमा किए गए थे. इन आवेदनों के बारे में जो फैसले लेने हैं, वे सब अगले साल जून तक पूरे कर लिए जाने चाहिए. हमारा लक्ष्य उन समस्याओं को हल करना है जो कई सालों से बनी हुई हैं."

पुर्तगाल में विदेशी कामगारों के कागज देखकर जानकारी देते सोलिम नाम के एनजीओ के कार्यकर्ता अल्बर्टो मातोस.
गैर-सरकारी संगठन सोलिम के अल्बर्टो मातोस विदेशी कामगारों को उनके अधिकार हासिल करने में मदद करते हैंतस्वीर: Jochen Faget/DW

अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हैं प्रवासी कामगार

इस साल जून से पुर्तगाल में काम करने की इच्छा रखने वाले प्रवासियों को अपने देश में पुर्तगाली दूतावास या वाणिज्य दूतावास में रेजिडेंस परमिट के लिए आवेदन करना पड़ रहा है. इस वजह से कई देशों के कामगारों के बीच निराशा छा गई है, क्योंकि कई देशों में पुर्तगाली दूतावास या वाणिज्य दूतावास नहीं हैं. उदाहरण के लिए, नेपाल या बांग्लादेश के खेतिहर मजदूरों को अब भारत की राजधानी नई दिल्ली स्थित पुर्तगाली दूतावास में वीजा के लिए आवेदन करना होगा.

पुर्तगाली किसान संघ के महासचिव लुइस मीरा ने नई शर्तों को पूरी तरह से अव्यावहारिक बताते हुए खारिज कर दिया. उन्होंने डीडब्ल्यू से कहा, "हमें फसल की कटाई के समय लोगों की जरूरत है, बाद में नहीं. सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मजदूर पुर्तगाल में समय पर पहुंच सकें और उन्हें ज्यादा नौकरशाही का सामना न करना पड़े."

पुर्तगाल की अर्थव्यवस्था प्रवासी कामगारों पर काफी निर्भर है. ये कामगार ज्यादातर एशियाई देशों से आते हैं और कृषि के क्षेत्र में काम करते हैं. वे कम वेतन पर ब्रोकली और जैतून की फसल काटते हैं. साथ ही, यूरोप के बाकी हिस्सों में निर्यात के लिए बेरी चुनते हैं. उदाहरण के लिए, ब्राजील के कई लोग हॉस्पिटैलिटी सेक्टर, रेस्तरां और कैफे में काम करते हैं. वहीं, अफ्रीका से आने वाले ज्यादातर श्रमिक निर्माण क्षेत्र में अहम योगदान देते हैं.

पुर्तगाल में धुर-दक्षिणपंथी शेगा पार्टी के नेता आंद्रे वेंतुरा चुनाव के बाद अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए. यह तस्वीर मार्च 2024 की है.
पुर्तगाल की धुर-दक्षिणपंथी पार्टी 'शेगा' ने इस साल हुए चुनाव में 50 संसदीय सीटें जीतीं. उसका जनाधार तेजी से बढ़ रहा हैतस्वीर: Andre Dias Nobre/AFP/Getty Images

लोकलुभावन पार्टी ने विदेशी श्रमिकों के खिलाफ जनता को भड़काया

पुर्तगाल में प्रवासी मजदूर आमतौर पर बिना जरूरी दस्तावेजों के आते रहे हैं. यहां आने के बाद उन्हें अक्सर कई वर्षों तक रेजिडेंस परमिट के लिए इंतजार करना पड़ता है. हालांकि, उन्हें अब तक इस दौरान काम करने के साथ-साथ टैक्स भरने और सामाजिक सुरक्षा योगदान के लिए भुगतान करने की अनुमति दी गई थी.

यूरोप के अन्य देशों की तरह, पुर्तगाल में भी अवैध अप्रवासन बहस का मुद्दा बन गया है. धुर-दक्षिणपंथी लोकलुभावन पार्टियां इस मुद्दे को और ज्यादा हवा दे रही हैं. पुर्तगाल की राष्ट्रवादी पार्टी 'शेगा' अपने इमिग्रेशन विरोधी एजेंडे के कारण तेजी से लोकप्रिय हो रही है. यह पार्टी इमिग्रेशन कोटा और यहां तक कि इस विषय पर जनमत संग्रह की मांग कर रही है.

इस बीच उप-मंत्री रुई आर्मिंडो फ्रेतस ने कहा कि सरकार अप्रवासियों की संख्या को कम नहीं करना चाहती है, बल्कि अप्रवासी कामगारों से जुड़े नियमों को स्पष्ट बनाना चाहती है. इससे दक्षिणपंथी पार्टियां 'इस मुद्दे का गलत फायदा' नहीं उठा पाएंगी. उनका मानना है कि नए नियम से पुर्तगाल आने वाले लोगों को अधिकार और सुरक्षा की गारंटी मिलेगी.

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उन्होंने बताया, "आने वाले लोगों को बेहतर सुविधा और माहौल देना जरूरी है. देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए विदेशी कामगारों की जरूरत है. नए नियम पुर्तगाल में आने वाले और पहले से यहां रह रहे प्रवासी कामगारों, दोनों के लिए अच्छे हैं."

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क्या इससे अवैध प्रवासन बढ़ सकता है?

फ्रेतस का कहना है कि नए नियम से यह फायदा होगा कि प्रवासी मजदूर मानव तस्करी का शिकार होने से बच जाएंगे. हालांकि, पिछले तीन महीनों में पुर्तगाल में काम करने के लिए दिए गए आवेदनों की संख्या में लगभग एक चौथाई की गिरावट आई है. गैर-सरकारी संगठनों की रिपोर्ट है कि कई विदेशी श्रमिक अवैध रूप से देश में प्रवेश कर रहे हैं.

गैर-लाभकारी संगठन सोलिडारिएडे इमिग्रेंट (सोलिम) अप्रवासियों के अधिकारों की रक्षा पर काम करने वाला एक संगठन है. इस संगठन से जुड़े अल्बर्टो मातोस का कहना है कि खेतों और रेस्तरांओं में काम करने वाले प्रवासी कामगार इसलिए आ रहे हैं कि देश की बढ़ती अर्थव्यवस्था में उनकी जरूरत है. उन्होंने डीडब्ल्यू से कहा, "अगर देश में आने के बाद ये प्रवासी जरूरी कागजात हासिल नहीं कर पाते हैं, तो बिना दस्तावेजों वाले प्रवासियों की संख्या बढ़ती रहेगी. ऐसी स्थिति में इमिग्रेशन से जुड़े नए नियम का उल्टा असर पड़ सकता है."