पुर्तगाल: भारतीय महिला की मौत, स्वास्थ्य मंत्री का इस्तीफा
१ सितम्बर २०२२मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक भारतीय महिला गर्भधारण के 31वें हफ्ते में थी जब सांस फूलने की शिकायत की वजह से उसे पुर्तगाल के प्रमुख अस्पतालों में से एक सांता मारिया अस्पताल ले जाया गया. लेकिन वहां नवजात शिशु वार्ड पूरी तरह से भरा हुआ था, इसलिए महिला को उपचार के बाद सेंट फ्रांसिस्को जेवियर अस्पताल भेज दिया गया.
लेकिन दूसरे अस्पताल पहुंचने के रास्ते में ही उन्हें दिल का दौरा पड़ा जिसके बाद अस्पताल पहुंचते ही उनका सिजेरियन ऑपरेशन किया गया. नवजात शिशु को तो अस्पताल में देखभाल के लिए भर्ती कर लिया गया लेकिन महिला को बचाया नहीं जा सका.
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक महिला की मृत्यु की जांच के आदेश दे दिए गए हैं, लेकिन इस घटना के बाद देश की स्वास्थ्य मंत्री मार्ता तेमिदो ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि तेमिदो को "एहसास हो गया था की वो अब पद पर बने रहने की हालत में नहीं हैं."
(पढ़ें: पुर्तगाल में भारतीय मूल के प्रधानमंत्री अब पूर्ण बहुमत से सरकार बनाएंगे)
एक पुरानी समस्या
तेमिदो ने हाल ही में देश भर में डॉक्टरों की कमी की वजह से सरकारी अस्पतालों में आपात प्रसूति सेवाएं अस्थायी रूप से बंद करवा दी थीं, जिसकी वजह से उन्हें काफी आलोचना का सामना करना पड़ा था. इन सेवाओं के बंद होने से गर्भवती महिलाओं को मुश्किल हालात में एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल जाने का जोखिम उठाना पड़ रहा था. ठीक ऐसी ही परिस्थितियों में भारतीय महिला की जान चली गई.
प्रधानमंत्री अंतोनियो कोस्ता ने तेमिदो का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है और उन्हें उनकी सेवाओं के लिए धन्यवाद दिया है. 48 वर्षीय तेमिदो अस्पताल प्रशासन की विशेषज्ञ हैं और 2018 से देश की स्वास्थ्य मंत्री थीं. कोविड-19 महामारी के दौरान वो सरकार के सबसे लोकप्रिय मंत्रियों में से थीं.
पुर्तगाल में लंबे समय से डॉक्टरों की कमी चल रही है जो गर्मियों की छुट्टियों और स्वास्थ्यकर्मियों में कोविड-19 के संक्रमण की वजह से और गहरा गई थी. भारतीय महिला से पहले कुछ पुर्तगाली महिलाओं के साथ भी हादसे हुए थे. जून में एक अस्पताल में एक नवजात शिशु की जान चली गई थी.
(पढ़ें: पुर्तगाल को पर्यटन उद्योग के बेहतर होने की उम्मीद)
स्पेन और दूसरे कुछ और देशों की तरह पुर्तगाल से भी हजारों डॉक्टर और नर्स बेहतर कमाई और बेहतर भविष्य के लिए अमीर देशों में जा कर बस गए हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में करीब 50 प्रतिशत प्रसूति विशेषज्ञ या तो निजी क्षेत्र के अस्पतालों में या विदेश में काम करते हैं. सरकारी अस्पतालों में काम करने वालों में से लगभग आधे 55 साल से ज्यादा की उम्र के हैं. इस उम्र से ज्यादा के कर्मियों को आपात सेवाएं देने से मना कर देने का कानूनी अधिकार प्राप्त है.
सीके/एए (रॉयटर्स, एपी)