तीन साल के भीतर ब्रिटेन को एक ही पार्टी के चौथे प्रधानमंत्री का इंतजार
2016 में ब्रिटेन ने ब्रेक्जिट के पक्ष में वोट डालकर यूरोपीय संघ से अलग होने का फैसला किया. तब से ब्रिटेन लगातार राजनीतिक तूफान झेल रहा है और एक के बाद एक प्रधानमंत्री तिनके की तरह उखड़ रहे हैं.
डेविड कैमरन
2010 में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनने वाले डेविड कैमरन के सामने जब दूसरा चुनाव आया तो उन्होंने वोटरों को लुभाने के लिए ब्रेक्जिट की मांग करने वालों का समर्थन कर दिया. कैमरन ने वादा किया कि अगर उनकी कंजर्वेटिव पार्टी सत्ता में आई तो ब्रेक्जिट पर जनमत संग्रह कराया जाएगा. कैमरन सत्ता में लौटे और जनमत संग्रह भी हुआ. नतीजे उम्मीद से बिल्कुल उलट आए और परिणामों ने कैमरन को इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया.
थेरेसा मे
कैमरन के बाद सत्ताधारी कंजर्वेटिव पार्टी ने थेरेसा मे को पीएम बनाया. मे खुद को मार्गारेट थैचर की तरह आयरन लेडी के रूप में पेश करती रहीं. यूरोपीय संघ से अलग होने की शर्तें क्या होंगी, इसे लेकर उन्होंने अपना प्लान पेश किया. हालांकि जब ब्रेक्जिट डील पर ईयू के साथ बातचीत शुरू होने लगी तो मे अपनी ही पार्टी के भीतर विलेन जैसी बन गईं. आखिरकार 2019 में उन्हें भी इस्तीफा देना पड़ा.
बोरिस जॉनसन
2019 के चुनावों में बोरिस जॉनसन की अगुवाई में कंजर्वेटिव पार्टी की जीत हुई. जॉनसन ने ब्रिटेन के लिए बेस्ट ब्रेक्जिट डील का वादा किया. जॉनसन ये वादा निभाने में काफी हद तक सफल भी रहे.लेकिन कोविड लॉकडाउन के दौरान जब लोग घरों में बंद थे, तब जॉनसन नियम तोड़कर पीएम आवास में पार्टियां कर रहे थे. विवाद इतना बढ़ा कि जॉनसन अपनी पार्टी में अलग थलग पड़ गए और सिंतबर 2022 में उन्हें इस्तीफा देना ही पड़ा.
लिज ट्रस
जॉनसन के इस्तीफे के बाद कंजर्वेटिव पार्टी के कई नेता पीएम बनना चाहते थे. आखिर में ट्रस का पलड़ा भारी साबित हुआ, वे प्रधानमंत्री बनीं, लेकिन छह हफ्ते के भीतर उन्हें अपने सारे लोकलुभावन वादों में यू टर्न लेना पड़ा. पार्टी के नेताओं ने आरोप लगाया कि जनता महंगाई से परेशान है और ट्रस के पास कोई प्लान नहीं है. 20 अक्टूबर 2022 को ट्रस ने भी अपने इस्तीफे का एलान कर दिया.
किसके सिर कांटों का ताज
कंजर्वेटिव पार्टी जब तक पीएम पद के लिए अगले नेता का चुनाव करेगी तब तक ट्रस पद पर बनीं रहेंगी. सवाल यह है कि अगला पीएम कौन होगा. भारतीय मूल के ऋषि सुनक का नाम चर्चा में है, लेकिन बोरिस जॉनसन के समर्थकों का धड़ा उनसे नाराज है. यह गुट मानता है कि सुनक ने जॉनसन को धोखा दिया. पीएम कोई भी बने, लेकिन यह तय है कि उन्हें भयानक महंगाई और ऊर्जा संकट के साथ साथ अपनी पार्टी के विरोधी गुटों को भी साधना होगा.