कौन हैं नाटो के नए प्रमुख मार्क रूटे
नीदरलैंड्स के पूर्व प्रधानमंत्री मार्क रुटे अब नाटो प्रमुख की भूमिका में हैं. उन्होंने ऐसे समय में यह पद संभाला है, जब शीत युद्ध खत्म होने के बाद नाटो अपने सबसे चुनौतीपूर्ण दौर में है.
खत्म हुआ येंस स्टोल्टेनबर्ग का कार्यकाल
नॉर्वे के प्रधानमंत्री रहे येंस स्टोल्टेनबर्ग अक्टूबर 2014 से नाटो महासचिव थे. यह एक दशक व्लादिमीर पुतिन की बढ़ती भूभागीय महत्वाकांक्षा की एक अहम टाइमलाइन है. स्टोल्टेनबर्ग के पद संभालने से ऐन पहले मार्च 2014 में रूस ने क्रीमिया पर हमला कर वहां कब्जा कर लिया था. इससे पहले 2008 में रूस ने जॉर्जिया पर भी हमला किया था, लेकिन यूक्रेन में उसकी मौजूदगी रूस को मुख्यभूमि यूरोप के बहुत पास ले आई.
मार्क रूटे के लिए भी रूस बड़ी चुनौती होगी
मार्क रूटे ने 1 अक्टूबर 2024 को नाटो प्रमुख का पदभार संभाला है. नाटो के लिए यह समय खासा मुश्किल है. ढाई साल बाद भी यूक्रेन युद्ध खत्म होता नहीं दिख रहा. यूरोपीय देशों की अंदरूनी राजनीति और आर्थिक चुनौतियों के कारण यूक्रेन को लंबे समय तक सैन्य और वित्तीय सहयोग देते रहना मुश्किल हो सकता है. इस बीच नाटो के रक्षा ढांचे को मजबूत बनाने के लिए बजट की भी चुनौती है.
राजनीति और प्रशासन का लंबा अनुभव
मार्क रूटे, नीदरलैंड्स की 'पीपल्स पार्टी फॉर फ्रीडम एंड डेमोक्रैसी' (वीवीडी) के नेता रहे हैं. उन्होंने 17 साल तक अपनी पार्टी का नेतृत्व किया. फिर 2010 में पहली बार प्रधानमंत्री बने और अगले 13 सालों में चार चार गठबंधन सरकारों का नेतृत्व किया. वह नीदरलैंड्स में सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहे हैं.
पिछले साल कहा था, राजनीति छोड़ देंगे
जुलाई 2023 में शरणागत नीति पर मतभेदों के कारण उनकी गठबंधन सरकार गिर गई. तब रूटे ने कहा कि वो अगला चुनाव नहीं लड़ेंगे और राजनीति से भी दूर हो जाएंगे. हालांकि, ऐसा हुआ नहीं. स्टोल्टेनबर्ग के पद छोड़ने के एलान के बाद रूटे ने नाटो प्रमुख बनने में दिलचस्पी दिखाई. महीनों तक अपनी उम्मीदवारी के समर्थन में अभियान चलाया. आखिरकार जून महीने में नाटो के अगले सेक्रेटरी जनरल के तौर पर उनका नाम पक्का हो गया.
क्यों कहलाते हैं "टेफलॉन मार्क"
मार्क रूटे राजनीति के माहिर खिलाड़ी हैं. कहा जाता है कि वह सीधी बातचीत में यकीन रखते हैं, वाकपटु भी हैं और व्यावहारिक नजरिया अपनाते हैं. वह राजनीति में मुश्किल दौर से पार पाने के लिए भी मशहूर हैं. इसीलिए कई लोग उन्हें "टेफलॉन मार्क" भी कहते हैं.
ट्रंप चुनाव जीत गए, तो क्या होगा?
नवंबर में होने जा रहे अमेरिका के आगामी राष्ट्रपति चुनाव में अगर डॉनल्ड ट्रंप जीतते हैं, तो रूटे को वाकपटुता और मुश्किल हालात में बातचीत जैसे गुणों की सख्त जरूरत पड़ सकती है. ट्रंप, नाटो की सख्त आलोचना करते रहे हैं और वह अमेरिका के नाटो छोड़ने पर विचार करने की धमकी भी दे चुके हैं.
यूक्रेन पर क्या रुख है रूटे का
मार्क रूटे यूक्रेन के बड़े समर्थक हैं और उसे सैन्य सहायता दिए जाने की पैरोकारी भी करते हैं. नाटो प्रमुख बनाए जाने में यह एक बड़ी वजह हो सकती है. हालांकि, खबरों के मुताबिक नाटो के मध्य और पूर्वी यूरोपीय देश रूटे की नियुक्ति से बहुत खुश नहीं थे. वॉशिंगटन पोस्ट की एक खबर के मुताबिक, कुछ देशों का कहना था कि इस माहौल में रूस के किसी पड़ोसी देश के नेता को नाटो चीफ बनाना बेहतर होता.
पीएम मोदी को तोहफे में साइकिल दी थी
मार्क रूटे की साइकिल चलाते हुए तस्वीर शायद आपने भी देखी हो! उनके बारे में चर्चा थी कि प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए वह साइकिल से ही अपने कार्यालय आते जाते हैं. जून 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक उनकी एक तस्वीर की भारत में खूब चर्चा हुई, जिसमें मोदी उनसे गिफ्ट में मिली एक साइकिल चलाते हुए दिख रहे हैं. एसएम/आरपी