कहां तक पहुंची है ईयू की ग्रीन डील
१७ मार्च २०२३धरती को गर्म होने से बचाने के लिए यूरोपीय संघ ने 2019 में एक वादा किया. ये वादा था, 2050 तक दुनिया का पहला क्लाइमेट न्यूट्रल महाद्वीप बनने का. कोरोना महामारी, यूक्रेन युद्ध और ऊर्जा संकट के बावजूद यूरोपीय संघ के नेता प्रदूषण को कम करने वाली नीतियों के लिए जोर लगा रहे हैं.
यूरोपीय ग्रीन डील के कुछ लक्ष्यों को कानूनी जामा पहनाने की कोशिश की जा रही है. कोरोना वायरस राहत पैकेज में भी हरित शर्तें जोड़ी जा रही हैं. स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं में आ रही बाधाओं को दूर किया जा रहा है. बर्लिन में क्लाइमेट थिंक टैंक E3G के समीक्षक पीटर दे पौस कहते हैं, "कोविड ने ग्रीन डील को खत्म नहीं किया, बल्कि इसने तो उसे और ज्यादा मजबूत किया है."
अगर यूरोप अपनी अर्थव्यवस्था को इको फ्रेंडली बना दे तो यह अमेरिका और चीन जैसे देशों के लिए भी एक सीख होगी. इससे अफ्रीका और एशिया के बड़े उत्सर्जकों को भी संदेश जाएगा कि यूरोप के अमीर उत्सर्जक, जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए गंभीर हैं. सवाल यह है कि ईयू इन लक्ष्यों को पूरा कैसे करेगा? इसके लिए उसे किस हद तक आगे जाना होगा?
यूरोपियन डाटा जर्नलिज्म नेटवर्क के मीडिया पार्टनरों के साथ डीडब्ल्यू, पांच सेक्टरों में यूरोपीय संघ की प्रगति पर नजर रख रहा है. नया डाटा आने पर इस आर्टिकल को अपडेट किया जाएगा.
उत्सर्जन: ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी
ईयू ने 1990 से अब तक अपने ग्रीनहाउस उत्सर्जन में करीब 30 फीसदी कटौती की है. इसकी मुख्य वजह है, कम कोयला जलाना. अब संघ इस दशक के अंत तक ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में 57 फीसदी कमी लाना चाहता है.
यूरोपीय आयोग के उपाध्यक्ष फ्रांस टिमेरमंस, ग्रीन डील के आर्किटेक्ट कहे जाते हैं. टिमेरमंस कहते हैं, "ईमानदारी से कहूं तो सच्चाई ये है कि दुनिया, तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस के दायरे में रोक पाने के रास्ते पर नहीं है." नंवबर में मिस्र के शर्म अल शेख में हुए कॉप27 जलवायु सम्मेलन में टिमेरमंस ने कहा, "हमें और ज्यादा महत्वाकांक्षा की जरूरत है."
नया लक्ष्य ज्यादा इच्छाशक्ति की मांग कर रहा है. ओरिजनल ग्रीन डील के मुताबिक इस सदी को अंत तक वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री पर रोकने के लिए ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में 55 फीसदी कमी करनी होगी. जलवायु पर रिसर्च करने वाली दो संस्थाओं के क्लाइमेट एक्शन ट्रैकर प्रोजेक्ट के मुताबिक, "इतने से काम नहीं चलेगा. उत्सर्जन को 62 फीसदी से भी ज्यादा कम करना होगा."
फिलहाल यूरोपीय संघ के सदस्य देशों की नीतियों को देखें तो यह उत्सर्जन 36-47 फीसदी ही कम हो सकेगा.
ऊर्जा: ज्यादा अक्षय ऊर्जा
यूरोपीय संघ अपनी ऊर्जा जरूरतों का 22 फीसदी हिस्सा अक्षय ऊर्जा स्रोतों से पूरा करता है. बीते साल संघ ने 2030 तक 40 फीसदी अक्षय ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा. इस लक्ष्य को तय करने के बाद यूक्रेन युद्ध शुरू हो गया. ऊर्जा संकट के बीच यूरोपीय संघ ने अक्षय ऊर्जा के लक्ष्य को पांच फीसदी और बढ़ाकर 45 फीसदी कर दिया.
यह प्रस्ताव कानूनी प्रक्रिया के दो चरण पार कर चुका है. हालांकि बात तभी आगे बढ़ेगी जब 40 फीसदी लक्ष्य पर सहमत हुए देश भी इस पर राजी हो जाएं.
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के यूक्रेन पर हमला करने के बाद से ही यूरोप, रूसी गैस पर अपनी निर्भरता खत्म करने की योजना बना रहा है. जर्मनी यूरोपीय संघ की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. रूसी गैस की सप्लाई बंद होने के बाद जर्मनी ने अपने बंद पड़े कोयला बिजलीघर फिर से चालू कर दिए. जर्मनी ने अफ्रीका और मध्य पूर्व के गैस उत्पादकों के साथ दशकों लंबे चलने वाले कॉन्ट्रैक्ट भी किए. गैस टैंकरों के जरिए आने वाली इस तरल प्राकृतिक गैस के लिए टर्मिनल भी बनाए जा रहे हैं. जिस वक्त जर्मनी गैस की सप्लाई पक्की कर रहा था, उसी वक्त यूरोपीय संघ के अन्य देश अक्षय ऊर्जा को बढ़ाने और ऐसा करने वाली कंपनियों की राह आसान करने के वादे कर रहे थे.
विशेषज्ञों को लगता है कि ज्यादा कोयला जलाने से प्रदूषण में इजाफा होगा. साथ ही, जीवाश्म ईंधन के लिए नया आधारभूत ढांचा बनाना भी उन्हें चिंतित कर रहा है. लगता है कि ये दोनों कदम 2030 तक 45 फीसदी अक्षय ऊर्जा को लक्ष्य को मुश्किल बनाएंगे.
बिजली: ज्यादा सौर और पवन ऊर्जा
उद्योग जगत को उम्मीद है कि यूरोपीय संघ अगले चार साल में 220 गीगावाट सौर ऊर्जा और 92 गीगावाट पवन ऊर्जा पैदा करने लगेगा. ऐसा हुआ तो अक्षय ऊर्जा स्रोतों से मिलने वाली बिजली सस्ती होगी. लंदन स्थित क्लाइमेट थिंक टैंक एम्बर के मुताबिक, अगर यूरोप ऐसा कर सका तो यह ग्लोबल वॉर्मिंग को डेढ़ डिग्री सेल्सियस के दायरे में रोकने में बड़ी सफलता होगी.
एम्बर की सोलर एनालिस्ट हैरिएट फॉक्स कहती है, "इस संकट से निकलने के लिए हमें बड़े पैमाने पर घर में पैदा की जाने वाली भरोसेमंद अक्षय ऊर्जा की जरूरत होगी. अगर ईयू अक्षय ऊर्जा के इस स्तर को हासिल करने के लिए गंभीर है तो इसमें कोई शक नहीं कि उद्योग जगत ये लक्ष्य हासिल नहीं कर सकेंगे."
पवन ऊर्जा के मामले में यह उत्साह आशंकाओं से भरा दिखता है. विंड फॉर्म बनाने की अनुमति लेने की प्रक्रिया लंबी और जटिल है. नवंबर 2022 में ईयू के सदस्य देशों ने परमिट देने की अवधि कम करने पर सहमति जताई. इसका मतलब है कि प्रोजेक्टों के पर्यावरण पर पड़ने वाले असर का अध्ययन, प्लानिंग और निर्माण के कुछ चरण घटाए जाएंगे.
इमारतें: बिना गैस के घरों को गर्म करना
यूरोपीय संघ ज्यादा से ज्यादा इमारतों को इको फ्रेंडली बनाना चाहता है. अपने प्रपोजल में यूरोपीय आयोग ने 2027 से हर नई पब्लिक और कर्मशियल बिल्डिंग पर सोलर पैनल लगाने का तर्क दिया है. ऐसी पुरानी इमारतों को 2028 से सोलर पैनलों से कवर किया जाएगा. रिहाइशी इमारतों पर यह नियम 2030 से लागू करने की योजना है.
इमारतों के डिजायन और निर्माण के तरीके में भी बदलाव किया जाएगा ताकि अक्षय ऊर्जा पैदा हो और पूरा ढांचा किफायती बने. फिलहाल यूरोपीय संघ के ज्यादातर देशों में इमारतों को गर्म रखने के लिए गैस या ऑयल बॉयलरों का इस्तेमाल होता है. भविष्य में इनकी जगह इलेक्ट्रिक हीटिंग पंप ले सकते हैं.
यूरोपीय आयोग की मॉडलिंग दिखाती है कि इस दशक के अंत तक अक्षय ऊर्जा से चलने वाले हीटिंग पंपों की संख्या करीब तिगुनी करनी होगी. इमारतों को डिकार्बनाइज करने पर काम करने वाले गैर सरकारी संगठन, रेग्युलेट्री असिस्टेंस प्रोजेक्ट के मुताबिक, बॉयलरों को इलेक्ट्रिक हीटिंग पंपों से बदलने की रफ्तार अभी से दोगुनी करनी होगी. महंगी गैस ने हीट पंपों की डिमांड बहुत बढ़ा दी है, लेकिन हीटिंग पंप इंस्टॉल करने वाले कुशल कामगारों की कमी एक बड़ी समस्या बनी हुई है.
ट्रांसपोर्ट: बिना तेल के ड्राइविंग
यूरोपीय संघ 2030 तक नई कारों से होने वाले सीओटू उत्सर्जन को 55 फीसदी घटाना चाहता है. 2035 में इसे शून्य तक लाने का लक्ष्य है. स्वच्छ परिवहन के जरिए इसे हासिल किया जा सकता है. फिलहाल ट्रांसपोर्ट ही एक ऐसा सेक्टर है जहां, ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन बीते 30 साल में लगातार बढ़ा है. जर्मनी और इटली समेत यूरोपय संघ के कुछ अन्य देशों ने इस लक्ष्य का विरोध किया है.
विशेषज्ञों का कहना है कि यह लक्ष्य हासिल किया जा सकता है. इलेक्ट्रिक गाड़ियों की मांग बढ़ रही है. 2020 में ईयू में ई-कारों की बिक्री 11 फीसदी थी. 2021 में यह 18 फीसदी हो गई.
कारों के बजाए बसों और ट्रेनों का ज्यादा इस्तेमाल करना, पैदल चलने वालों और साइकिल सवारों को बढ़ावा देना भी इस लक्ष्य को हासिल करने में मददगार हो सकता है.
कृषि: खेती के तौर तरीकों में बड़ा बदलाव
खेती के तौर तरीकों में बदलाव के मामले में यूरोपीय संघ की प्रगति बहुत धीमी है. यूरोपीय संघ में खेती 10 फीसदी ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार है. यह उत्सर्जन कई तरीकों से होता है, जैसे गायों की डकार से मीथेन और खाद से नाइट्रस ऑक्साइड का उत्सर्जन.
यूरोपीय संघ में कृषि क्षेत्र के दो तिहाई उत्सर्जन के लिए पशुपालन जिम्मेदार है. संघ चाहता है कि गायों के लिए बेहतर चारा विकसित किया जाए. गायें जितनी कम डकार मारेंगी, मीथेन का उत्सर्जन उतना घटेगा. सोयाबीन पर निर्भरता कम करने का प्लान भी है. दुनिया भर में सोयाबीन उगाने के लिए भी बड़े पैमाने पर जंगल साफ किए जा चुके हैं. संघ का कहना है कि यह बदलाव रातोंरात और लोगों को खानपान की आदतें बदले बिना नहीं हो सकेंगे.