दुनिया के किन-किन देशों में हो रहे हैं विरोध-प्रदर्शन
दुनिया के कई ऐसे देश हैं जहां सरकार विरोधी प्रदर्शन हो रहे हैं. प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों की झड़प में लोग मारे भी जा रहे हैं.
हांगकांग
हांगकांग में जून 2019 से लोग लोकतांत्रिक प्रशासन की मांग कर रहे हैं. कई बार हांगकांग में उग्र प्रदर्शन हुए जिसमें कई लोग घायल भी हुए. हांगकांग के कई इलाकों में छात्र,आम लोग प्रदर्शन में शामिल हो रहे हैं. हांगकांग के लोग शहर में चीन के दखल का विरोध कर रहे हैं. 1997 से हांगकांग में एक देश दो व्यवस्था के फॉर्मूले पर शासन चल रहा है.
लेबनान
लेबनान में लोग भ्रष्टाचार के खिलाफ और स्वच्छ प्रशासन की मांग पर अक्टूबर से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. हालांकि लेबनान के प्रधानमंत्री साद अल हरीरी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है लेकिन लोग देश में व्यापक बदलाव की मांग कर रहे हैं. बीते दिनों बेरूत समेत कई शहरों में प्रदर्शनकारियों और हिज्बुल्लाह गुट के समर्थकों के बीच हिंसक झड़प भी हुई.
ईरान
पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी से नाराज लोग सड़क पर उतर आए और सरकार के खिलाफ उग्र विरोध प्रदर्शन किया. मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल का कहना है कि उसने 143 लोगों की मौत दर्ज की हैं, ईरान ने इन आंकड़ों से इनकार किया है. वहीं ईरान के सुप्रीम नेता अयातोल्लाह अली खमेनेई का कहना है कि विरोध प्रदर्शन बड़ी "साजिश" का हिस्सा था, लेकिन इसको लेकर उन्होंने कोई सबूत पेश नहीं किए.
इराक
इराक में सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों ने टायर जलाकर रास्ते जाम कर दिए और स्कूल, कॉलेज और सरकारी दफ्तरों में काम काज बंद कर दिए गए. इराक में बीते कुछ दिनों से जो प्रदर्शन हो रहे हैं वैसा प्रदर्शन कई दशकों में नहीं हुआ है. इराक में इन प्रदर्शनों में 350 लोगों की मौत हो चुकी है. अक्टूबर की शुरुआत से ही इराक में विरोध के स्वर उठने लगे.
पाकिस्तान
पाकिस्तान में प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ धार्मिक नेता फजलुर रहमान ने लाखों लोगों के साथ विरोध प्रदर्शन किया और इमरान खान का इस्तीफा मांगा. फजलुर रहमान ने आरोप लगाया कि इमरान ने चुनाव में गड़बड़ी कर पद हासिल किया. रहमान को इमरान के विरोधी दलों का भी समर्थन मिला. करीब 14 दिनों तक प्रदर्शन करने के बाद रहमान ने अपने समर्थकों के साथ प्रदर्शन वापस ले लिया.
कोलंबिया
कोलंबिया में 21 नवंबर 2019 से सरकार विरोधी प्रदर्शन हो रहे हैं. सरकार के खिलाफ 21 नवंबर को करीब ढाई लाख लोग सड़क पर उतर आए. लाखों लोगों ने अर्थव्यवस्था, पुलिस हिंसा और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर विरोध दर्ज कराया. असल में आर्थिक सुधारों में युवाओं के लिए न्यूनतम वेतन में कटौती की सिफारिश ने गुस्से को और भड़काने का काम किया.
जॉर्जिया
जॉर्जिया की राजधानी टिबिलिसी में हजारों लोग राष्ट्रीय ध्वज और ईयू के झंडे के साथ प्रदर्शन कर सरकार से इस्तीफे की मांग की. चुनाव में सुधारों की मांग को लेकर लोगों ने संसद को घेरने की कोशिश की और दंगा रोधी पुलिस से जा भिड़े. हालांकि चुनाव सुधार 2024 में होना है लेकिन विपक्ष की मांग है कि वह जल्द हो. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वह लोकतंत्र के लिए सड़कों पर उतरे हैं.
चिली
चिली में प्रदर्शन के कारण भी वही हैं जो दूसरे देशों में हैं जैसे महंगाई, आर्थिक सुधार, वेतन में बढ़ोतरी. मेट्रो रेल किराये में बढ़ोतरी के बाद राजधानी संतिआगो में लोग भड़क उठे और हिंसा पर उतर आए. सुरक्षाकर्मियों से हिंसक झड़प में अब तक 26 लोगों की मौत हो चुकी है. वहां हालात अब भी तनावपूर्ण बने हुए हैं.
सूडान
सूडान में पिछले साल दिसंबर में प्रदर्शन की शुरुआत हुई थी. तख्तापलट से पहले सत्ता पर काबिज ओमर अल बशीर ने ब्रेड और तेल पर मिलने वाली सब्सिडी में कटौती कर दी थी, इसके बाद लोगों का गुस्सा भड़क गया. सैन्य परिषद और प्रदर्शनकारियों के बीच 39 महीने के लिए सत्ता में साझेदारी करने पर अगस्त में सहमति बनी.