भारत की स्कूली शिक्षा का कैसा है हाल
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने साल 2018-19 और 2019-20 के लिए जिलावार परफॉर्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स पर पहली रिपोर्ट जारी की है. यह जिला स्तर पर स्कूली शिक्षा प्रणाली पर रोशनी डालती है.
क्या है रिपोर्ट
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने 2018-19 और 2019-20 के लिए जिला निष्पादन ग्रेडिंग सूचकांक (पीजीआई-डी) रिपोर्ट जारी की है. यह जिला स्तर पर स्कूल शिक्षा का आकलन करती है. जिला आधारित स्कूल परफॉर्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स के तहत एक इंडेक्स बनाकर स्कूली शिक्षा प्रणाली के प्रदर्शन का व्यापक विश्लेषण के आधार पर मूल्यांकन किया गया.
राजस्थान अव्वल
जिला निष्पादन ग्रेडिंग सूचकांक (पीजीआई-डी) में राजस्थान के सीकर जिले ने सबसे अच्छा प्रदर्शन किया है, जिसके बाद झुंझुनू और जयपुर जिले का नंबर है. रिपोर्ट में इन तीन जिलों ने 100 के स्केल पर 81-90 अंक हासिल करके 'उत्कर्ष' ग्रेड हासिल किया. इस रिपोर्ट के मुताबिक विभिन्न श्रेणियों में राजस्थान के तीन जिले स्कूली शिक्षा में प्रदर्शन में अग्रणी है.
उच्चतम श्रेणी में एक भी जिला नहीं
जहां राजस्थान के तीन जिलों ने उत्कर्ष श्रेणी में जगह हासिल की है वहीं उच्चतम श्रेणी में देश के किसी भी जिले ने जगह नहीं बनाई है. 90 प्रतिशत से अधिक अंक हासिल करने वाले जिलों के लिए उच्चतम ग्रेड ‘दक्ष’ दिया जाता है.
डिजिटल लर्निंग में स्कूलों की हालत खराब
2019-20 के लिए जिलों के पीजीआई-डी से पता चलता है कि देश भर के स्कूलों ने डिजिटल लर्निंग की श्रेणी के तहत खराब प्रदर्शन किया. जिसने इंडेक्स बनाते समय विचार किए गए अन्य मापदंडों की तुलना में सबसे कम स्कोर किया.
180 जिलों ने 10 फीसदी से कम स्कोर किया
इंडेक्स में 180 जिलों ने डिजिटल लर्निंग पर 10 प्रतिशत से कम स्कोर किया है. 146 जिलों ने 11 से 20 प्रतिशत, जबकि 125 जिलों ने 21 से 30 प्रतिशत के बीच अंक हासिल किया.
डिजिटल लर्निंग में गांवों और शहरों में अंतर
शिक्षा मंत्रालय की यह रिपोर्ट डिजिटल लर्निंग के क्षेत्र में साफ तौर पर ग्रामीण-शहरी विभाजन को भी रेखांकित करती है. उदाहरण के लिए चंडीगढ़ और दिल्ली जैसे शहरों के जिलों ने 50 में से 25 से 35 के बीच अंक हासिल किए, जबकि बिहार के अररिया और किशनगंज शहरों ने 2 से कम स्कोर किया.