कार्बन को दबाकर ग्लोबल वार्मिंग से लड़ने की नई तकनीक
५ फ़रवरी २०२१दक्षिण-पश्चिम आइसलैंड में एक बंजर पहाड़ी पर हवा से कार्बन डाइऑक्साइड को खींचकर जमीन के नीचे गहरे पत्थर में दबाने के लिए संयंत्र लगाए जा रहे हैं. यह ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से निजात पाने का एक तरीका है. हालांकि अभी भी यह काफी खर्चीला है. जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए इंजीनियरिंग उपाय 2021 में निवेशकों का ध्यान आकर्षित कर रही है और निवेश आकर्षित कर रही है. माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों के साथ-साथ चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ के नेता "नेट जीरो" उत्सर्जन लक्ष्यों को पाने के लिए दीर्घकालिक योजनाओं पर काम कर रहे हैं. टेस्ला कंपनी के प्रमुख और अरबपति उद्यमी इलॉन मस्क ने कहा है कि वह "कार्बन को सोखने की सबसे अच्छी तकनीक" के लिए 10 करोड़ डॉलर का पुरस्कार देंगे.
आलोचकों का जंगल लगाने पर जोर
रेक्याविक एनर्जी की इकाई कार्बफिक्स के लिए आइसलैंड की साइट बनाने वाली स्विस फर्म क्लाइमवर्क का कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन जिसे "जलवायु संकट" कहते हैं, उसे सीमित करने के लिए तकनीकी सुधार की जरूरत है. हालांकि, आलोचकों का कहना है कि उत्सर्जन को कम करने या मौजूदा जंगलों की रक्षा करने और नए पेड़ लगाने की तुलना में वायुमंडल में मौजूद उत्सर्जन को "डाइरेक्ट एयर कैप्चर" (डीएसी) करना काफी खर्चीला है.
वैज्ञानिकों का कहना है कि जैसे ही कार्बन बढ़ते हैं, पेड़ हवा से कार्बन डाइऑक्साइड सोख लेते हैं जिससे वातावरण में कार्बन की मात्रा कम होती है. वे इस बात पर जोर देते हैं कि नए वृक्षारोपण की तुलना में पुराने पेड़ ज्यादा प्रभावी होते हैं. क्लाइमवर्क के डायरेक्टर और सह-संस्थापक यान वुर्त्सबाखर कहते हैं, "ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिए हमें ज्यादा से ज्यादा जंगल लगाने चाहिए और उनकी सुरक्षा करनी चाहिए, लेकिन हम ये या वो से आगे लिकल आए हैं.”
4000 टन तक कार्बन सोखने की क्षमता
फिलहाल, आइसलैंड का संयंत्र 50 टन कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है और इसे इकट्ठा करता है. अब कार्बन को सोखने की क्षमता बढ़ाकर 4,000 टन तक की जा रही है. कंपनी आठ कार्बन कलेक्टर स्थापित कर रही है. हर एक कलेक्टर मोटे तौर पर एक शिपिंग कंटेनर के आकार का होता है. इस संयंत्र में लगे पंखे एक विशेष फिल्टर की मदद से कार्बन डाइऑक्साइड को अलग करते हैं. कार्बफिक्स, पानी के साथ कार्बन को मिलाता है जिससे हल्का एसिड बनता है. इस एसिड को बाद में जमीन में 800 से 2,000 मीटर नीचे बेसाल्ट चट्टान में पहुंचा दिया जाता है.
कार्बफिक्स की सीईओ एडा सिफ अराडोटिर कहती हैं कि दो साल के भीतर, जमीन में दबाए गए कार्बन डाइऑक्साइड का 95% हिस्सा पत्थर में बदल गया. हालांकि, सोखी गई कुल हवा में महज 0.04 प्रतिशत हिस्सा कार्बन डाइऑक्साइड का होता है. इसलिए, इसे सोखने और संग्रहित करने की प्रक्रिया काफी जटिल होती है. इसमें काफी ज्यादा उर्जा भी लगती है. आइसलैंड में भूतापीय उर्जा सस्ती है, इसलिए यहां इस प्रक्रिया को यहां अपनाया जा सकता है.
अमेरिकी भुगतान कंपनी स्ट्राइप ने पिछले साल कहा कि हवा से 322 टन कार्बन डाइऑक्साइड निकालने के लिए क्लाइमवर्क को 775 डॉलर प्रति टन का भुगतान करेगा. माइक्रोसॉफ्ट ने जनवरी के अंत में कहा था कि कंपनी 1,400 टन कार्बन को जमीन में दबाने के लिए क्लाइमवर्क में निवेश करेगी, लेकिन क्लाइमवर्क ने प्रति टन कीमत बताने से इनकार कर दिया.
माइक्रोसॉफ्ट में कार्बन हटाने से जुड़े काम की जिम्मेवार एलिजाबेथ विल्मोट ने कहा, "क्लाइमवर्क की ‘डाइरेक्ट एयर कैप्चर टेक्नोलॉजी‘, कार्बन हटाने के हमारे प्रयासों के प्रमुख घटक के रूप में काम करेगी." माइक्रोसॉफ्ट ने पिछले साल कहा था कि कंपनी 2030 तक "कार्बन नेगेटिव" बन जाएगी और स्थापना (1975) के बाद से कंपनी की ओर से पैदा सभी कार्बन को 2050 तक हटा दिया जाएगा."
कार्बन से ईंधन बनाने की पहल
कनाडा स्थित कंपनी कार्बन इंजीनियरिंग भी हवा से कार्बन सोखने पर काम करती है. यह कंपनी कार्बन से ईंधन बनाती है. कंपनी का कहना है कि वह अपने पार्टनर के साथ मिलकर एक साल में दस लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड को सोखने के लिए डाइरेक्ट एयर कैप्चर डीएसी पर काम कर रही है. यह "4 करोड़ पेड़ों के काम के बराबर है.”
क्लाइमवर्क कंपनी आइसलैंड में संयंत्र के अलावा, स्विट्जरलैंड में भी एक संयंत्र संचालित करती है जो हवा से एक वर्ष में 1,000 टन कार्बन डाइऑक्साइड को सोखने करने में सक्षम है. इसके बाद, गैस को स्थानीय ग्रीनहाउस को बेचा जाता है, जहां यह पौधों को बढ़ाने में मदद करता है.
कार्बन कम करने का खर्चीला माध्यम
वुर्त्सबाखर कहते हैं, "उच्च लागत सभी डीएसी फर्मों के लिए एक सिरदर्द है. प्रति टन कार्बन डाइऑक्साइड के खर्च को 200 डॉलर से नीचे लाना महत्वपूर्ण है. कैलिफोर्निया राज्य डीएसी कार्बन से बने यातायात में इस्तेमाल होने वाले ईंधन के लिए अनुदान देता है.” कारों या ट्रकों में इस्तेमाल होने वाले ईंधन बनाने के लिए प्रति टन 200 डॉलर की प्रोत्साहन राशि डीएसी को विकसित करने में मदद कर सकती है. इसमें कार्बन को जमीन में पहुंचाना भी शामिल है.
अरोडोटिर ने कहा कि कार्बन को पत्थर में बदलना एक ऐसा समाधान है जो लाखों वर्षों के लिए ग्रीनहाउस गैसों को जमीन के अंदर दफन कर देगा. यह वृक्षारोपण की तुलना में अधिक स्थायी है. वृक्षारोपण कई वजहों से प्रभावित होते हैं. इनमें, जलवायु परिवर्तन की वजह सूखा पड़ने, तापमान बढ़ने से जंगल में लगने वाली आग, और समुद्र का जलस्तर बढ़ना शामिल है. साथ ही, खेती या अन्य गतिविधियों के लिए पेड़ की कटाई से भी वृक्षारोपण पर प्रभाव पड़ता है. उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि कोरोना के बावजूद नया प्लांट अप्रैल या मई महीने तक तैयार हो जाएगा और कार्बन को सोखने की प्रक्रिया चालू हो जाएगी.
इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (आईईए) ने पिछले साल एक रिपोर्ट में कहा था कि यूरोप, संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में 15 डीएसी संयंत्र काम कर रहे थे और साल भर में 9,000 टन से अधिक कार्बन डाइऑक्साइड सोख रहे थे. हालांकि, यह विश्व में उत्सर्जित होने वाले कार्बन का एक छोटा सा हिस्सा है जो सिर्फ 600 अमेरिकियों के वार्षिक उत्सर्जन के बराबर है. आईईए की रिपोर्ट में कहा गया, "और अधिक प्रयासों की जरूरत है."
भविष्य की संभावनाएं
ग्रीनपीस यूके की एक रिपोर्ट में पिछले महीने डीएसी टेक्नोलॉजी पर संदेह करते हुए कहा गया था कि वे "बहुत शुरुआती चरण में और बेहद महंगी" है. "इसका भविष्य काल्पनिक है." यूएन वैज्ञानिक रिपोर्टों में कार्बन के ‘डाइरेक्ट कैप्चर' को जियोइंजीनियरिंग के तौर पर माना गया या जलवायु परिवर्तन के खतरों से निपटने के लिए पृथ्वी की प्रणालियों में बदलाव के तौर पर देखा गया. जो इसे ‘काल्पनिक तकनीक' की श्रेणी में रखता है.
हालांकि, 2018 के बाद से, डीएसी को "कम करना” या उत्सर्जन में कटौती के तौर पर फिर से वर्गीकृत किया गया है. विज्ञान से जुड़ी नई रिपोर्ट बताती हैं कि वातावरण में प्राकृतिक तरीके या तकनीक से, कार्बन में कुछ हद तक की वृद्धि को अब रोका नहीं जा सकता. हर जगह कार्बन को जमीन के नीचे ले जाना संभव नहीं है. अराडोटिर कहती हैं, "लगभग 5% महाद्वीपों में इस प्रक्रिया के लिए उपयुक्त बेडरॉक है. हालांकि, समुद्र तल की विशाल चौड़ी पट्टी भी इस काम के लिए इस्तेमाल की जा सकती है.” 2014 से लेकर अब तक, कार्बनफिक्स ने भू-तापीय ऊर्जा संयंत्र की मदद से 65,000 टन से अधिक कार्बन डाइऑक्साइड को जमीन के नीचे दबा दिया है.
आरआर/एमजे (रॉयटर्स थॉमसन फाउंडेशन)
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