कोरोना काल में अंतिम संस्कार का भी संकट
२ जून २०२०देश की राजधानी दिल्ली के सबसे बड़े श्मशान घाट निगमबोध घाट के बाहर एंबुलेंस की कतार लगी हुई है. दिल्ली में कोरोना वायरस के कारण मृतकों की संख्या लगातार बढ़ रही है. भारत अब करीब दो लाख मामलों के साथ दुनिया में सातवें स्थान पर पहुंच गया है. भारत में 2 जून तक कोविड-19 के कारण 5,598 मरीजों की मौत हो चुकी है और पिछले 24 घंटे के भीतर 8,171 नए मामले सामने आए हैं. सरकार ने एक जून से पाबंदियों में बहुत सारी ढील दी हैं लेकिन इस बीच इस महामारी के कारण अंतिम संस्कार को लेकर भी चिंताजनक हालात हैं. देश में कोरोना से मृतकों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है.
दिल्ली के सबसे बड़े श्मशानघाट निगम बोध घाट पर कोविड-19 के कारण मृतकों के अंतिम संस्कार की संख्या बढ़ती जा रही है. यमुना नदी के किनारे बने इस श्मशानघाट पर मौजूद रिश्तेदारों और कर्मचारियों का कहना है कि मृतकों के शव को संभालने में प्रशिक्षित चिकित्साकर्मियों की कमी के कारण अंतिम संस्कार में देरी हो रही है. कोविड-19 के कारण एक मृतक के भाई सुरेंद्र मोहन गुप्ता ने कहा कि परिवार ने निजी एंबुलेंस कंपनी को 20,000 रुपये शव लाने के लिए दिए. मृतक विरेंद्र गुप्ता के भाई सुरेंद्र गुप्ता कहते हैं, "निजी एंबुलेंसी बहुत महंगी है. फिर भी हमें सेवा लेनी पड़ रही है." दूसरी तरफ परिवार के अन्य सदस्यों की अंतिम संस्कार में देरी को लेकर कर्मचारियों से बहस हो रही है.
निगम बोध घाट के बाहर एक एंबुलेंस के ड्राइवर ने बताया कि किस तरह से अंतिम संस्कार में देरी हो रही हैं और शवों का आखिरी समय में भी इंतजार करना पड़ रहा है. एंबुलेंस ड्राइवर जय कुमार कहते हैं, "शव को नंबर आने तक एंबुलेंस में ही रखना पड़ता है. कई बार तो मुझे पांच घंटे तक इंतजार करना पड़ता है."
एक अंग्रेजी अखबार ने 28 मई को एक रिपोर्ट छापी थी जिसके मुताबिक श्मशान घाट को आठ शव वापस अस्पताल भेजने पड़े थे क्योंकि कई इलेक्ट्रिक शवदाह काम नहीं कर रहे थे. इसके बाद से ही श्मशान घाट ने शवदाह का पारंपरिक तरीका अपना लिया है जिसमें लकड़ी का इस्तेमाल होता है. अब इस श्मशान घाट में रोजाना 20 शवों का अंतिम संस्कार इसी तरीके से हो रहा है.
एए/सीके (रॉयटर्स)
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