रूस ने डॉयचे वेले का मॉस्को ब्यूरो बंद किया
४ फ़रवरी २०२२रूस ने मॉस्को में डॉयचे वेले का स्टूडियो बंद कर दिया है और कर्मचारियों को पत्रकार होने के नाते मिले अधिकार छीन लिए हैं. संस्थान ने इसे अनावश्यक प्रतिक्रिया बताते हुए कानूनी चुनौती देने की बात कही है.
गुरुवार को रूस ने कहा कि जर्मनी के प्रसारक डॉयचे वेले का मॉस्को दफ्तर बंद किया जा रहा है और देशभर के उसके कर्मचारियों के अधिकार वापस लिए जा रहे हैं. रूसी विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि रूसी क्षेत्र में डीडबल्यू के उपग्रह और अन्य प्रसारण भी बंद किए जा रहे हैं. एक दिन पहले ही अमेरिका ने जर्मनी में और सैनिक भेजने का ऐलान किया था. (पढ़ेंः जर्मनी और पोलैंड में दो हजार और सैनिक तैनात करेगा अमेरिका)
रूसी चैनल पर रोक की प्रतिक्रिया
पिछले हफ्ते जर्मनी ने रूस के सरकारी चैनल आरटी के जर्मन भाषी कार्यक्रमों पर रोक लगा दी थी. रूस ने इसे अभिव्यक्ति और मीडिया की आजादी पर हमला बताया था और इस कदम की आलोचना की थी. उसने कहा कि इस फैसले में शामिल अधिकारियों पर उसके यहां आने पर प्रतिबंध लगाया जाएगा.
गुरुवार को रूस की सरकार ने डॉयचे वेले के खिलाफ कई कड़े कदम उठाने का ऐलान किया. उसने कहा कि डॉयचे वेले को एक ऐसे विदेशी मीडिया संस्थान के रूप में वर्गीकृत करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी जो विदेशी एजेंट वाले काम करता है. अगर ऐसा किया जाता है तो डीडबल्यू को रूस में और अधिक जांच-पड़ताल से गुजरना होगा.
बाद में देश की संसद के निचले सदन ड्यूमा ने आधिकारिक तौर पर डॉयचे वेले के पत्रकारों को परिसर में आने और आयोजन की कवरेज करने से प्रतिबंधित कर दिया. रूस के इस कदम की जर्मनी में कड़ी प्रतिक्रिया हुई है.
‘अनावश्यक प्रतिक्रिया'
रूस के कदम को ‘अनावश्यक प्रतिक्रिया' बताते हुए डॉयचे वेले के महानिदेशक पीटर लिम्बर्ग ने कहा कि यह फैसला रूस में हो रही घटनाओं के बारे में लिखने की संस्थान की प्रतिबद्धता को और मजबूत करेगा.
एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, "यह एक और संकेत है जो दिखाता है कि रूस की सरकार मीडिया की आजादी और विचारों की आजादी में विश्वास नहीं रखती. अगर हमें देश छोड़ना भी पड़ा, तो भी हम रूस पर अपनी रिपोर्टिंग को और गहन करेंगे. रूस में जो हो रहा है उसे हम नजरअंदाज नहीं करेंगे. हम उसके बारे में लिखेंगे. हम ऐसा और ज्यादा करेंगे.”
लिम्बर्ग ने कहा कि रूस के कदम को जर्मनी की प्रतिक्रिया में उठाया हुआ कदम नहीं माना जा सकता क्योंकि रूसी पत्रकारों को अब भी जर्मनी में काम करने की इजाजत है और आरटी व डॉयचे वेले में मूल फर्क यह है कि आरटी एक सरकारी संस्थान है जबकि एक डीडबल्यू एक सार्वजनिक सेवा संस्थान है.
डीडबल्यू महानिदेशक ने कहा, "हम रूस की ओर से कुछ कदमों की तो उम्मीद कर रहे थे लेकिन यह रूसी सरकार द्वारा पूरी तरह अनावश्यक प्रतिक्रिया है.” उन्होंने कहा कि इस फैसले को पलटने के लिए डीडबल्यू कानूनी उपायों पर विचार करेगा.
मॉस्को में डीडबल्यू के ब्यूरो प्रमुख यूरी रेषेतो ने कहा कि उन्हें शुक्रवार सुबह दफ्तर बंद करने कर्मचारियों के पहचान पत्र लौटाने को कहा गया है. रेषेतो ने बताया, "हम स्तंभित हैं. हम सबके लिए यह एक निजी समाचार है. इस वक्त बहुत सारे सवाल अनुत्तरित हैं. तकनीकी सवाल हैं, कानूनी सवाल हैं.”
तनाव बढ़ेगाः जर्मनी
जर्मन विदेश मंत्रालय ने कहा है कि रूस के इस फैसले से जर्मनी और रूस के संबंधों में तनाव और बढ़ेगा. मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने एक बयान जारी कर कहा, "रूस की सरकार ने आज डॉयचे वेले के खिलाफ जो कदम उठाया है, वह निराधार है और जर्मन-रूस संबंधों में नए तनाव का संकेत है. अगर यह कदम असल में लागू किए जाते हैं तो रूस में निष्पक्ष पत्रकारों के काम पर और ज्यादा पाबंदियां लगेंगी, जो तनाव के समय में खासतौर पर जरूरी होता है.”
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जर्मनी की संस्कृति और मीडिया मंत्री क्लॉउडिया रॉथ ने भी रूस के फैसले की आलोचना की है. उन्होंने कहा, "रूस में डॉयचे वेले के प्रसारण पर प्रतिबंध और मॉस्को में उसके दफ्तर की तालाबंदी अस्वीकार्य है. डॉयचे वेले एक स्वतंत्र संस्थान है. इसका अर्थ है कि आरटी (जर्मन) के उलट जर्मनी की सरकार इसके कार्यक्रमों पर किसी तरह का प्रभाव नहीं रखती. इसलिए मैं रूसी पक्ष से आग्रह करती हूं कि आरटी के लाइसेंसिंग को लेकर हुई समस्या का इस्तेमाल राजनीति के लिए ना करे.”
वीके/सीके (एएफपी, रॉयटर्स, इंटरफैक्स, डीपीए, एपी)