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विवादयूरोप

क्या रूस यूक्रेन पर हमले की तैयारी कर रहा है

२२ जनवरी २०२२

एक लाख से ज्यादा रूसी सैनिकों ने यूक्रेन को तीन तरफ से घेरा हुआ है. चेतावनियों के बीच अमेरिका समेत कुछ देशों ने यूक्रेन को हथियार दिए हैं.

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क्रीमिया में टैंक दस्ते के साथ रूसी सेनातस्वीर: Russian Defense Ministry Press Service/AP/picture alliance

अमेरिका और उसके सहयोगी लगातार यह अनुमान लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि रूस अब आगे क्या करेगा. कुछ अमेरिकी विशेषज्ञों को लगता है कि भारी बर्फबारी होते ही रूसी सेना अपनी भारी-भरकम मशीनों के साथ पूर्वी यूक्रेन में घुस सकती है. कड़ाके की सर्दी में इलाके की कुछ नदियां जम जाएंगी, फिर रूसी सेना उन्हें सड़क मार्ग की तरह इस्तेमाल कर सकती है. पूर्वी यूक्रेन में रूस समर्थकों की अच्छी-खासी संख्या है. यह आबादी भी रूस की मदद करेगी.

वहीं कुछ विशेषज्ञों को लग रहा है कि रूस सिर्फ दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है. रूसी विदेश नीति के जानकार फियोडोर लुकयानोव कहते हैं, "बहुत ज्यादा तनाव बढ़ने के बाद ही असली बातचीत और पैर पीछे खींचने जैसी कोशिशों के लिए जगह बनेगी."

यूक्रेन को लेकर बढ़ते तनाव के बीच इसी हफ्ते रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन की अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से टेलीफोन पर बातचीत भी हो चुकी है. उस बातचीत में भी यूक्रेन ही मुख्य मुद्दा था. जिनेवा में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिकंन और रूसी विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोव के बीच भी इसी पर बात हुई. वार्ता में दोनों पक्षों ने मांगें और चेतावनियां एक-दूसरे को थमाईं. रूस चाहता है कि पूर्वी यूरोप में नाटो की तैनाती वापस ली जाए. वहीं अमेरिका का कहना है कि बंदूक के बल पर किसी को दूसरे देश को धमकाने का हक नहीं है.

Blinken und Lawrow, Ukraine Gespräche in Genf
जिनेवा में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और रूसी विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोवतस्वीर: Pavel Bednyakov/Sputnik/picture alliance/dpa

अमेरिका ने साफ चेतावनी दी है कि अगर रूसी सेना यूक्रेन में दाखिल हुई, तो रूस पर बहुत ही कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए जाएंगे. इस बीच अमेरिका ने 90 टन सैन्य सामग्री भी यूक्रेन पहुंचा दी है. ब्रिटेन भी रूसी सेना से घिरे यूक्रेन को सैन्य सामग्री दे चुका है. पश्चिमी देशों की चेतावनियों के जवाब में कुछ रूसी अधिकारियों का कहना है कि अगर नाटो की तैनाती का मसला नहीं सुलझा, तो वह क्यूबा में फिर से मिसाइलें तैनात करने पर विचार कर सकते हैं.

बीते कुछ हफ्तों से रूस के एक लाख से ज्यादा सैनिक यूक्रेन की सीमा पर तैनात हैं. रूसी सेना ने भारी मशीनरी के साथ यूक्रेन को तीन तरफ से घेरा है. इस घेराबंदी की जद में यूक्रेन की उत्तरी, पूर्वी और दक्षिणी सीमा है. बेअसर बातचीत के बाद रूस ने यह भी एलान किया है कि वह इलाके में सैन्य अभ्यास बढ़ाएगा.

रूस और पश्चिम के बीच बफर जोन का मसला

1990 के दशक की शुरुआत में सोवियत संघ के टूटने के बाद से पूर्वी यूरोप में लगातार नाटो का विस्तार हुआ है. रूस के करीबी देशों पोलैंड और रोमानिया में नाटो ने अत्याधुनिक सैन्य सेटअप लगा रखा है. पुतिन लगातार इसका विरोध करते आ रहे हैं. रूस चाहता है कि नाटो, उसकी सीमा से बहुत दूर रहे और बीच में एक बफर जोन बना रहे.

यूक्रेन की घेराबंदी के बीच रूस ने मांग की है कि पश्चिम कानूनी समझौता करके यह गारंटी दे कि नाटो, यूक्रेन समेत सोवियत संघ का हिस्सा रह चुके किसी भी देश में पैर न रखे. मॉस्को की यह भी मांग है कि 1990 के बाद मध्य और पूर्वी यूरोप के जिन देशों में नाटो की तैनाती हुई है, उसे वापस लिया जाए. रूस को लगता है कि अगर यूक्रेन में नाटो ने सैन्य स्टेशन बनाए, तो वहां से फायर की जाने वाली मिसाइल पांच मिनट से भी कम समय में मॉस्को पहुंच जाएगी. पुतिन की चेतावनी है कि अगर ऐसा हुआ, तो वह भी पांच मिनट के भीतर अमेरिका तक पहुंचने वाली हाइपरसॉनिक मिसाइल तैनात करेंगे.

दूसरी तरफ बीते दो-तीन साल में रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने कई नए हथियार दुनिया के सामने पेश किए हैं. इनमें हाइपरसॉनिक मिसाइलें भी हैं और अंडरवॉटर ड्रोन भी. रूसी हथियार कार्यक्रम से अमेरिका नाखुश है. अमेरिकी रक्षा विशेषज्ञों को लगता है कि रूस नाटो के खिलाफ ये हथियार विकसित कर रहा है.

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यूक्रेन की सीमा के पास रूसी सेना का जमावड़ातस्वीर: Maxar Technologies/AFP

पुतिन की लाल लकीर

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की साफ चेतावनी है कि यूक्रेन को नाटो की सदस्यता देना या हथियार देना, लाल लकीर पार करने जैसा होगा. ऐसा हुआ तो वह "सैन्य और तकनीकी कदम" उठाएंगे. 2014 में रूस ने सैन्य कार्रवाई करते हुए यूक्रेन के क्रीमिया प्रायद्वीप पर कब्जा कर लिया. तब से पुतिन बार-बार यह धमकी दे रहे हैं कि अगर क्रीमिया को वापस लेने की कोशिश की गई, तो यूक्रेन को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे.

बीते आठ साल से यूक्रेन और रूस के बीच संघर्ष और तनातनी चल रही है. अब तक इस संघर्ष में 14,000 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. मृतकों में अधिकतर यूक्रेनी हैं. 2015 में जर्मनी और फ्रांस की मदद से यूक्रेन में संघर्ष विराम तो हुआ, लेकिन तनाव बरकरार है.

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एक दूसरे के सब्र का इम्तिहान लेते बाइडेन और पुतिनतस्वीर: AFP

तनाव की आंच का फायदा

यूक्रेन के मुद्दे को लेकर रूस ने अब तक ऐसा कुछ भी नहीं किया है, जिससे लगे कि वह तनाव कम करना चाहता है. यूक्रेनी सीमा पर फौज के भारी जमावड़े के बीच रूसी रक्षा मंत्रालय ने फरवरी में काले सागर और भूमध्यसागर में बड़े स्तर के सैन्य अभ्यास करने का एलान भी किया है. इन सैन्य अभ्यासों में 140 से ज्यादा जहाज, वायु सेना के कई दर्जन विमान और 10,000 से ज्यादा सैनिक शामिल होंगे.

पुतिन पश्चिम के विरोधी देशों के सर्वोच्च नेताओं से भी मिल रहे हैं. वह ईरान के राष्ट्रपति की मेजबानी कर चुके हैं और अब शीत ओलंपिक के उद्घाटन में शामिल होने के लिए बीजिंग जाने की तैयारी कर रहे हैं. इस दौरान वह चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से बातचीत भी करेंगे. निकारागुआ और वेनेजुएला के नेताओं से भी पुतिन की बातचीत हुई है. हाल-फिलहाल में रूस के सरकारी विमान क्यूबा और वेनजुएला के चक्कर काटते भी दिखाई दिए हैं.

वहीं अमेरिका इस तरह के कड़े आर्थिक प्रतिबंधों का खाका तैयार कर रहा है, जिससे आम रूसी नागरिकों की जिंदगी पर भी सीधा असर पड़े. अमेरिकी रक्षा विशेषज्ञ यह भी कह रहे हैं कि यूक्रेन, रूस के लिए अफगानिस्तान साबित हो सकता है. कड़े आर्थिक प्रतिबंध पुतिन को अपने ही घर में कमजोर करेंगे, जबकि जमीनी संघर्ष रूसी सेना को बेतहाशा खर्च करने पर मजबूर कर देगा.

ओएसजे/वीएस (एपी, एएफपी)