अयोध्या पर किताब लिखकर विवाद में क्यों फंसे सलमान खुर्शीद
१२ नवम्बर २०२१पेंगुइन प्रकाशन से अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित 'सनराइज ओवर अयोध्या: नेशनहुड इन अवर टाइम्स' में सलमान खुर्शीद ने अयोध्या विवाद में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सही ठहराया है और लिखा है कि हिन्दू पक्ष ने कहीं ज्यादा मजबूत सबूत पेश किए. लेकिन इस पुस्तक के छठे अध्याय में पृष्ठ संख्या 113 पर सलमान खुर्शीद ने कुछ ऐसा लिख दिया है जिस पर न सिर्फ हिन्दू संगठन और भारतीय जनता पार्टी आक्रामक हो गई है बल्कि कांग्रेस पार्टी के भी कई नेता इस मामले में सलमान खुर्शीद को आड़े हाथों ले रहे हैं.
पुस्तक के छठे अध्याय 'द सैफ्रॉन स्काई' में सलमान खुर्शीद लिखते हैं, "भारत के साधु संत सदियों से जिस सनातन धर्म और मौलिक हिन्दुत्व की बात करते आए हैं, कट्टरपंथी हिन्दुत्व की वजह से हिन्दुत्व का वह मूल स्वरूप नेपथ्य में चला जा रहा है. आज हिन्दुत्व का एक ऐसा राजनीतिक संस्करण तैयार किया जा रहा है जो बोको हराम और आईएसआईएस जैसे इस्लामी जिहादी संगठनों जैसा है."
जिहादी संगठनों से तुलना पर विवाद
पूरा विवाद इन्हीं दो वाक्यों को लेकर है और सलमान खुर्शीद पर आरोप लग रहे हैं कि वो हिन्दू धर्म की तुलना आतंकवादी संगठनों से कर रहे हैं. हालांकि खुद सलमान खुर्शीद ने सफाई देते हुए कहा, "मैंने हिन्दू धर्म को नहीं बल्कि मौजूदा समय के हिन्दुत्व की तुलना आतंकवादी संगठनों से की है. हिन्दू धर्म के बारे में बहुत कुछ अच्छा लिखा गया है. लोगों को चाहिए कि वो पूरी किताब पढ़ें."
सलमान खुर्शीद की किताब के इसी बिन्दु को लेकर कई हिन्दूवादी संगठन सलमान खुर्शीद के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं. कई जगह उनके पुतले जलाए जा रहे हैं तो उनके साथ ही कांग्रेस पार्टी और उसकी अध्यक्ष सोनिया गांधी को भी कठघरे में खड़ा किया जा रहा है. मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्र का कहना है कि वो कानूनी जानकारों की राय लेकर पुस्तक पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहे हैं.
भारतीय जनता पार्टी भी किताब में लिखी गई बातों को लेकर हमलावर हो गई है. गुरुवार को बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सलमान खुर्शीद पर निशाना साधा. उनका कहना था, "हिंदुत्व के खिलाफ कांग्रेस की यह बड़ी साजिश है और उनकी विचारधारा हिंदुओं के खिलाफ है. यह बात न सिर्फ हिंदुओं की भावनाओं की है बल्कि यह भारत की आत्मा को भी गहरे ठेस पहुंचाती है. कांग्रेस पार्टी हिंदुओं के खिलाफ नफरत का जाल बुन रही है. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को सलमान खुर्शीद के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए."
कांग्रेस के अंदर भी विरोध के स्वर
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने भी सलमान खुर्शीद की इन बातों की आलोचना की है. गुलाम नबी आजाद का कहना है कि "हम हिंदुत्व के साथ एक राजनीतिक विचारधारा के रूप में सहमत नहीं हो सकते हैं, लेकिन आईएसआईएस और जिहादी इस्लाम के साथ इसकी तुलना करना तथ्यात्मक रूप से गलत और अतिशयोक्ति है."
सलमान खुर्शीद देश के कानून मंत्री और विदेश मंत्री के अलावा यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं और उन्हें गांधी परिवार का बेहद करीबी माना जाता है. पिछले साल जी 23 के रूप में चर्चित जिन वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने पार्टी में व्यापक संगठनात्मक परिवर्तन की मांग करते हुए जब सोनिया गांधी को पत्र लिखा था, गुलाम नबी आजाद भी उनमें शामिल थे. उस वक्त सलमान खुर्शीद ने सार्वजनिक मंच पर नाराजगी जताने वाले इन वरिष्ठ नेताओं की आलोचना की थी. गुलाम नबी आजाद की टिप्पणी के बाद सलमान खुर्शीद ने कहा, "मैं उनसे किसी बहस में नहीं उलझना चाहता."
उत्तर प्रदेश में चुनाव
राजनीतिक जगत में सलमान खुर्शीद की किताब की टाइमिंग को लेकर भी चर्चाएं हो रही हैं. कांग्रेस पार्टी के एक वरिष्ठ नेता नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं, "पार्टी ने सलमान खुर्शीद को यूपी में इतनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दे रखी है, फिर भी ऐन चुनाव के वक्त उन्हें ऐसी बात करने की क्या जरूरत थी. अयोध्या विवाद पर फैसला तो दो साल पहले आ चुका हैं. वो आज महसूस कर रहे हैं कि फैसला सही है. यदि किताब का विमोचन अब तक नहीं हुआ था तो दो-चार महीने और रोक दिए होते. ऐसे समय में जबकि कांग्रेस पार्टी खुद सॉफ्ट हिन्दुत्व का रास्ता अपना रही है, सलमान खुर्शीद जैसे कुछ लोग सारे किए धरे पर पानी फेर देते हैं."
उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने हैं. सलमान खुर्शीद उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले के रहने वाले हैं और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. विधान सभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें कई जिम्मेदारियां दे रखी हैं. कांग्रेस पार्टी के कई नेताओं को ऐसा लगता है कि किताब में इस्लामी आतंकवादी संगठनों से हिन्दुत्व की तुलना करने संबंधी बात का प्रतिकूल असर पड़ेगा. पुस्तक के विमोचन के मौके पर ही पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रमोद कृष्णन ने सीधे तौर पर किताब में लिखी कई बातों से असहमति जताई.
अतीत में भी विवादपूर्ण टिप्पणियां
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि किताब में लिखी गईं सलमान खुर्शीद की ये बातें निश्चित तौर पर पार्टी को नुकसान पहुंचाने वाली हैं. इससे पहले भी पार्टी के कुछ नेताओं के बयानों ने पार्टी को काफी राजनीतिक नुकसान पहुंचाया. साल 2007 में गुजरात में विधानसभा चुनाव के समय तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी की ओर से 'मौत का सौदागर' जैसी टिप्पणी न सिर्फ विधानसभा में कांग्रेस पार्टी की हार का कारण बनी बल्कि हिन्दूवादी नेता के तौर पर नरेंद्र मोदी की छवि को और ज्यादा निखारने में मददगार भी बनी.
साल 2014 में लोकसभा चुनाव से पहले मणिशंकर अय्यर की बेहद हल्के अंदाज में नरेंद्र मोदी के लिए की गई टिप्पणी को भी बीजेपी ने खूब भुनाया और उसका राजनीतिक लाभ लिया. साल 2017 में यूपी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सर्जिकल स्ट्राइक के संबंध 'खून की दलाली' और साल 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान 'चौकीदार चोर है' जैसे नारों का इस्तेमाल किया. राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, बीजेपी और खासकर नरेंद्र मोदी ने जिस तरह से इन नारों और विशेषणों का अपने पक्ष में इस्तेमाल किया, उससे कांग्रेस को काफी नुकसान उठाना पड़ा.
वरिष्ठ पत्रकार योगेश मिश्र कहते हैं, "बीजेपी तो चाहती ही है कि विपक्षी पार्टियां, खासकर कांग्रेस पार्टी कुछ ऐसा करे जिससे कि वो उसे हिन्दू विरोधी साबित कर सकें. ऐसे में जब पार्टी के ही कुछ नेता इस तरह के बयान देने लगते हैं तो निश्चित तौर पर उसका नुकसान पार्टी को ही उठाना पड़ेगा." पुस्तकों और फिल्मों में विवादित अंशों के लिए कई बार इसे प्रचार पाने की रणनीति के तौर पर भी देखा जाता है लेकिन योगेश मिश्र कहते हैं कि "सलमान खुर्शीद एक नेता और वकील के रूप में वैसे ही इतनी प्रसिद्धि पा चुके हैं कि उन्हें अपनी किताब बेचने के लिए जानबूझकर विवादित बातें लिखने की जरूरत न पड़ती."