सऊदी अरबः दो दिन में दो कठोर सजा खत्म
२७ अप्रैल २०२०सऊदी अरब ने नाबालिगों को दी जाने वाली मौत की सजा पर रोक लगा दी है. रविवार को देश के मानवाधिकार आयोग ने एक बयान जारी कर इस फैसले की जानकारी दी. सऊदी के राज परिवार द्वारा सुधार कार्यक्रम के तहत उठाया गया यह ताजा कदम है. 25 अप्रैल को ही मानवाधिकार आयोग ने कोड़े मारने की सजा को समाप्त करने की घोषणा की थी. आयोग का कहना है कि 18 साल से कम उम्र में किए गए अपराधों के लिए नाबालिगों को मौत की सजा नहीं दी जाएगी. आयोग के अध्यक्ष अवाद अल-अवाद ने कहा, "इसके बदले दोषी नाबालिग को बाल सुधार गृह में 10 साल से अधिक की सजा नहीं होगी."
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक सऊदी अरब ने 2019 में 184 लोगों को मौत की सजा दी जिसमें एक नाबालिग था. 18 वर्ष से कम उम्र के लोगों द्वारा किए गए अपराधों के लिए मृत्युदंड, बाल अधिकारों पर यूएन कन्वेंशन के खिलाफ है, जिस पर सऊदी अरब ने भी हस्ताक्षर किये हैं. अवाद ने कहा, "सऊदी अरब के लिए यह एक महत्वपूर्ण दिन है. यह फैसला एक अधिक आधुनिक दंड संहिता स्थापित करने में हमारी मदद करेगा."
नए कानून के मुताबिक देश के अल्पसंख्यक शिया समुदाय के कम से कम छह लोगों की मौत की सजा खत्म हो जाएगी. अप्रैल 2019 में इस सुन्नी देश में 37 लोगों का सिर कलम कर दिया गया था. ये सभी आतंकवाद के दोषी थे. उस समय यूएन प्रमुख ने कहा था कि दोषियों में अधिकतर शिया थे जिनकी निष्पक्ष सुनवाई नहीं हुई होगी. कम से कम तीन नाबालिगों को भी सजा दी गई थी.
क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान कई सामाजिक और आर्थिक सुधार कर सऊदी अरब को आधुनिक बनाने में लगे हुए हैं. 25 अप्रैल को ही देश ने कोड़े मारने की सजा खत्म कर दी थी. कोड़े की सजा के बदले दोषियों के लिए जेल या फिर आर्थिक सजा का प्रावधान किया गया है. इसके पहले अदालतों को यह अधिकार था कि वे कई तरह के जुर्म के दोषी पाए जाने वालों को कोड़ों की सजा सुना सकती थीं. पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या और एक्टिविस्टों को लेकर सऊदी अरब के रवैये की आलोचना होती रही है.
(एपी, रॉयटर्स)
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