चीन की मदद से न्यूक्लियर पावर प्लांट बना सकता है सऊदी अरब
२५ अगस्त २०२३सऊदी अरब कथित तौर पर परमाणु पावर प्लांट बनाने के लिए चीन की मदद के बारे में सोच रहा है. अगर ऐसा हो होता है, तो देश में अमेरिकी पहलों पर खासतौर पर प्रभाव पड़ सकता है. शुक्रवार को छपी वॉल द स्ट्रीट जर्नल की एक विशेष रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी राष्ट्रीय परमाणु निगम (सीएनएनसी) एक सरकारी उद्यम है, जिसने सऊदी अरब के पूर्वी प्रांत में एक परमाणु सुविधा बनाने का प्रस्ताव दिया है. यह जगह, सऊदी, कतर और संयुक्त अरब अमीरात की सीमाओं के पास है. मामले से संबंधित सऊदी अधिकारियों ने अखबार को यह जानकारी दी.
इससे पहले सऊदी ने एक नागरिक परमाणु प्रोगाम बनाने के लिए अमेरिका के साथ सहयोग करने में रुचि दिखाई थी. सऊदी अरब ने इस्राएल के साथ संभावित सामान्यीकरण समझौते के रूप में यह किया था. हालांकि, अमेरिकी अधिकारियों ने लगातार किसी भी तकनीकी पार्टनरशिप में यूरेनियम संवर्धन और प्लूटोनियम रिप्रोसेसिंग पर रोक की बात को अहमियत दी है. इन दोनों से परमाणु हथियार विकसित किया जा सकता है.
बाइडेन प्रशासन पर दबाव?
सऊदी अरब के नेतृत्व के सूत्रों ने संकेत दिया है कि इस मामले पर चीन के साथ जुड़ना बाइडेन प्रशासन को अपनी अप्रसार शर्तों में ढील देने के लिए दबाव डालने की एक रणनीति हो सकती है.
सऊदी अधिकारियों ने रिएक्टर बनाने के लिए दक्षिण कोरिया की सरकारी कंपनी, कोरियाई इलेक्ट्रिक पावर की लीडरशिप को अहमियत दी है. जबकि इसके लिए अमेरिकी एक्सपर्टीज को भी शामिल करने की बात कही है. सऊदी, वाशिंगटन द्वारा मांगे गए प्रसार नियंत्रण को स्वीकार करने में हिचकिचा रहा है.
रिपोर्ट बताती है कि अगर अमेरिका के साथ बातचीत विफल रहती है, तो सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान भविष्य में चीनी बोली के साथ आगे बढ़ने के लिए तैयार हैं.
द वॉल स्ट्रीट जर्नल में छपे चीनी विदेश मंत्रालय के बयानों के अनुसार, चीन ने अपनी ओर से अंतरराष्ट्रीय अप्रसार मानदंडों का पालन करते हुए नागरिक परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं पर सऊदी अरब के साथ सहयोग करने की बात की पुष्टि की है.
चीन से बढ़ती नजदीकियां
इस्राएल के ऊर्जा मंत्री ने सऊदी अरब के नागरिक परमाणु कार्यक्रम के संभावित विकास का विरोध किया. माना जाता है कि इस्राएल के पास परमाणु हथियार हैं, हालांकि वह परमाणु अप्रसार संधि का हस्ताक्षरकर्ता नहीं है. वह इस तरह की डील के बारे में अमेरिका से मशविरा करने की उम्मीद करता है, क्योंकि इससे उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा प्रभावित हो सकती है.
पिछले एक साल में सऊदी अरब लगातार चीन के साथ अपने रिश्ते मजबूत कर रहा है. गौरतलब है कि चीन ने इस साल की शुरुआत में सऊदी अरब और उसके क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वी ईरान के बीच राजनयिक संबंधों को फिर से स्थापित करने में मध्यस्थता की भूमिका निभाई थी.
ऊर्जा क्षेत्र में उनकी पर्याप्त भागीदारी को देखते हुए, चीन और सऊदी अरब ने एक मजबूत व्यापार संबंध बनाया है. जिसमें चीन दुनिया में कच्चे तेल का सबसे बड़ा आयातक और सऊदी अरब इसका प्रमुख निर्यातक है. इसके अलावा, चाइना एनर्जी इंजीनियरिंग कॉर्प वर्तमान में मध्य पूर्व की सबसे बड़ी सौर परियोजना, अल शुएबा में 2.6-गीगावॉट सौर ऊर्जा स्टेशन के निर्माण के लिए सऊदी कंपनी के साथ सहयोग कर रही है.
पिछले साल दिसंबर में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की सऊदी अरब यात्रा को चीनी विदेश मंत्रालय ने चीन-अरब संबंधों में एक अहम विकास करार दिया.