शिकारी मानवों ने क्यों बनाई समुद्र में डूबी ये लंबी दीवार?
१४ फ़रवरी २०२४बाल्टिक सागर के भीतर तकरीबन 1,700 पत्थरों की एक किलोमीटर लंबी दीवार है, जो 10 हजार साल से भी ज्यादा पुरानी है. साल 2021 में सोनार की मदद से समुद्री तलछटी की मैपिंग के दौरान इस प्राचीन ढांचे का पता चला था. अब वैज्ञानिक इस अनुमान पर पहुंचे हैं कि पाषाण युगीन मानवों ने शायद रेंडियर के शिकार के लिए यह दीवार बनाई थी. इससे जुड़ी विस्तृत रिपोर्ट 12 फरवरी को "प्रोसिडिंग्स ऑफ दी नेशनल अकैडमी ऑफ साइंस" में प्रकाशित हुई है.
कहां मिली यह दीवार
पाषाण युग का यह ढांचा जर्मनी की मैकलेनबुर्ग खाड़ी के पास समुद्र में 21 मीटर की गहराई पर है. इसमें कुल 1,673 पत्थर गिने गए हैं, जो ऊंचाई में एक मीटर से भी कम हैं. करीब एक किलोमीटर लंबे इलाके में ये पत्थर साथ-साथ बिछे हुए हैं. इसकी खास बनावट के आधार पर वैज्ञानिकों की राय है कि इनका स्वरूप कुदरती नहीं है. यानी, ये ग्लेशियरों की गतिशीलता या उनके खिसकने या सुनामी जैसी प्राकृतिक घटनाओं के कारण नहीं बने हैं.
ये एक प्राचीन झील के डूब चुके किनारे के नजदीक बने हैं. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि प्रीबोरियल युग में शिकारी मानवों ने इस दीवार का निर्माण किया होगा. 10,200 से 8,000 साल पहले का दौर प्रीबोरियल युग माना जाता है. वैज्ञानिक मानते हैं कि इसी दौर में बाल्टिक बेसिन के भीतर पहली बार समुद्र का पानी घुसा था. बाल्टिक सागर, अटलांटिक महासागर का एक हिस्सा है. आज जहां बाल्टिक सागर है, वो इलाका पहले बर्फ की बेहद मोटी परत से ढका था. माना जाता है कि पृथ्वी के सबसे हालिया हिम युग के अंत के साथ ही इस सागर का निर्माण शुरू हुआ.
मैकलेनबुर्ग खाड़ी, बाल्टिक सागर के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में है. बीते दशकों में यहां समुद्री सतह की बनावट और आकार को समझने के लिए कई शोध हुए हैं. ऐसे ही एक मैपिंग प्रोजेक्ट के दौरान जमा किए गए हाइड्रोअकूस्टिक (पानी में ध्वनि से जुड़ा अध्ययन) डेटा से इस प्राचीन ढांचे की जानकारी मिली. आगे की छान-बीन के लिए शोधकर्ताओं का एक दल समुद्र की गहराई में पहुंचा. उन्होंने पाया कि पत्थर जिस तरह साथ रखे गए हैं, वो मानवीय बनावट की ओर संकेत करते हैं. मानो किसी मकसद से पत्थरों को साथ रखकर दीवार बनाई गई हो.
शिकार के मकसद से बनाई गई होगी दीवार
वैज्ञानिकों ने इसे "ब्लिंकरवॉल" नाम दिया है. इसके ज्यादातर पत्थर 100 किलो से कम वजनी हैं, लेकिन 288 भारी वजन वाले पत्थरों का भी इस्तेमाल किया गया है. सबसे बड़ा पत्थर दीवार के मध्य हिस्से में है और इसका वजन 11 हजार किलो से ज्यादा है.
शोधकर्ताओं ने रेखांकित किया कि लगभग 9,800 साल पहले यह इलाका घने जंगलों से ढका रहा होगा. ब्लिंकरवॉल के पास से लिए गए नमूनों की कार्बन डेटिंग से अनुमान मिला है कि करीब 10,000 साल पहले इस दीवार के पास एक झील हुआ करती थी. फिर बाल्टिक सागर ऊपर उठा और पूरा इलाका डूब गया.
वैज्ञानिकों का कहना है कि उपलब्ध जानकारियों के मुताबिक सबसे व्यावहारिक व्याख्या यही है कि इसे शिकार के मकसद से बनाया गया होगा. यह दीवार रेंडियरों के झुंड के लिए ड्राइविंग लेन का काम करती थी. इससे गुजरते हुए वो एक नजदीकी झील के पास पहुंचते थे, जहां उन्हें घेरकर उनका शिकार किया जाता था. इससे पहले अमेरिका के लेक मिशिगन इलाके में भी पुरातत्वेत्ताओं को शिकार के मकसद से बनाए गए ऐसे ढांचे मिले हैं.
वैज्ञानिकों का कहना है कि यह दीवार शिकारी मानवों द्वारा बनाई गई सबसे प्राचीन आर्किटेक्चरों में है. उन्हें उम्मीद है कि ऐसे ढांचों की खोज से शिकारी मानवों के बारे में और रोचक जानकारियां मिल सकती है. उनकी योजना पत्थरों के नीचे से गाद के और नमूने जमा करना है. साथ ही, दीवार के आसपास औजार जैसे पुरावशेषों की भी तलाश की जाएगी.