बिना ड्राइवर वाले ट्रक स्वीडन की सड़कों पर दौड़े
स्टॉकहोम के दक्षिण में 40 टन वजन लेकर एक ट्रक और ट्रेलर ने सड़कों का रास्ता नाप लिया. ड्राइविंग सीट पर ड्राइवर जरूर था लेकिन उसके हाथ स्टीयरिंग व्हील पर नहीं थे बस नजरें ये देख रही थीं कि ट्रक कैसे चल रहा है.
खुद से चलने वाला ट्रक
यह ट्रक अपने आप चलता है और एक बहुत अनुभवी ड्राइवर को सिर्फ यह देखने के लिए बिठाया गया था कि अचानक से कोई असहज स्थिति या समस्या आ जाये तो उसे संभाला जा सके.
पहली बार में 300 किलोमीटर का सफर
सामान के साथ ऑटोनोमस ट्रक ने पहली बार में 300 किलोमीटर का सफर तय किया जो स्वीडन के दक्षिण में सोडर्तालजे और जोनकोपिंग के बीच की दूरी है.
दिखने में आम ट्रक जैसा
बाहर से दिखने में यह ट्रक आम ट्रक जैसा ही है बस इसकी छत पर कई कैमरे लगे हैं. इसके साथ ही दोनों तरफ दो सेंसर हैं जो किसी एंटेना के जैसे नजर आते हैं. ट्रक के अंदर डैशबोर्ड में कुछ स्क्रीन जुड़ गई हैं. बाकी तारों का जाल एक कंप्यूटर से जुड़ा है जो पैसेंजर सीट के पीछे रखा है.
स्केनिया का ट्रक
स्वीडन की ट्रक बनाने वाली कंपनी स्केनिया ऑटोनोमस यानी खुद से चलने वाली गाड़ियां बनाने वाली अकेली कंपनी नहीं है. हालांकि यूरोप में व्यापारिक सामान की ढुलाई के लिए ऐसे ट्रकों का इस्तेमाल करने वाली यह पहली कंपनी बन गई है.
डाटा प्रोसेसिंग
ट्रक को हर तरह की परिस्थिति के लिए तैयार किया गया है और डाटा को लगातार अपडेट किया जाता है. खासतौर पर ऐसी जगहों के लिए जहां कई रास्ते आकर मिलते हैं या फिर अचानक से कोई कार के सामने आने की परिस्थिति के लिए सेंसरों को हर बार कैलिब्रेट किया जाता है.
सफर पर नजर
पहली यात्रा में इंजीनियर गोरान जालिद भी ड्राइवर के साथ पैसेंजर सीट पर बैठे थे और उनकी नजरें अपने लैपटॉप पर टिकी थीं जहां उन्हें ट्रक के कैमरों से वीडियो और साथ ही टेक्स्ट में वो जानकारियां मिल रही थीं जो गाड़ी के पास पहुंच रही थीं. एक दूसरे स्क्रीन पर ट्रक, सड़क और उसके आसपास की गाड़ियां दिख रही थीं.
कैमरा, सेंसर, जीपीएस और कई तकनीकों का संगम
ट्रक कई सेंसरों और जीपीएस से मिलने वाली सारी जानकारी के साथ ही कई अलग अलग तकनीकों को जोड़ कर अपने रास्ता तय करता है. इसमें कई तकनीकें बैकअप के तौर पर भी लगाई गई हैं. जब भी ट्रक कुछ अप्रत्याशित करता जैसे कि ब्रेक लगाना तो जालिद उससे जुड़ी जानकारी नोट कर रहे थे.
बाधाएं अब भी हैं
बिना ड्राइवर ट्रक चलाने की तैयारी तो हो गई है लेकिन अब भी कई तकनीकी और कानूनी बाधाएं हैं. बिना सेफ्टी ड्राइवर के इन्हें सड़कों पर उतारने में दिक्कतें हैं. फिर भी उम्मीद है कि इस दशक के आखिर या फिर अगले दशक की शुरुआत तक इनका कारोबारी इस्तेमाल शुरू होगा. हालांकि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का माल ढुलाई में हर जगह इस्तेमाल में बहुत वक्त लगेगा.
ड्राइवरों की नौकरी पर खतरा
बिना ड्राइवरों के ट्रक चलने लगेंगे तो ट्रक ड्राइवरों की नौकरी खतरे में पड़ जायेगी जो पूरी दुनिया में एक बहुत आम नौकरी है. हालांकि ट्रक बनाने वाले कह रहे हैं कि इसे ड्राइवरों की कमी को पूरा करने के लिए बनाया गया है. इंटरनेशनल रोड ट्रांसपोर्ट यूनियन के मुताबिक दुनिया में फिलहाल 26 लाख ट्रक ड्राइवरों की कमी है.