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राजनीतिउत्तरी कोरिया

उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच तनावपूर्ण शांति के 70 साल

यूलियन रयाल
२७ जुलाई २०२३

कोरिया के दोनों देशों के बीच 1953 के युद्ध विराम के जरिए खून-खराबा खत्म हुआ लेकिन इसे शांति की स्थायी व्यवस्था नहीं माना जा सकता. दोनों देशों का तनाव कब युद्ध में बदल जायेगा कोई नहीं जानता.

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उत्तर कोरियाई सैनिक निगरानी करते हुए
युद्धबंदी के 70 साल गुजरने के बावजूद, इस बात की संभावना बहुत कम दिखती है कि दोनों हिस्से अपने झगड़े को कभी भुला सकेंगे.तस्वीर: Lee Yong-Ho/dpa/picture alliance

दोनों देश युद्धबंदी की सत्तरवीं सालगिरह मना रहे हैं जिसने तीन साल तक चले कोरिया युद्ध का तनावपूर्ण अंत किया. इस लड़ाई में 30 लाख लोगों की जान गई. यही नहीं, अपने खेमे को हथियार पहुंचाने की जुगत में अमेरिका और चीन की सेनाओं की झड़पें भी हुईं. 70 साल गुजरने के बावजूद, इस बात की संभावना बहुत कम दिखती है कि दोनों हिस्से अपने झगड़े को कभी भुला सकेंगे.

कौन है उत्तर कोरिया में घुसा अमेरिकी सैनिक

गुरुवार को दक्षिण कोरिया के बुसान शहर में, अमेरिका समेत उन 20 देशों के प्रतिनिधियों की मुलाकात हुई जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र की अगुआई में दक्षिण कोरिया की मदद की थी. इस प्रतिनिधिमंडल में वे सैनिक भी शामिल हैं जिन्होने 1950 से 1953 के बीच चले इस संघर्ष में हिस्सा लिया था. दूसरी ओर, उत्तर कोरिया ने इस मौके की याद में अपने साथी चीन और रूस के सरकारी प्रतिनिधियों को बुलाकर राजधानी प्योंगयांग में सेना और हथियारों की परेड की. उत्तर कोरिया अपनी सैन्य ताकत का प्रदर्शन करता रहा है. मंगलवार को उसने दो इंटरमीडिएट रेंज मिसाइलें टेस्ट की थीं.

किम जॉंग उन रूस के  विदेश मंत्री के साथ
उत्तर कोरिया ने इस मौके की याद में अपने साथी चीन और रूस के सरकारी प्रतिनिधियों को बुलाकर राजधानी प्योंगयांग में सेना और हथियारों की परेड कीतस्वीर: KCNA/REUTERS

कोरियाई कम्युनिस्ट पार्टी के अखबार रोडांग शिनमुन ने इस बात का जिक्र किया कि देश परमाणु हथियार और बैलिस्टिक मिसाइल बनाने का कार्यक्रम जारी रखेगा. अखबार में छपे संपादकीय लेख में कहा गया है कि "उत्तर कोरिया की सैन्य शक्ति को बढ़ाने का कोई अंत नहीं है. स्थायी शांति आत्मरक्षा की ताकत से ही हासिल की जा सकती है जो दुश्मन को पूरी तरह हरा सकती हो.”

दक्षिण कोरिया का अनुभव

दक्षिण कोरिया के पूर्व कूटनीतिज्ञ और खुफिया अधिकारी रह चुके रा जोंग-यिल ने डी डब्ल्यू से कहा, "सत्तरवीं सालगिरह की अहमियत इस बात में है कि इस बीच कोई बड़ा युद्ध नहीं हुआ. इसका मतलब यह है कि युद्धबंदी स्थायित्व हासिल करने में सफल रही है जिसने दक्षिण कोरिया को लोकतंत्र स्थापित करने और आर्थिक विकास करने का मौका दिया. इसके विपरीत, उत्तर कोरिया में आर्थिक हालात खराब हुए हैं लेकिन वह सैन्य ताकत बनकर उभरा है.”

कोरिया के दो हिस्सों की सीमा
दोनों देशों के बीच रिश्तों में उतार-चढ़ाव की नाटकीय कहानी हैतस्वीर: Mieszko/Pond5/IMAGO

हालांकि यिल यह भी कहते हैं कि इन 70 सालों में दोनों ही देश अपनी विचारधारा से चिपके रहे और किसी ने भी सहयोग या बातचीत के कोई संकेत नहीं दिए. दक्षिण कोरिया के रहने वाले यिल महज 10 साल के थे जब उत्तर कोरिया ने 1950 में चढ़ाई की और उनके परिवार को सोल शहर छोड़ कर भागना पड़ा. जब तक संयुक्त राष्ट्र की सेनाएं मदद के लिए नहीं पहुंची तब तक उनका परिवार उत्तर कोरिया के कब्जे वाले एक इलाके में किसी तरह छिप कर रहा. यिल बताते हैं, "उत्तर कोरिया इस दिन को विजय दिवस कहकर जश्न मनाता है लेकिन वह सच्चाई से काफी अलग है. वह जीत नहीं थी और सोशलिज्म के अधीन एक कोरिया का उनका सपना टूट गया."

उत्तर कोरियाई पक्ष

पश्चिमी देशों में बैठे जानकार कहते हैं कि उस युद्ध में कोई भी विजेता नहीं था. कम्युनिस्ट उत्तर कोरिया, पूंजीवादी दक्षिण कोरिया पर काबू पाने में असफल रहा लेकिन अमेरिका और उसके साथी भी चीन और सोवियत यूनियन के समर्थन वाली उत्तर कोरियाई सरकार को हटाने में असफल रहे.

दक्षिण कोरियाई टैंक उत्तर कोरिया की सीमा के पास
उत्तर कोरिया अपनी सैन्य ताकत का प्रदर्शन लगातार करता है लेकिन दक्षिण कोरिया भी पीछे नहीं हटातस्वीर: Ahn Young-Joon/AP/picture alliance

जापान स्थित सेंटर फॉर कोरियन-अमेरिकन पीस संस्थान प्योंगयोंग के प्रवक्ता की तरह काम करता है. इस सेंटर के कार्यकारी निदेशक किम म्योंग चोल दक्षिण कोरिया के साथ संबंधों और युद्धबंदी के बारे में कहते हैं, "यह सालगिरह अहम है क्योंकि यह अमेरिका की हार के 70 बरस की याद दिलाती है. अमेरिका ने कोरियाई युद्ध से पहले कभी हार नहीं चखी थी लेकिन हमसे हारने के बाद ही वह वियतनाम और अफगानिस्तान में भी हारे. हमने दूसरे देशों को दिखाया कि अमेरिका को भी हराया जा सकता है. अब हमारे पास इंटरकॉटिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल और परमाणु हथियार हैं तो अमेरिका को पता है कि वह हमें हरा नहीं सकता."

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किम म्योंग चोल यह भी कहते हैं कि उनके देश का दक्षिण कोरिया से कोई संबंध नहीं है और ना ही उसकी कोई जरूरत है. दोनों देशों के बीच किसी तरह की कूटनीतिक बातचीत भी नहीं है.

13 जुलाई 2023 को उत्तर कोरिया ने एक मिसाइल परीक्षण किया
उत्तर कोरिया के पास परमाणु हथियार और बैलिस्टिक मिसाइल भी हैंतस्वीर: KCNA via REUTERS

सनशाइन पॉलिसी का अंत

दक्षिण कोरिया के चुंगनम विश्वविद्यालय में राजनीति पढ़ाने वाले ह्योबेन ली कहती हैं कि युद्धबंदी के बाद के दशकों में ऐसा लग रहा था कि दोनों देशों के संबंध सुधर रहे हैं लेकिन अब ऐसा नहीं लगता. ली ने डी डब्ल्यू से कहा, उत्तर कोरिया के साथ संबंध बेहतर करना काफी जटिल है क्योंकि दक्षिण कोरिया, अमेरिका, चीन, रूस और जापान अपने हितों की नजर से उत्तर कोरिया को देखते हैं. ऐसे में दक्षिण कोरिया के सामने अकेले कोई फैसला लेने के विकल्प काफी कम हैं. 

दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति किम डे जुंग को श्रद्धांजलि देते लोग
दक्षिण कोरिया के पूर्व राष्ट्रपति किम डे जुंग ने दोनों देशों के संबंध सुधारने की दिशा में अहम योगदान दियातस्वीर: AP

ली कहती हैं कि सबसे ज्यादा असरदार कोई नीति रही तो वह दक्षिण कोरिया के पूर्व राष्ट्रपति किम दे जंग की सनशाइन पॉलिसी थी जो उन्होने 1990 के आखिर में अपनाई. इसके तहत उत्तर कोरिया की किसी सैन्य कार्रवाई को ना झेलने के साथ-साथ दक्षिण कोरिया की तरफ से यह वादा भी था कि वह उत्तर कोरिया को अपने में मिलाने की कोशिशों के बजाए सहयोग का रास्ता अपनाएगा.

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ली को लगता है, कुछ आलोचक इस कूटनीति की आलोचना कर सकते हैं लेकिन दोनों देशों के बीच बातचीत जारी रखने की दिशा में यह नीति एक बड़ी उम्मीद जैसी थी. किम डे जुंग ने 2003 में सत्ता छोड़ दी और दोनों देशों के बीच संबंधों में उतार-चढ़ाव कभी खत्म नहीं हुआ. 2017 से 2022 के बीच मून जे-इन के कार्यकाल में फिर सुधार की गुंजाइश दिखी लेकिन पिछले साल युन सोक्योल के सत्ता संभालने के बाद हालात फिर से तनावपूर्ण हो गए हैं.

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