भारत ने तैयार की कोविड की 'वॉर्म वैक्सीन'
१९ जुलाई २०२१ऑस्ट्रेलिया के कॉमनवेल्थ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन ने भारत के वैज्ञानिकों द्वारा बनाई एक वैक्सीन के फॉर्म्युलेशन का परीक्षण किया है और पाया है कि कोरोना वायरस के विभिन्न वेरिएंट्स पर यह वैक्सीन प्रभावी साबित हुई.
कोविड की यह वॉर्म वैक्सीन बेंगलुरू स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के वैज्ञानिकों ने बायोटेक स्टार्टअप फर्म मिनवैक्स के साथ मिलकर तैयार की है. एसीएस इन्फेक्शियस डिजीज नामक पत्रिका में छपे एक शोध में ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों ने कहा है कि चूहों पर वैक्सीन के प्रयोग किए गए और प्रभावशाली नतीजे मिले.
पिछले हफ्ते प्रकाशित शोधपत्र में बताया गया है कि वैक्सीन ने चूहों में शक्तिशाली प्रतिरोधक क्षमता पैदा की और हैम्सटर्स को वायरस से बचाया. यह वैक्सीन ने 37 डिग्री सेल्सियस पर एक महीने तक और 100 डिग्री सेल्सियस पर 90 मिनट तक स्थिर रही.
क्या होती है वॉर्म वैक्सीन
ज्यादातर कोविड वैक्सीन कोल्ड होती है. इसका अर्थ है कि उन्हें बहुत कम तापमान पर ही रखना पड़ता है. जैसे कि ऑक्सफर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन को 2-8 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरूरत होती है जबकि फाइजर को -70 डिग्री सेल्सिय तापमान से ज्यादा पर नहीं रखा जा सकता.
तस्वीरों मेंः वैक्सीन काम करती है
मेलबर्न के पास जीलॉन्ग स्थित सीएसआईआरओ के ऑस्ट्रेलियन सेंटर फॉर डिजीज प्रीपेअर्डनेस के वैज्ञानिकों ने इस अध्ययन में योगदान दिया है. उन्होंने टीका लगाए जाने के बाद लिए गए चूहों के रक्त के नमूनों की जांच की. इन चूहों को पूरी दुनिया में फैल रहे डेल्टा वेरिएंट समेत विभिन्न कोरनो वायरस से संक्रमित किया गया था.
शोध के सह लेखक और प्रोजेक्ट लीडर डॉ. एसएस वासन कहते हैं कि मिनवैक्स का टीका पाए चूहों ने कोरोना वायरस के सभी स्वरूपों के खिलाफ ताकतवर प्रतिरोध क्षमता दिखाई. एक बयान में डॉ. वासन ने बताया, "हमारा डेटा दिखाता है कि मिनवैक्स ने ऐसे एंटिबॉडी बनाए जो अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा समेत सभी वेरिएंट्स को खत्म करने में कामयाब रहीं.”
सीएसआईआरओ के हेल्थ एंड बायोसिक्यॉरिटी डाइरेक्टर डॉ. रॉब ग्रेनफेल कहते हैं दुनिया को वॉर्म वैक्सीन यानी ज्यादा तापमान पर भी स्थिर रहने वाले टीके की बहुत जरूरत है. उन्होंने कहा, "ऐसी जगहों पर जहां संसाधनों की कमी है या फिर ऑस्ट्रेलिया के क्षेत्रीय इलाकों जैसे गर्म हिस्सों में, जहां कोल्ड स्टोरेज बड़ी चुनौती है, वहां के लिए वॉर्म वैक्सीन बहुत जरूरी है.”
अंतरराष्ट्रीय सहयोग जरूरी
इस वैक्सीन का मानव परीक्षण इस साल के आखिर में शुरू हो सकता है. ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों का शोध मानव परीक्षण के लिए उचित उम्मीदवार चुनने में मददगार साबित होगा.
देखिए, कहां कहां पहुंची वैक्सीन
सीएसआईआरओ के हेल्थ एंड बायोसिक्यॉरिटी डाइरेक्टर डॉ. रॉब ग्रेनफेल कहते हैं कि कोविड से लड़ने में दुनियाभर के वैज्ञानिकों का सहयोग जरूरी है. एक बयान में उन्होंने कहा, "महामारी ने बताया है कि सस्ती वैक्सीन और इलाज उपलब्ध करवाने के लिए अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक सहयोग बेहद जरूरी है.”
सीएसआईआरओ इससे पहले दो अहम कोविड वैक्सीनों का परीक्षण कर चुका है, जिनमें ऑक्सफर्ड-एस्ट्राजेनेका का प्रि-क्लीनिकल परीक्षण भी शामिल है.