हवा में उड़ने वाली लालटेन बेहद खतरनाक हो सकती है
२ जनवरी २०२०एक सामान्य सा लकड़ी या धातु का फ्रेम, एक कागज और एक ऐसी चीज जिसमें आग थोड़ी देर तक जलती रहे, अगर आपके पास ये तीन चीजें हैं तो आप भी हवा में उड़ने वाली लालटेन बना सकते हैं. कई जगह इसे जलने वाली पतंग भी कहा जाता है. इनका इस्तेमाल सबसे पहले चीन में सेना द्वारा युद्ध के दौरान संकेत देने के लिए किया जाता था. वहां इसे अभी भी कॉन्गमिंग लालटेन कहा जाता है. कॉन्गमिंग तीसरी सदी में चीनी सेना के एक जनरल थे और उन्होंने पहली बार ऐसी लालटेन का प्रयोग किया था. आज इन लालटेनों को दुनियाभर में गुड लक के प्रतीक के तौर पर देखा जाता है.
लेकिन हर कोई इन उड़ती लालटेनों का फैन नहीं है. कई देशों में अधिकारियों को लगता है कि इन लालटेनों से ना सिर्फ आग का खतरा है बल्कि ये प्रदूषण फैलाने वाली और हवाई जहाजों के रास्ते में एक खतरा पैदा करने वाली लालटेन हैं.
एक उड़ती लालटेन मतलब एक लाख टन प्लास्टिक जलाना
हवा में उड़ने वाली ये लालटेन हॉट एयर बैलून के सिद्धांत पर ही काम करती हैं. नीचे लगी बत्ती जलती है तो इस लालटेन में मौजूद हवा गर्म होने लगती है. गर्म हवा हल्की होती है इसलिए वो ऊपर उठने लगती है. खुद ऊपर उठने के साथ ये लालटेन को भी लेकर उड़ने लगती है. इस लालटेन की बत्ती के नीचे एक छोटा सा धातु का टुकड़ा लगा होता है जिससे ये बत्ती जलती हुई कहीं ना गिर जाए. साथ ही ये बत्ती को संभाले रहे जिससे पूरी लालटेन में ही आग ना लग जाए. लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता. कभी-कभी ये हवा की वजह से नीचे आकर धरती पर किसी ऐसी चीज के संपर्क में आ सकती है जिसमें आग लग सके.
2013 में अमेरिका के वॉशिंगटन में एक आदमी ने ऐसी एक लालटेन हवा में उड़ाई. ये जाकर एक जंगल में जा गिरी जिससे 500 एकड़ के जंगल में आग लग गई. 2013 में ही ब्रिटेन के बर्मिंघम में एक प्लास्टिक रिसाइक्लिंग प्लांट में आग लगी. इस आग में एक लाख टन प्लास्टिक जल गया और 13 अग्निशमन कर्मचारी आग बुझाने में घायल हुए. इस आग की वजह एक उड़ने वाली लालटेन का इस प्लांट में गिर जाना था.
2018 में ब्रिटेन में किसानों, जानवरों के लिए काम करने वाली संस्थाओं और नेताओं ने ऐसी लालटेनों को इस्तेमाल ना करने की वकालत की थी. तब एक ऐसी लालटेन से एक घोड़े की पूंछ में आग लग गई थी. 1 जनवरी 2020 को जर्मनी के क्रेफेल्ड चिड़ियाघर में लगी आग की वजह भी ऐसी ही एक लालटेन को माना जा रहा है. इस आग में 30 से अधिक जानवरों की मौत हो गई थी.
जर्मनी के राज्य नॉर्थ राइन वेस्टफेलिया में ऐसी लालटेन पूरी तरह प्रतिबंधित हैं. क्रेफेल्ड चिड़ियाघर इसी राज्य में है. जर्मनी के दूसरे राज्यों में भी ऐसी लालटेनों पर किसी ना किसी तरह का प्रतिबंध लगा हुआ है. अमेरिका के 30 राज्यों में इन लालटेनों पर बैना है. वहीं ऑस्ट्रेलिया, स्पेन, ब्राजील समेत कई देशों में इन लालटेनों पर पूरी तरह से प्रतिबंध है.
आग लगने के अलावा भी ये लालटेन जानवरों और पर्यावरण के लिए खतरनाक हैं. जानवरों के लिए काम करने वाली संस्थाओं का कहना है कि पक्षी हवा में इनसे टकराकर घायल हो जाते हैं वहीं जानवर आखिर में बचने वाले इनके अवशेषों को खाकर घायल हो जाते हैं. हवाई यातायात के विशेषज्ञ भी इन लालटेनों को खतरा बताते है. आइरिश उड्डयन प्राधिकरण के मुताबिक इन लालटेनों का पता लगाना मुश्किल होता है और अगर ये हवाई जहाज के इंजन में फंस जाए तो उसे जाम भी कर सकती है. इनका मानना है कि ऐसी घटना होने की संभावना कम तो होती है लेकिन वे लोगों से अपील करते हैं कि एयरपोर्ट के 18 किलोमीटर तक ऐसी लालटेन ना छोड़ें. साथ ही एक साथ बांधकर 20 से ज्यादा लालटेनों को ना छोड़ें.
रिपोर्ट: डार्को यानयेविच/आरएस
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