खेती के कचरे को खजाने में बदल रहे हैं ये किसान
१० नवम्बर २०२१केमिकल इंजीनियर नोएल एन'गेस्सान ने इस छोटे से हरे रंग के डिब्बे 'कुबेको' को आइवरी कोस्ट में हर साल पैदा होने वाले करोड़ों टन कृषि कचरे को उपयोगी बनाने के लिए बनाया था. देश में हर साल करीब तीन करोड़ टन कृषि कचरा और गोबर जैसा बायोकचरा पैदा होता है.
ताड़ का तेल बनाने वाले मिशेल अहोरी जैसे किसानों को इस डिब्बे में बस कचरे को फेंक कर चार हफ्तों तक इंतजार करना होता है. एक डिब्बा हर महीने 150 किलो कम्पोस्ट तक बना सकता है.
ब्रिटेन से पुरस्कार
कम्पोस्ट को अपने ताड़ के पेड़ों की जड़ों में फैलाने के बाद अहोरी ने बताया, "यह प्राकृतिक है, आर्गेनिक है, हमारी मिटटी और हमारे खेतों के लिए उपयुक्त है. हमारी पैदावार तीन गुना बढ़ जाएगी."
जुलाई में इस खोज के लिए एन'गेस्सान को यूके की रॉयल अकैडमी ऑफ इंजीनियरिंग की तरफ से 33,700 डॉलर का इनोवेशन पुरस्कार दिया गया. उस समय तक उनकी टीम ने आइवरी कोस्ट में 50 डिब्बे बेच भी दिए थे. डिब्बों को कोको, ताड़ का तेल और आम उगाने वाले किसानों ने खरीदा.
अकैडमी के मुताबिक इन डिब्बों को बनाने में 700 डॉलर की लागत आई थी. एन'गेस्सान की टीम बायोडाइजेस्टर भी बनाती है. वो भी देखने में ऐसे ही धातु के डिब्बे जैसे दिखते हैं. वो एक दिन में पांच किलो कचरे में से इतनी गैस निकाल सकते हैं जिससे दो घंटों तक खाना पकाया जा सकता है.
पर्यावरण की रक्षा
गैस बनाने के साथ साथ ही ये डिब्बे कई लीटर लिक्विड कम्पोस्ट भी बना देते हैं. 2018 में आई यूरोपीय आयोग की एक रिपोर्ट के मुताबिक गैस उत्पादन का यह तरीका पश्चिमी अफ्रीका में ग्रामीण इलाकों के लिए स्वच्छ ऊर्जा के एक सस्टेनेबल वैकल्पिक स्त्रोत के रूप में उभर सकता है.
बायोगैस मुख्य रूप से मीथेन और कार्बन डाइऑक्साइड का मिश्रण होती है. रिपोर्ट में बताया गया कि हर क्यूबिक मीटर बायोगैस से लगभग पांच किलो लकड़ी या तीन किलो कोयले को बदला जा सकता है.
किसान अहोरी कहते हैं, "अपने कचरे को फेंकने की जगह हम उसे इकठ्ठा करते हैं. उसे सड़ने के लिए छोड़ने की जगह उसका इस्तेमाल करके पर्यावरण की रक्षा कर रहे हैं."
सीके/एए (रॉयटर्स)