1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

पाकिस्तान में इतनी महंगाई, लोग कैसे मनाएं ईद

२० अप्रैल २०२३

रमजान के आखिरी सप्ताह में छोटे दुकानदार यह उम्मीद लगाए रखते हैं कि उनकी बिक्री पूरे साल के मुकाबले ज्यादा होगी. लेकिन इस बार तस्वीर उलट है.

https://p.dw.com/p/4QKHm
जरूरत के मुताबिक ही खरीदारी कर रहे लोग
जरूरत के मुताबिक ही खरीदारी कर रहे लोगतस्वीर: PPI/Zuma/picture alliance

रमजान के अंत में छुट्टियां पाकिस्तान में छोटी दुकानों और फेरीवालों के लिए आय की गारंटी हुआ करती थीं. यह अंतिम सप्ताह पूरे साल की तुलना में अधिक कमाने वाला होता था लेकिन इस ईद स्थिति अलग है.

पाकिस्तान के बहुत से दुकानदारों को चिंता है कि वे अपनी दुकानों का किराया भी नहीं भर पाएंगे. देश में महंगाई दशकों में अपने उच्चतम स्तर को छू रही है और राजनीतिक उथल-पुथल ने देश को अनिश्चितता की स्थिति में छोड़ दिया है.

शहजाद अहमद पूर्वी शहर लाहौर में बैग, जूलरी और अन्य सामान बेचने वाली एक दुकान चलाते हैं. अहमद कहते हैं, "कोई ग्राहक नहीं हैं, कोई खरीदार नहीं हैं."

पाकिस्तान में बेकाबू महंगाई

22 करोड़ से ज्यादा आबादी वाले इस दक्षिण एशियाई देश में मार्च के दौरान महंगाई दर 35.4 फीसदी थी. पिछले बारह महीनों में खाद्य कीमतों में 47 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है, जबकि परिवहन लागत में 55 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है.

पाकिस्तान भारी कर्ज में डूबा हुआ है और खुद को डिफॉल्ट होने से बचने के लिए कड़े आर्थिक सुधारों को लागू करने की जरूरत है जिससे उसे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से 6.5 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज की अगली किश्त मिल जाए.

पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था का बुरा हाल

दूसरी ओर सालों के वित्तीय कुप्रबंधन और राजनीतिक अस्थिरता के कारण देश की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है. यही कारण है कि गंभीर आर्थिक कठिनाइयों ने देश के बाजारों में निराशा फैला दी है. इसके अलावा वैश्विक ऊर्जा संकट और पिछले साल आई बाढ़ ने हालत और खराब कर दी है.

एक अन्य कारोबारी सैफ अली कहते हैं, "पिछले साल के मुकाबले खरीदार कम हैं और इसकी वजह महंगाई है."

शेख आमिर चूड़ियों और मनिहारी की दुकान चलाते हैं. उनका कहना है कि आमतौर पर वह ईद के सीजन में उतना कमा लेते थे जितना पूरे साल में नहीं कमा पाते थे. हालांकि इस सीजन के बारे में उनका कहना है, "आजकल यह बहुत मुश्किल हो गया है. बाजार में मंदी है और अब हम बस यही उम्मीद कर रहे हैं कि हम अपनी दुकानों का किराया दे पाएंगे."

 गायब है ईद की रौनक

आमतौर पर देश भर में ईद से पहले खरीदारी की होड़ मची रहती थी और बाजार खरीदारों से भरे हुए होते थे. शहरी क्षेत्रों में बाजार आधी रात के बाद भी खुले रहते हैं. हालांकि इस साल हर तरफ से खरीद-फरोख्त में भारी कमी की खबर मिल रही है.

अली ईद के मौके पर कढ़ाई वाले शॉल बेचते हैं. उन्होंने भी कहा, "हमारा कारोबार धीमा चल रहा है." अली को उम्मीद थी कि वह ईद के पहले सैकड़ों शॉल बेच डालेंगे.

सात बेटियों की मां फातिमा अजहर महमूद का कहना है कि इस ईद पर उन्हें बजट के मुताबिक खर्च करना होगा. फातिमा कहती हैं, "मुझे बच्चों के लिए शॉपिंग करनी है और घर के लिए सामान भी खरीदना है."

फातिमा आगे कहती हैं, "हमें राशन खरीदना है, बच्चों के लिए सामान खरीदना है और घर का किराया भी ज्यादा है. सब कुछ एक ही समय पर आया है."

आमना असीम ने इस साल कीमतों में तेजी को देखते हुए सिर्फ बच्चों के लिए तोहफे खरीदने का फैसला किया है. वह इस साल किसी बड़े या रिश्तेदार को गिफ्ट नहीं देंगी. आमना कहती हैं, "बच्चों के लिए शॉपिंग जरूरी है. हम बच्चों को यूं ही नहीं छोड़ सकते हैं. अगर हम अपने लिए कुछ न भी खरीदे तो भी बच्चों के लिए शॉपिंग जरूरी है."

एए/वीके (एपी, एएफपी)