स्पेन में सीपियां बटोरने वाली महिलाएं
उत्तर पश्चिमी स्पेन के गैलिसिया प्रांत में, क्लैम यानी बड़ी सीपियों को बटोरना पीढ़ियों से चली आ रही एक पुरानी परंपरा है. और इस काम को अधिकांश रूप से महिलाएं ही करती हैं.
खाड़ी में उतरना
गैलिसिया के लूरीजां में कम ज्वार के समय महिलाओं के ज्यादातर समूह खाड़ी की गीली रेत में उतर कर फैल जाते हैं. बातें करती और हंसती हुई ये महिलाएं रेन बूट पहनती हैं और साथ में सीप जमा करने का औजार और बाल्टियां लिए रहती हैं. इन्हें 'क्लैम डिगर' यानी सीपियां बटोरने वाली कहा जाता है. वो खुद को "समंदर की किसान" कहती हैं.
परंपरा और कड़ी मेहनत
इस इलाके में सीपियां बटोरने की परंपरा कई पीढ़ियों से चली आ रही है. पुराने समय में, लूरीजां गांव के पुरुष जब समंदर में महीनों लंबी यात्राओं पर चले जाते थे तब महिलाएं वहां की गीली रेत में सीपियां खोजती थीं.
कैसे मिलती हैं सीपियां
क्लैम को इकठ्ठा करने के लिए दो तरीके इस्तेमाल किये जाते हैं. पहला, एक रेक से मुलायम रेत को कुरेदा जाता है और एक बाल्टी में जितने मुमकिन हों उतने क्लैम इकठ्ठा किये जाते हैं. दूसरे तरीके में वाटरप्रूफ कपड़े या नदी से मछली पकड़ने वाले कपड़े पहन कर खाड़ी के ठंडे पानी में कमर तक उतर जाते हैं. धातु के पिंजरे से जुड़े हुए एक रेक से समुद्र के तल की रेत को कुरेदते हैं. फिर वहां मिली सीपियों को ऊपर लेकर आते हैं.
कम हो रहे हैं क्लैम
हर दिन इन महिलाओं को कुल लगभग 10 किलो के बराबर दो अलग-अलग किस्म के क्लैम घर ले जाने की इजाजत मिलती है. काम कब किया जा सकता है यह ज्वार और मौसम तय करते हैं, लेकिन कभी कभी पानी के मैला होने की वजह से इन्हें इकठ्ठा करना प्रतिबंधित कर दिया जाता है. लोगों का कहना है कि आजकल हर तरह के क्लैम मिलने कम हो गए हैं, शायद जलवायु परिवर्तन की वजह से.
आर्थिक स्वतंत्रता
बटोरे गए क्लैमों को स्थानीय मछली बाजार में बेच दिया जाता है. वहां से यह पूरे देश में मछली बेचने वालों के पास पहुंच जाती हैं. फिर इन्हें घरों और रेस्तरां में महंगी डिश के रूप में परोसा जाता है. आजकल यह गतिविधियां रेगुलेट की जाती हैं और महिलाओं को एक तरह से वेतन की गारंटी दी जाती है. इससे उन्हें थोड़ी सी आर्थिक स्वतंत्रता मिलती है. आजकल तो परमिट मिलने में सालों लग सकते हैं.
ब्रेक का समय
इन महिलाओं का कहना है कि दशकों पहले यह काम ज्यादा मुश्किल था, क्योंकि तब ना सुरक्षात्मक कपड़े थे और ना काम बंद होने के समय मिलने वाली सामाजिक सुरक्षा. इनमें से कई तो तैरना भी नहीं जानती थीं. आज यह एक महीने में 15 से 16 दिनों तक करीब तीन घंटा रोज काम करती हैं. बाजार में चल रही कीमत के हिसाब से ये एक शिफ्ट में औसत 100 यूरो तक कमा लेती हैं.
सस्टेनेबिलिटी
क्लैम के इन समुद्री खेतों को बीज लगा कर या बेबी क्लैम रोप कर लगातार फिर से भरा जाता है. जहां से क्लैम पूरी तरह निकाल लिए गए हैं, उन इलाकों को घेर दिया जाता है ताकि वे फिर से स्वस्थ हो सकें. इस तरह एक साइक्लिकल और सस्टेनेबल उद्योग को बनाये रखा जाता है. (केविन मार्टेंस, एपी से सामग्री के साथ)