क्या भारत स्पॉट फिक्सिंग का गढ़ बन चुका है
२५ जनवरी २०२२मैक्स फिक्सिंग का आरोप झेल रहे जिम्बाब्वे के पूर्व क्रिकेट कप्तान ब्रेंडन टेलर के खिलाफ आईसीसी (इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल) कड़ा कदम उठाने की तैयारी कर रही है. टेलर को आशंका है कि उन पर कई साल का बैन लग सकता है. इन समीकरणों के बीच टेलर ने आईसीसी के फैसले से पहले एक बयान जारी किया है.
टेलर ने स्वीकार किया है कि उन्होंने एक भारतीय फिक्सर से 15,000 डॉलर लिए. पिछले साल अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने वाले टेलर का दावा है कि पैसे लेने के बावजूद उन्होंने कभी मैच फिक्सिंग नहीं की.
जिम्बाब्वे की राजधानी हरारे में अपना पक्ष रखते हुए 35 साल के टेलर ने अक्टूबर 2019 की भारत यात्रा का जिक्र किया. टेलर के मुताबिक उन्हें स्पॉन्सरशिप डील की बातचीत के बहाने भारत बुलाया गया. इस दौरान एक कारोबारी ने डिनर के बाद उन्हें कोकीन ऑफर की. टेलर ने स्वीकार किया है कि उन्होंने मूर्खतापूर्ण हरकत करते हुए कोकीन ले ली.
टेलर कहते हैं, "अगली सुबह वही आदमी मेरे होटल के कमरे में आया. उसने मुझे रात में कोकीन का नशा करते समय रिकॉर्ड किया गया वीडियो दिखाया और मुझसे कहा कि अगर मैंने अंतरराष्ट्रीय मैचों में स्पॉट फिक्सिंग नहीं की तो ये वीडियो सार्वजनिक कर दिया जाएगा."
इसके बाद टेलर ने उस कारोबारी से 15,000 डॉलर लिए. यह रकम डिपोजिट कहकर दी गई. टेलर का दावा है कि कारोबारी ने काम पूरा करने के बाद उन्हें 20,000 डॉलर और देने का वादा किया था.
कैसे पता चला स्पॉट फिक्सिंग के इस मामले का
इस घटना के चार महीने बाद टेलर ने खुद आईसीसी को मामले की जानकारी दी. उन्होंने यह स्वीकार किया कि उनका आचरण क्रिकेट के भ्रष्टाचार निरोधी नियमों का उल्लंघन करता है और अब आईसीसी जो भी फैसला करेगी, उसे वह सिर झुकाकर स्वीकार करेंगे.
इतना सब कुछ हो जाने के बाद आखिर टेलर ने बयान जारी करने की क्यों सोची. इसके जवाब में वह कहते हैं, "मेरी कहानी सभी क्रिकेटरों के लिए एक सबक बन सकती है, ये उन्हें इस बात के लिए प्रेरित करेगी कि ऐसी भ्रष्ट कोशिशों की सूचना तुरंत दें."
2004 से 2021 तक चले क्रिकेट करियर के बाद अब टेलर रिहैबिलिटेशन सेंटर का रुख करने जा रहे हैं. टेलर मानते हैं कि नशे की लत के कारण ही वह इस हाल में पहुंचे हैं, "मैंने ऐसे पदार्थ लिए जिन्होंने मुझ पर नियंत्रण कर लिया और मैंने नैतिकता और मूल्यों से समझौता किया."
टेलर की गिनती जिम्बाब्वे के सबसे बढ़िया क्रिकेटरों में होती है. वनडे में वह जिम्बाब्वे के लिए सबसे ज्यादा रन बनाने वाले दूसरे बल्लेबाज हैं और टेस्ट में चौथे.
मैच फिक्सिंग का गढ़ भारत
जिम्बाब्वे के पूर्व कप्तान और कोच हीथ स्ट्रीक पर भी पिछले साल आईसीसी ने आठ साल का बैन लगाया. कभी दुनिया के सबसे बढ़िया गेंदबाजों में गिने जाने वाले हीथ स्ट्रीक के एक भारतीय कारोबारी से रिश्ते थे. कारोबारी सट्टे के लिए स्ट्रीक से टीम की अंदरूनी जानकारी मांगा करता था. इस जानकारी के बदले वह जिम्बाब्वे के पूर्व कोच को बिटकॉइन समेत कई तरह के तोहफे देता था.
भारत में सरकारें मानें या न मानें लेकिन देश में बड़े पैमाने पर होने वाली सट्टेबाजी किसी से नहीं छुपी है. आईपीएल समेत तमाम क्रिकेट टूर्नामेंटों के दौरान देश के तमाम राज्यों में हर एक बॉल या ओवर पर करोड़ों का सट्टा लगता है. मोबाइल फोन पर भाव आता है और यस या नो से ही काम चल जाता है.
करोड़ों रुपये दांव पर होने के कारण सट्टेबाज किसी भी तरह मैच का रुख अपने फायदे में मुड़ते देखना चाहते हैं. दुर्भाग्य से अकसर गरीब देशों के प्रतिभाशाली खिलाड़ी या स्टाफ मेम्बर इन कथित कारोबारियों के झांसे में आ जाते हैं. एक बार झांसे में आने के बाद खिलाड़ी और कोच सट्टेबाजी की इस दुनिया से चाहकर भी बाहर नहीं निकल पाते हैं. ऐसा करने पर उनके खिलाफ सारे सबूत पुलिस या आईसीसी को देने की धमकी दी जाती है. टेलर के मामले में तो वीडियो रिकॉर्डिंग को ब्लैकमेल करने का औजार बनाया गया.
अपने खिलाड़ियों को अच्छी सैलरी देने वाले क्रिकेट बोर्डों को ऐसी समस्याओं से बहुत कम जूझना पड़ता है. लेकिन तंगहाली में क्रिकेट खेलने वाले बड़े नाम कई बार फिक्सरों के झांसे में आ जाते हैं. पाकिस्तान के सलमान बट, मोहम्मद आमिर और मोहम्मद आसिफ जैसे दिग्गज खिलाड़ी भी स्पॉट फिक्सिंग में फंस चुके हैं.
बीते कुछ बरसों में सट्टेबाजी को कानूनी बनाकर टैक्स के दायरे में लाने पर भी चर्चा हो रही है. क्रिकेट मैच से पहले मोबाइल ऐप पर अपनी टीम बनाने या प्रोजेक्टेड स्कोर का अंदाजा लगाने का खुलेआम प्रचार भी हो रहा है. इन नए नए प्रयोगों में कानून और धांधली की लकीरें कब मिट जाती हैं, इसका अंदाजा लगाना बहुत मुश्किल नहीं है.
ओएसजे/आरपी (एपी)