श्रीलंका में संकट का अंत नहीं, कैबिनेट ने इस्तीफा दिया
४ अप्रैल २०२२1948 में ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद अपने सबसे बुरे आर्थिक संकट से गुजर रहे भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका में खाने, ईंधन और अन्य जरूरी चीजों की भारी कमी हो गई है. महंगाई सर्वोच्च स्तर पर पहुंच चुकी है और बिजली-पानी भी सलीके से उपलब्ध नहीं हैं.
इसी कारण देशभर में लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं जो कई जगह हिंसक हो चुके हैं. एक प्रदर्शनकारी भीड़ ने राष्ट्रपति राजपक्षे के कोलंबो स्थित घर में घुसने की कोशिश की थी. इस घटना के बाद देशभर में कर्फ्यू लगा दिया गया था जो सोमवार सुबह तक लागू रहना था.
पूरे मंत्रिमंडल का इस्तीफा
बिगड़ते हालात के बीच देश के सभी 26 मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया है. हालांकि राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे और उनके बड़े भाई प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने पद नहीं छोड़ा है. शिक्षा मंत्री दिनेश गुणावरदेना ने पत्रकारों को मंत्रिमंडल के इस्तीफे की जानकारी दी.
इन सामूहिक इस्तीफों के बाद अब राष्ट्रपति के लिए नए मंत्रियों की नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है. हालांकि स्थानीय मीडिया में ऐसी खबरें हैं कि कुछ लोगों को दोबारा भी नियुक्त किया जा सकता है. इससे पहले मुख्य विपक्षी दलों के गठबंधन समागी जन बलवेगाया ने सरकार द्वारा सोशल मीडिया पर बैन की निंदा करते हुए कहा कि सरकार सार्वजनिक विरोध को कुचलना चाहती है.
गठबंधन के सांसद हर्ष डे सिल्वा ने कहा कि सरकार को इस्तीफा दे देना चाहिए. उन्होंने कहा, "राष्ट्रपति राजपक्षे को समझ जाना चाहिए कि अब उनके एकाधिकारवादी शासन के खिलाफ पासा पलट चुका है.”
एक अन्य एसएलबी सांसद एरान विक्रमारत्ने ने सड़कों पर सेना उतारने के फैसले की आलोचना की. कोलंबो में सेना प्रदर्शनकारियों को आगे बढ़ने से रोक रही है. इस बारे में विक्रमारत्ने ने कहा, "हम सेना को कब्जा करने नहीं दे सकते. उन्हें पता होना चाहिए कि हम अब भी एक लोकतांत्रिक देश हैं.”
कितना बड़ा है संकट?
श्रीलंका काविदेशी मुद्रा भंडार लगभग खालीहो चुका है. देश पर 51 अरब डॉलर यानी लगभग 39 खरब रुपये का कर्ज है और वह अपनी किश्तें नहीं चुका पा रहा है. उसके पास जरूरी चीजें खरीदने के लिए भी धन नहीं है इसलिए आम लोगों के लिए सामान की किल्लत हो गई है.
पर्यटन पर आधारित अर्थव्यवस्था वाले देश में बीते दो साल बहुत बुरे गुजरे क्योंकि कोविड महामारी के कारण पर्यटन उद्योग एकदम बंद रहा. लेकिन कई विशेषज्ञों का कहना है किसरकार के कुप्रबंधन के कारणयह संकट और ज्यादा बड़ा हो गया. कई अर्थशास्त्रियों ने सालों से बढ़ते कर्ज और करों में गलत-सलत कमी को इन हालात के लिए जिम्मेदार बताया है.
श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने पिछले कुछ सालों में अपने परिजनों को सरकार में बड़े-बड़े पद दिए थे. उनके बड़े भाई महिंदा राजपक्षे (75) प्रधानमंत्री थे जबकि कम से कम आधा दर्जन पदों पर उन्हीं के रिश्तेदार बैठे थे. गोटाबाया के सबसे बड़े भाई चमल राजपक्षे (78) गृह राज्य मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री और आपदा प्रबंधन मंत्री थे. उनके चौथे भाई, बासिल राजपक्षे (70) को वित्त मंत्री बनाया गया था.
भाइयों के अलावा भतीजे भी श्रीलंका सरकार में ऊंचे पदों पर थे. महिंदा के बेटे नमल राजपक्षे, श्रीलंका के युवा एवं खेल मंत्री थे. चमल के पुत्र शाशेंद्र राजपक्षे को एक अनोखा मंत्रालय सौंपा गया, जिसका नाम - 'धान और अनाज, ऑर्गेनिक फूड, सब्जियां, फल, मिर्च, प्याज और आलू, बीज उत्पादन और उच्च तकनीक वाली कृषि का मंत्रालय' रखा गया था.
वीके/एए (एएफपी, रॉयटर्स)