कोरोना वैक्सीन पर भूटान की 'सफलता की कहानी'
२७ जुलाई २०२१विदेशी दान की बाढ़ के बाद सुदूर हिमालयी देश में चार लाख 54 हजार से अधिक लोगों को कोरोना की दूसरी खुराक दी जा चुकी है. यह पांच लाख 30 हजार से अधिक योग्य वयस्क आबादी का 85 प्रतिशत से ज्यादा है. यूनिसेफ के भूटान प्रतिनिधि विल पार्क्स ने महत्वाकांक्षी टीकाकरण अभियान को "भूटान के लिए एक बड़ी सफलता की कहानी" बताया है.
थिम्पू में उन्होंने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "हमें वास्तव में एक ऐसी दुनिया की जरूरत है जिसमें उन देशों के पास अतिरिक्त टीके हैं वे उन्हें दान करें जिनको अब तक एक भी खुराक नहीं मिली है."
पार्क्स कहते हैं, "अगर ऐसा कुछ है जो मुझे उम्मीद है कि दुनिया जो सीख सकती है, वह यह है कि भूटान जैसा देश जिसके पास बहुत कम डॉक्टरों, बहुत कम नर्सों के साथ एक प्रतिबद्ध राजा है. समाज को संगठित करने वाली सरकार के नेतृत्व में पूरे देश का टीकाकरण करना असंभव नहीं है."
भारत ने की थी मदद
छोटे देश ने मार्च के अंत में और अप्रैल की शुरुआत में भारत द्वारा दान किए गए साढ़े पांच लाख एस्ट्राजेनेका के टीके में से अधिकांश का उपयोग किया था. भारत में दूसरी लहर के दौरान निर्यात को बंद कर दिया था. पहली और दूसरी खुराक के बीच बढ़ते समय के अंतर का सामना करते हुए भूटान ने दान के लिए अपील की थी.
अमेरिका ने कोवैक्स के माध्यम से पांच लाख खुराकें मॉडर्ना की वैक्सीन भेजी थीं. मध्य जुलाई में डेनमार्क की तरफ से ढाई लाख एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन देश पहुंचीं. भूटान को विश्व स्वास्थ्य संगठन और गावी वैक्सीन योजना के तहत मदद मिली.
कोरोना संक्रमण भी बेहद कम
सात लाख 70 हजार से अधिक आबादी वाले इस देश को चार लाख से अधिक एस्ट्राजेनेका, फाइजर और सिनोफार्म की वैक्सीन क्रोएशिया, बुल्गारिया, चीन और कई अन्य देशों से आने वाले दिनों में मिलने की उम्मीद है.
इस बीच सरकार ने दो लाख फाइजर की खुराकें खरीदी हैं जिनकी इस साल के अंत में डिलीवरी होने की उम्मीद है. भारत और चीन से घिरे भूटान में सिर्फ ढाई हजार के भीतर कोरोना संक्रमण के मामले सामने आए और सिर्फ दो लोगों की मौत हुई.
देश में वैक्सीन का अभियान तेजी से चला जो कि अन्य दक्षिण एशियाई देशों के विपरीत है. ये देश भारत द्वारा वैक्सीन निर्यात के निलंबन से भी प्रभावित हुए हैं.
एए/वीके (एएफपी)