ताइवान ने चीन में मिलने के हांगकांग मॉडल को ठुकराया
१ जनवरी २०२०ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ने कहा है कि हांगकांग मॉडल जिसमें एक देश दो व्यवस्था का सिद्धान्त था, उसे ताइवान नहीं अपना सकता. चीन ने ताइवान के सामने इस मॉडल की पेशकश कर ताइवान का चीन में एकीकरण करने का ऑफर दिया था. त्साई ने कहा कि यह प्रयोग हांगकांग में ही विफल हो गया तो ताइवान जैसे लोकतांत्रिक देश में कैसे काम कर सकता है.
ताइवान में 11 जनवरी को चुनाव होने हैं. चुनावों से पहले नए साल के मौके पर संबोधन में त्साई ने कहा कि अगर वो जीतकर आती हैं तो ताइवान की संप्रभुता बचाए रखेंगी. उन्होंने कहा कि वह चीन के बढ़ते दबाव के सामने झुकेंगी नहीं और चीन के प्रभुत्व को कम करने के नए उपाय लागू करेंगी.
त्साई ने कहा,"हांगकांग के लोगों ने दिखा दिया है कि एक देश दो व्यवस्था का सिस्टम नहीं चल सकता. इस सिस्टम से हांगकांग में हालत खराब होते ही जा रहे हैं. इस सिस्टम की विश्वसनीयता खत्म हो गई है और इससे सरकारी ताकत का दुरुपयोग सामने आया है. लोकतंत्र और अधिनायकवाद किसी देश में एक साथ नहीं चल सकते."
ताइवान खुद को एक संप्रभु देश बताता है लेकिन चीन इसे अपना अलग हुआ एक हिस्सा बताता है. चीन ने ताइवान को धमकी दी है कि वह ताकत का इस्तेमाल कर ताइवान को अपने कब्जे में ले लेगा. इसके विरोध में 31 दिसंबर 2019 को ताइवान ने संसद में एक कानून पारित किया. इस कानून का मकसद चीन के बढ़ते प्रभाव को कम करना है.
चीन की पेशकश के बाद ताइवान के चुनाव में त्साई के पक्ष में माहौल बन गया है. ताइवान की विपक्षी पार्टी केएमटी को चीन समर्थक माना जाता है. इस पार्टी के राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी हान कुओ-यू के विरोध में 21 दिसंबर को देशव्यापी प्रदर्शन हुए थे. अभी तक आ रहे ओपिनियन पोल में भी त्साई को बढ़त मिलती दिख रही है.
त्साई का कहना है कि उनके इस बार सत्ता में आने के बाद ताइवान का मुख्य फोकस इस बात पर रहेगा कि चीन कैसे देश को अस्थिर करने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था के छोटे लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए वे ताइवान की संप्रभुता से समझौता नहीं करेंगी.
अपने नए साल के भाषण में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ताइवान पर सैन्य ताकत इस्तेमाल करने के अपने पुराने जुमले को नहीं दोहराया. हालांकि उन्होंने अपने भाषण में ताइवान की स्वतंत्रता को चुनौती दी है.
आरएस/एके (रॉयटर्स, एपी)
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