तालिबान की यूरोपीय संघ और अमेरिका से पहली आधिकारिक मुलाकात
२४ जनवरी २०२२अगस्त 2021 में अफगानिस्तान की सत्ता संभालने के बाद से तालिबान अंतरराष्ट्रीय संबंध सुधारने और मान्यता हासिल करने की कोशिशों में लगा है. इसी कड़ी में तालिबान सरकार के विदेश मंत्री अमीर खान मुतक्की के नेतृत्व में एक दल ने पश्चिमी देशों के प्रतिनिधियों और अफगान सिविल सोसाइटी के लोगों से मुलाकात की है. नॉर्वे के राजधानी ओस्लो में हुई ये मुलाकात, पहला मौका है जब तालिबान की यूरोप में पश्चिमी देशों से आधिकारिक स्तर पर बातचीत हुई हो. इस मुलाकात की तालिबान के लिए खासी अहमियत है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता हासिल करने के अलावा वे अमेरिका और यूरोप में फ्रीज किए गए अफगान सरकार के कई बिलियन डॉलर वापस हासिल करना चाहते हैं. अफगानिस्तान इस वक्त एक बड़े मानवीय संकट से जूझ रहा है. भोजन की कमी और सर्दी ने हालात और खराब बना दिए हैं.
इस मुलाकात के बारे में तालिबानी प्रतिनिधि सैफुल्लाह आजम ने कहा, ये "अफगान (तालिबान) सरकार को मान्यता देने की ओर एक कदम है." हालांकि मेजबान नॉर्वे ने ऐसे दावों को खारिज किया है. नॉर्वे की विदेश मंत्री अन्नीकेन हुइटफेल्ट ने स्पष्ट किया कि इस मुलाकात का मतलब तालिबान को मान्यता या वैधता देना नहीं है. अभी तक दुनिया के किसी भी देश ने अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी है.
देश चलाने के लिए पैसा नहीं
अफगानिस्तान के बजट का 80 प्रतिशत हिस्सा अंतरराष्ट्रीय मदद से आता है. 24 जनवरी से तालिबान के प्रतिनिधि- अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी, इटली और यूरोपीय संघ के प्रतिनिधियों से मिलेंगे. उनका लक्ष्य होगा कि इन देशों में अफगान सरकार का फ्रीज किया गया पैसा, उन्हें वापस मिल पाए. अकेले अमेरिका ने करीब 10 बिलियन डॉलर फ्रीज किए हुए हैं. तालिबानी प्रतिनिधि सैफुल्लाह आजम ने कहा, भुखमरी और जानलेवा सर्दी से अफगानिस्तान में पैदा हुए संकट में अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मदद के लिए आगे आना चाहिए और अफगानियों को राजनैतिक मसलों की वजह से ये सब सहने के लिए नहीं छोड़ना चाहिए. कुछ समय पहले तालिबान प्रशासन को संयुक्त राष्ट्र की ओर से कुछ राहत मिली थी. उन्होंने तालिबान को आयात और बिजली आपूर्ति के लिए पैसा चुकाने की अनुमति दे दी थी.
तालिबान को फंड देने की एवज में पश्चिमी देश भी कुछ शर्तें रखेंगे. माना जा रहा है कि महिलाओं के अधिकार और अफगानिस्तान की सत्ता में अल्पसंख्यक धार्मिक और कबाइली समूहों को हिस्सा देने की शर्तों मुख्य होंगी. अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने भी कहा है कि तालिबन से नई राजनैतिक व्यवस्था, मानवीय संकट, आर्थिक संकट और महिला अधिकारों पर बातचीत की जाएगी. सत्ता में आने के बाद से तालिबान ने अफगान महिलाओं पर कई तरह की पाबंदियां लगा दी हैं. स्वास्थ्य और शिक्षा के अलावा किसी भी अन्य क्षेत्र में महिलाओं को काम करने की इजाजत नहीं है. लड़कियों के छठी कक्षा से आगे पढ़ने पर पाबंदी है. सत्ता में आने के बाद से तालिबान लगातार नागरिक अधिकार समूहों और पत्रकारों को निशाना बनाता रहा है.
कुछ को उम्मीद, कुछ विरोध में
पश्चिमी देशों और तालिबान की इस मीटिंग का कुछ लोगों ने नॉर्वे के विदेश मंत्रालय के बाहर इकट्ठा होकर विरोध भी किया है. एक प्रदर्शनकारी शाला सुल्तानी ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा कि "आप आतंकवादियों से बातचीत नहीं करते. ये मुलाकात उन लोगों का मुंह पर मजाक बनाना है, जिन्होंने अपने परिजनों को (अफगानिस्तान में) खोया है."
गौरतलब है कि इस बैठक में तालिबान से जुड़े सबसे हिंसक गुट- हक्कानी नेटवर्क के नेता अनस हक्कानी भी शामिल रहे. अनस को अमेरिका ने कुछ साल तक बगराम डिटेंशन सेंटर में बंद रखा था और साल 2019 में बंदियों की अदला-बदली के दौरान रिहा किया गया था. अफगानिस्तान सरकार में खदान और पेट्रोल मंत्री रहीं और अब नॉर्वे में रह रहीं नरगिस नेहान ने एएफपी से कहा कि उन्होंने बातचीत का न्यौता स्वीकारने से इनकार कर दिया. उनका मानना है कि ये तालिबान के पक्ष में माहौल बनाएगा और तालिबान का सामान्यीकरण कर देगा, जबकि तालिबान खुद नहीं बदलेंगे.
तालिबान ने रविवार को सिविल सोसाइटी और महिला अधिकार कार्यकर्ताओं से मुलाकात भी की है. हालांकि इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. महिला अधिकार कार्यकर्ता जमीला अफगान ने एएफपी से बातचीत में कहा, "ये मुलाकात सही दिशा में रही. तालिबान ने नेक नीयत दिखाई है. आगे देखते हैं कि क्या उनके काम यहां बोली बातों के मुताबिक होते हैं."
आरएस/ओएसजे(एपी, एएफपी)