फ्रांत्स बेकेनबाउअर: कई रूपों वाला एक दिग्गज फुटबॉलर
जर्मनी के दिग्गज फुटबॉल खिलाड़ी फ्रांत्स बेकेनबाउअर का 78 साल की उम्र में निधन हो गया है. बेकेनबाउअर जर्मनी के ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल के सबसे करिश्माई खिलाड़ियों में से एक थे. एक नजर उनके पांच दशक लंबे सफर पर.
फुटबॉल का "शहंशाह"
फ्रांत्स बेकेनबाउअर के परिवार के मुताबिक 7 जनवरी 2024 को उनकी नींद में ही मौत हो गई. जर्मनी में "डेर काइजर", यानी शहंशाह, के नाम से जाने जाने वाले बेकेनबाउअर बायर्न म्युनिख क्लब के दिग्गज खिलाड़ी थे. उन्होंने इस क्लब को चार बार जर्मनी की फुटबॉल लीग बुंडेसलीगा का विजेता बनाया और लगातार तीन बार यूरोपियन कप का भी. इतना ही नहीं, उन्होंने विश्व कप भी जीता, एक खिलाड़ी के रूप में और एक कोच के रूप में भी.
अमेरिका में भी रहे
बेकेनबाउअर ने बुंडेसलीगा में अपने करियर की शुरुआत 1965 में बायर्न म्युनिख के साथ की और 1977 तक उसके लिए खेला. फिर वो न्यूयॉर्क चले गए, जहां उन्होंने तीन सीजन कॉसमॉस क्लब के साथ बिताए. 1980 में वो वापस पश्चिमी जर्मनी लौटे और दो साल हैम्बर्ग में खेले. कॉसमॉस के साथ एक सीजन और बिताने के बाद उन्होंने बतौर खिलाड़ी संन्यास ले लिया.
मैदान से परे
एडवर्टाइजरों और संगीत निर्माताओं को शुरू में ही बेकेनबाउअर के रूप में एक सफल ब्रांड मिल गया था. 1966 में उन्होंने एक जर्मन गाना रिकॉर्ड किया जिसके बोलों का हिंदी में अर्थ है "अच्छे दोस्तों को कोई जुदा नहीं कर सकता". अपने एडवर्टाइजिंग करियर के दौरान वो इंस्टेंट सूप से लेकर मोबाइल फोन नेटवर्कों तक के विज्ञापनों में नजर आए.
दूसरों से अलग
बेकेनबाउअर की ख्याति उनके खेलने की शैली की सुंदरता के साथ साथ उनके अभिमान को लेकर भी थी - हालांकि उन्हें अभिमानी कहने वालों ने उनके आगे की सोच रखने की शैली को गलत समझा था. उनके सटीक और चतुर पास देने के अंदाज ने उन्हें दुनिया में मशहूर बनाया. 1974 में उन्होंने पश्चिमी जर्मनी को म्युनिख में हुए विश्व कप में जीत दिलाई.
उन पर गुड़िया भी बनी
1977 तक बेकेनबाउअर इन्हें लोकप्रिय हो चुके थे कि "शहंशाह" नाम से उनकी एक हमशक्ल गुड़िया बनाई गई और वह गुड़िया जर्मनी के डिपार्टमेंट स्टोरों के खिलौनों के कोनों में खूब बिकी.
दूसरा विश्व कप खिताब
1986 के विश्व कप में मेक्सिको में जर्मनी फाइनल तक पहुंचा, लेकिन अर्जेंटीना से हार गया. बेकेनबाउअर उस जर्मन टीम के कोच थे. चार साल बाद इटली में एक बार फिर बतौर कोच उनके ही मार्गदर्शन में जर्मनी 1990 के विश्व कप के फाइनल में पहुंची और अर्जेंटीना को हरा कर कप जीत लिया. बेकेनबाउअर मारियो जगालो के बाद फुटबॉल के इतिहास में खिलाड़ी और कोच दोनों की भूमिका में विश्व कप जीतने वाले सिर्फ दूसरे खिलाड़ी बन गए.
प्रशासक की भूमिका में
विश्व कप विजय के बाद बेकेनबाउअर क्लब फुटबॉल की तरफ वापस लौट गए. फिर वो खेल प्रशासन से जुड़ गए और 1998 से 2010 तक जर्मन फुटबॉल संघ के उपाध्यक्षों में से एक रहे. उन्हें जर्मनी को 2006 के विश्व कप की मेजबानी दिलाने का लक्ष्य दिया गया और उन्होंने इसे हासिल भी किया.
व्यक्तिगत जीवन
बेकेनबाउअर ने तीन शादियां की और पांच बच्चों के पिता बने. उनकी तीसरी शादी 2006 में हुई. 2015 में उन्हें गहरा धक्का लगा जब उनके बेटे स्टेफान की एक गंभीर बीमारी की वजह से मृत्यु हो गई.
विवाद में फंसना
बेकेनबाउअर उस समिति के अध्यक्ष थे जो 2006 में जर्मनी को विश्व कप की मेजबानी दिलाने में सफल रही थी. उसके बाद वो समारोह की आयोजन समिति के अध्यक्ष भी बन गए. लेकिन उन पर कप की मेजबानी के लिए बोली लगाने की प्रक्रिया में भ्रष्टाचार के आरोप लगे और एक सितंबर 2016 को स्विट्जरलैंड के अटॉर्नी जनरल ने घोषणा की उन्होंने नवंबर 2015 में इस मामले में आधिकारिक रूप से जांच की शुरुआत कर दी थी.
भ्रष्टाचार के आरोप
बेकेनबाउअर और तीन और लोगों पर बोली लगाने की प्रक्रिया के दौरान धोखाधड़ी, आपराधिक कुप्रबंधन, धन शोधन और गबन के आरोप लगाए गए. जांच भी हुई और मुकदमा भी चला लेकिन अप्रैल 2020 में मुकदमे के लिए तय की गई समय सीमा का अंत हो जाने की वजह से बिना किसी फैसले के मुकदमे का अंत हो गया. (चक पेनफोल्ड)