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जर्मनी की सबसे बड़ी स्टील कंपनी में क्यों हो रही भारी छंटनी

नदीन मेना मिशोलेक
११ दिसम्बर २०२४

जर्मनी में कई बड़ी कंपनियों से छंटनी की खबरें आ रही हैं. ताजा नाम है थिसेन क्रुप, जर्मनी की सबसे बड़ी स्टील कंपनी. यह हजारों कर्मचारियों की छंटनी करने की तैयारी में है. कामगारों ने कहा है वे लंबी लड़ाई के लिए तैयार हैं.

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आईजी मेटाल लेबर यूनियन के सदस्य जर्मनी के डुइसबुर्ग शहर में एक प्रदर्शन करते हुए
क्रॉइत्शटाल-आइशन प्लांट को पूरी तरह से बंद किए जाने की भी योजना हैतस्वीर: Ying Tang/NurPhoto/picture alliance

"इसने मेरा दिल तोड़ दिया! आप लोगों से ऐसा बर्ताव नहीं कर सकते हैं. हमने थिसेन क्रुप के लिए इतनी मेहनत से काम किया है."

62 साल के हेलमुट रेंक की बातों में नाराजगी और मायूसी घुली है. वह जर्मन स्टीलमेकर थिसेन क्रुप के क्रॉइत्शटाल-आइशन स्थित प्लांट में वर्क्स काउंसिल के अध्यक्ष हैं. रेंक पिछले 40 साल से यहीं काम कर रहे हैं. अब यह कारखाना बंद किया जा सकता है. रेंट अकेले नहीं, जो गुस्से में हों.

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मजदूर संगठन की प्रतिनिधि उलरिके होल्टर ने बताया कि थिसेन क्रुप के कई कर्मचारी ऐसा ही महसूस कर रहे हैं. वह आईजी मेटाल नाम के श्रम संगठन की केंद्रीय रुअर घाटी शाखा की प्रतिनिधि हैं. वह बताती हैं कि स्टील कर्मचारी मैनेजमेंट से खासे नाराज हैं और उन्हें अपने भविष्य की फ्रिक सता रही है.

कंपनी की क्रॉइत्शटाल-आइशन प्लांट में 500 कर्मचारियों पर छंटनी की तलवार लटक रही है. होल्टर को यकीन है कि इसकी गूंज ना केवल पश्चिमी जर्मनी के इस छोटे से शहर में, बल्कि समूचे देश में सुनाई देगी.

जर्मनी में थिसेन क्रुप के एक प्लांट की तस्वीर
एक समय था, जब रुअर घाटी का इलाका जर्मनी का औद्योगिक गढ़ हुआ करता था. यहां कई कोयला खदानें थीं, स्टील की मिलें थींतस्वीर: Hans Blossey/ZB/euroluftbild.de/picture alliance

थिसेन क्रुप की क्या योजना है?

नवंबर के आखिरी दिनों की बात है, जब 'थिसेन क्रुप स्टील यूरोप' (टीकेएसई) ने बड़ी छंटनी का एलान किया. बताया गया कि चरणबद्ध तरीके से कुल मिलाकर 11,000 नौकरियां जाएंगी. इनमें से 5,000 नौकरियां साल 2030 तक और बाकी 6,000 नौकरियां डायवस्टिचर्स जैसे अन्य तरीकों से खत्म होंगी.

जब कोई कंपनी अपनी संपत्ति या कारोबारी इकाई बेच देती है, या बंद कर देती है या दिवालियापन घोषित करती है, तो इसे डिवेस्टमेंट (या डायवस्टिचर्स) कहते हैं. जर्मनी में इस कंपनी के कुल कामगारों की संख्या करीब 27,000 है. यानी, प्रस्तावित छंटनियों के तहत वर्कफोस को लगभग 40 फीसदी तक कम करने की योजना है.

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क्रॉइत्शटाल-आइशन प्लांट को पूरी तरह से बंद किए जाने की भी योजना है. यहां स्टील प्रोसेसिंग का काम होता है. टीकेएसई ने अपनी समूची स्टील उत्पादन क्षमता को भी घटाने की घोषणा की है. मौजूदा क्षमता करीब एक करोड़, पांच लाख टन है. इसे घटाकर 90 लाख टन तक लाने की योजना है. साथ ही, जर्मनी के बोखुम शहर में भी एक प्लांट को साल 2027 तक बंद कर दिया जाएगा. यानी, पहले बताई गई 2030 की मियाद से तीन साल पहले ही.

कंपनी ने एक बयान में कहा, "थिसेन क्रुप स्टील की अपनी उत्पादकता बढ़ाने, प्रभावी तरीके से कामकाज करने और लागत को प्रतिद्वंद्वी स्तर तक लाने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है." आने वाले सालों में कर्मचारियों पर होने वाले खर्च को औसतन करीब 10 फीसदी तक कम करना कंपनी का लक्ष्य है.

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थिसेन क्रुप मुश्किल में क्यों है?

टीकेएसई, थिसेन क्रुप औद्योगिक समूह की स्टील निर्माता इकाई है. यह जर्मनी का सबसे बड़ा स्टील उत्पादक है. कंपनी के आगे दो बड़ी चुनौतियां हैं. पहली चुनौती यह कि उत्पादन क्षमता के मुकाबले बिक्री तेजी से कम हो रही है. दूसरी चुनौती है, एशियाई देशों से होने वाले सस्ते और किफायती स्टील आयात के कारण बढ़ती प्रतियोगिता.

कम नहीं हो रही हैं जर्मनी की आर्थिक मुश्किलें

जर्मनी की बेहद अहम ऑटोमोटिव इंडस्ट्री भी संघर्ष कर रही है. भविष्य के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर तेजी से बढ़ने के क्रम में ऑटो सेक्टर मुश्किलों का सामना कर रहा है और प्रतिद्वंद्विता में पिछड़ता जा रहा है. ऑटो सेक्टर में स्टील की मांग भी कम हुई है.

इसके अलावा जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स की मौजूदा सरकार ने जर्मनी में हो रहे स्टील उत्पादन में प्रदूषण कम करने की कोशिश की. इसी क्रम में जर्मनी के डुइसबर्ग शहर में टीकेएसई ने एक ऐसी परियोजना शुरू की, जिसे मील का पत्थर माना जा रहा है. यह दुनिया का पहला ऐसा स्टील उत्पादन प्लांट होगा, जिसकी भट्ठी हाइड्रोजन से चलेगी. हालांकि, यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि बिना कार्बन उत्सर्जन किए इस कथित ग्रीन स्टील का उत्पादन करने के लिए सरकारी सब्सिडी के तौर पर जो अरबों की रकम दी जाएगी, वह लागत कभी वसूल हो भी पाएगी कि नहीं. 

इसी साल अगस्त में टीकेएसई सुपरवाइजरी बोर्ड के कई सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया. उन्होंने कंपनी नेतृत्व पर आरोप लगाया कि वे बाजार में अपनी स्टील शाखा की प्रतिद्वंद्विता बनाए रखने के लिए पर्याप्त निवेश करने में नाकाम रहे.

जर्मनी के डुइसबर्ग शहर में थिसेन क्रुप के स्टील उत्पादन केंद्र की एक तस्वीर
टीकेएसई, थिसेन क्रुप औद्योगिक समूह की स्टील निर्माता इकाई है. यह जर्मनी का सबसे बड़ा स्टील उत्पादक हैतस्वीर: Christoph Hardt/Panama Pictures/picture alliance

कई कंपनियां छंटनी की तैयारी में

गेरहार्ड बॉश थिसेन क्रॉप के सुपरवाइजरी बोर्ड के पूर्व सदस्य हैं. उनका मानना है कि कंपनी का संकट सिर्फ अंदरूनी कामगारों तक सीमित नहीं रहेगा. यह अनगिनत नौकरियों पर असर डाल सकता है क्योंकि स्टील उत्पादन के क्षेत्र में हर काम "आमतौर पर कम-से-कम किसी एक और रोजगार में मदद देता है." ऐसा जर्मनी की समूची आपूर्ति शृंखला पर लागू है.

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एक समय था, जब रुअर घाटी का इलाका जर्मनी का औद्योगिक गढ़ हुआ करता था. यहां कई कोयला खदानें थीं, स्टील की मिलें थीं. 2018 में आखिरी कोयला खदान बंद होने के बाद एक लंबे युग का अंत हुआ, जिसके दिए जख्मों के गहरे निशान पूरे इलाके पर पड़े और यह आर्थिक रूप से कमजोर हो गया.

गेरहार्ड बॉश बताते हैं कि बाकी जर्मनी की तुलना में अभी भी इस इलाके में ज्यादा बेरोजगारी है. ऐसे में स्टील क्षेत्र में रोजगार घटने और लोगों की छंटनियों से "डुइसबर्ग को खास चोट पहुंचेगी." चिंताजनक पक्ष यह है कि जर्मनी में स्टील इंडस्ट्री अकेला औद्योगिक क्षेत्र नहीं है, जहां फिलहाल बड़े स्तर पर मुश्किलें पेश आ रही हों.

कई अन्य कंपनियां भी छंटनियां करने की योजना बना रही हैं. इनमें ऑटो दिग्गज कंपनी फोक्सवागन और फोर्ड, टेक्नॉलजी कंपनी बॉश भी शामिल हैं. वैश्विक स्तर पर देखें, तो जर्मनी की निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था को अपने उत्पादों की घटती मांग का सामना करना पड़ रहा है. अनुमान के मुताबिक, लगातार दूसरे साल भी इसके सिकुड़ने की आशंका है.

उधर, मजदूर संगठन भी संघर्ष करने की तैयारी में है. आईजी मेटाल, धातुकर्मियों का बहुत ताकतवर श्रम संगठन है. आईजी मेटाल समेत बाकी यूनियन खतरे में पड़ी नौकरियों को बचाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. फ्रांक पाटसेल्ट, एक मिल कर्मचारी और टीकेएसई बोखुम में लेबर यूनियन के सदस्य हैं. उन्होंने डीडब्ल्यू से बातचीत में बताया कि उनके कुछ सहकर्मी नाउम्मीद हो चुके हैं, लेकिन कई ऐसे भी हैं जो संघर्ष के लिए तैयार हैं. वह कहते हैं, "अगर हम साथ रहें, तो जोर लगाकर अपने लिए बेहतर नतीजा निकाल सकते हैं."