जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन के प्रतिबंधों पर ईरान की चेतावनी
१२ सितम्बर २०२४ईरान ने रूस को बैलिस्टिक मिसाइल देने के आरोपों से इनकार किया है. उसने जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन द्वारा लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों की भी निंदा की है. 10 सितंबर को अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने जानकारी दी थी कि रूस को ईरान से भेजी गई बैलिस्टिक मिसाइलों की खेप मिली है. ब्लिंकेन के मुताबिक, "कुछ ही हफ्तों में रूस इन्हें यूक्रेन में इस्तेमाल कर सकता है."
ब्लिंकेन ने यह आरोप भी लगाया कि रूस के दर्जनों सैनिकों ने ईरान जाकर फतह-360 मिसाइलें चलाने का प्रशिक्षण लिया है. ईरान की ये मिसाइलें 120 किलोमीटर दूर तक वार कर सकती हैं. ब्लिंकेन ने आशंका जताई कि मॉस्को और तेहरान के बीच सैन्य सहयोग यूरोप की व्यापक सुरक्षा के लिए खतरा है.
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इसी संदर्भ में जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन ने ईरान पर ताजा आर्थिक प्रतिबंधों की घोषणा की है. तीनों देशों ने कहा कि वे ईरान के साथ हवाई यातायात सेवाओं के करार रद्द करने की दिशा में कदम उठाएंगे. ईरान की राष्ट्रीय एयरलाइंस 'ईरान एयर' पर भी प्रतिबंध लगाने की योजना है. तीनों देशों की सरकार ने यह भी कहा है कि वे ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम और रूस को मिसाइल समेत अन्य हथियारों की आपूर्ति में शामिल संस्थानों व लोगों पर भी कार्रवाई करेंगे.
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ईरान और रूस ने आरोपों से इनकार किया
ईरान ने खुद पर लगे आरोपों को गलत बताया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नसीर कनानी ने एक बयान जारी कर कहा, "ऐसा कोई दावा कि इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान ने रूस को बैलिस्टिक मिसाइल बेचे हैं, पूरी तरह से निराधार और गलत है." कनानी ने जवाबी कार्रवाई की चेतावनी देते हुए आरोप लगाया, "तीन यूरोपीय देशों (जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन) का यह कदम, ईरान के लोगों के प्रति पश्चिमी देशों की शत्रुतापूर्ण नीति और आर्थिक आतंकवाद का विस्तार है. इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान इसका समुचित जवाब देगा."
विदेश मंत्री अब्बास अरागची ने भी सोशल मीडिया पोस्ट में ईरान पर लगे आरोपों से इनकार किया. उन्होंने लिखा, "ईरान ने रूस को बैलिस्टिक मिसाइलें नहीं दी हैं. एक बार फिर अमेरिका और ई3 (जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन की सरकारें) ने गलत खुफिया जानकारी और तर्क के आधार पर कदम उठाया है." अरागची ने यह भी कहा, "आर्थिक प्रतिबंध समाधान नहीं हैं, बल्कि समस्या का हिस्सा हैं." रूस ने भी इन आरोपों से इनकार किया है.
लंबी-दूरी के मिसाइलों के लिए यूक्रेन का बढ़ता आग्रह
यूक्रेन पर रूसी हमलों में आई तेजी और ईरान की कथित भूमिका के बीच अमेरिका के विदेश मंत्री ब्लिंकेन और ब्रिटिश विदेश मंत्री डेविड लैमी 11 सितंबर को यूक्रेन पहुंचे. यहां यूक्रेन ने एकबार फिर मांग उठाई कि उसे लंबी-दूरी के मिसाइलों से रूस में भीतर तक वार करने की अनुमति दी जाए. ये मिसाइलें यूक्रेन को अपने पश्चिमी सहयोगियों से मिली हैं. हालांकि, इन हथियारों के इस्तेमाल की सीमाएं तय हैं. यूक्रेन इनसे रूस के अंदरूनी ठिकानों को निशाना नहीं बना सकता.
अमेरिका समेत यूक्रेन के पश्चिमी सहयोगी रूस के साथ जारी युद्ध में सीधे-सीधे शामिल नहीं होना चाहते. ऐसे में यूक्रेन को सैन्य सहायता देते हुए भी वे अपने हथियारों के इस्तेमाल में एहतियात बरत रहे हैं. अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने आत्मरक्षा के लिए अमेरिकी मिसाइलों को सीमा पार रूस में इस्तेमाल करने की इजाजत तो दी है, लेकिन यूक्रेन कितनी दूरी तक हमला कर सकता है इसकी सीमा है.
यूक्रेन इस रुख की आलोचना करते हुए पश्चिमी सहयोगियों पर दबाव बढ़ा रहा है. रूस को ईरानी मिसाइलों की आपूर्ति से संबंधित हालिया खबरों के कारण यूक्रेन युद्ध में कीव की स्थिति और भी जटिल हो गई है. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने ब्लिंकेन और लैमी की कीव यात्रा के दौरान भी यह मुद्दा उठाया. जेलेंस्की ने कहा, "हम मजबूत फैसलों की उम्मीद करते हैं. हमारे लिए यह बहुत जरूरी है." जेलेंस्की ने रेखांकित किया कि अमेरिका की सैन्य और वित्तीय सहायता यूक्रेन के लिए बहुत ही ज्यादा अहम है. उन्होंने कहा, "हम इसपर बहुत ज्यादा निर्भर हैं. स्पष्टता से कहूं, तो इसके बिना हम कामयाब नहीं हो सकते."
अमेरिका अभी भी मिश्रित संकेत दे रहा है. कई मीडिया रिपोर्टों में दावा किया जा रहा है कि अमेरिका, यूक्रेन को अनुमति देने पर विचार कर सकता है. वहीं, अमेरिका के रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन ने पिछले हफ्ते ही संशय जताया कि लंबी-दूरी तक वार करने में सक्षम हथियारों के इस्तेमाल से युद्ध में कोई निर्णायक मोड़ आएगा. जर्मनी में सहयोगी देशों के सैन्य नेतृत्व की एक बैठक के दौरान ऑस्टिन ने जोर दिया कि यूक्रेन के पास लंबी दूरी तक हमला करने के और भी साधन हैं.
एसएम/आरपी (एएफपी, एपी, रॉयटर्स)