अब हांगकांग मामले में अमेरिका का चीन से पंगा
१५ जुलाई २०२०चीन द्वारा हांगकांग में नया कानून लागू किए जाने के बाद अमेरिका ने हांगकांग का विशेष दर्जा खत्म कर दिया है. अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में डॉनल्ड ट्रंप ने खुद को चीन के प्रति सबसे सख्त अमेरिकी राष्ट्रपति बताया. उन्होंने कहा, "अब हांगकांग के साथ चीन की ही तरह पेश आया जाएगा. उसे कोई विशेष अधिकार नहीं दिए जाएंगे, आर्थिक रूप से उसके साथ कोई खास बर्ताव नहीं किया जाएगा." चीन पर वार करते हुए उन्होंने कहा, "बीजिंग ने हाल ही में हांगकांग पर सख्त नया सुरक्षा कानून लगाया है. उनकी आजादी छीन ली गई है, उनके अधिकार छीन लिए गए हैं. और इसके साथ ही, मेरी राय में, हांगकांग बाजार में प्रतिस्पर्धा करने लायक नहीं बचेगा. बहुत से लोग अब हांगकांग छोड़ देंगे."
ट्रंप ने "हांगकांग ऑटोनॉमी एक्ट" पर हस्ताक्षर करने की बात भी कही जिसके तहत हांगकांग पुलिस और चीनी अधिकारियों पर और उनके साथ जुड़े बैंकों पर शहर की स्वायत्ता की अवहेलना के आरोप में प्रतिबंध लग सकेंगे. माना जा रहा है कि इस कानून के बाद दुनिया भर के बैंक चीन और अमेरिका में से किसी एक को चुनने पर मजबूर हो जाएंगे. ट्रंप ने कहा, "इस कानून के तहत मेरी सरकार को ऐसे शक्तिशाली साधन मिलेंगे जिनसे वे ऐसे लोगों और संस्थाओं को जिम्मेदार ठहरा सकेंगे, जो हांगकांग की स्वतंत्रता खत्म करने की दिशा में काम कर रहे हैं."
इसके बाद चीन ने भी जवाबी कार्रवाई करने की बात कही है. चीन ने अमेरिका के हांगकांग ऑटोनॉमी एक्ट को "जानबूझ कर चीन को बदनाम करने वाला" बताया है. चीन के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा है, "चीन अपने हितों की रक्षा के लिए जरूरी प्रतिक्रिया देगा और अमेरिकी अधिकारियों और संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाएगा." नए कानून के तहत अमेरिका राष्ट्रपति अगर चाहें भी, तो एक बार लगे प्रतिबंधों को आसानी से हटा नहीं सकेंगे. संसद अगर चाहे तो प्रतिबंध हटाने के उनके फैसले को उलट सकती है.
अमेरिकी सांसदों में इसे ले कर उत्साह नजर आ रहा है. डेमोक्रैट सांसद क्रिस वान हॉलन का कहना है, "आज अमेरिका ने चीन को साफ कर दिया है कि वह बिना गंभीर नतीजों के हांगकांग में स्वतंत्रता और मानवाधिकारों पर हमला करना जारी नहीं रख सकता." लेकिन अटलांटिक काउंसिल थिंक टैंक की जूलिया फ्रीडलैंडर का कहना है कि कुल मिला कर इस कानून से चीन को फायदा होगा और हांगकांग का कष्ट और बढ़ जाएगा.
अमेरिका में नवंबर में चुनाव होने हैं. उससे पहले डॉनल्ड ट्रंप लगातार चीन को मुद्दा बना रहे हैं. पहले कोरोना महामारी को ले कर और अब हांगकांग के मुद्दे पर ट्रंप लगातार चीन से उलझते हुए नजर आ रहे हैं. जानकारों का कहना है कि चुनावों के मद्देनजर ट्रंप जानबूझ कर अमेरिकी जनता को चीन के मुद्दों में उलझाए रखना चाहते हैं और एक सख्त राष्ट्रपति की छवि बनाना चाहते हैं ताकि उनकी विफलताओं की चर्चा ना हो सके. एक दिन पहले ही अमेरिका ने दक्षिण चीन महासागर में चीन की दावेदारी को गैरकानूनी घोषित किया था. इससे पहले उइगुर मुसलामानों के मुद्दे पर भी अमेरिका ने पिछले हफ्ते ही कई उच्च चीनी अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाए थे.
आईबी/एए (एएफपी, एपी)
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