क्या ब्रिटेन ने कोरोना के सफाये की शुरुआत कर दी है
८ दिसम्बर २०२०यूरोप में कोरोना महामारी की शुरुआत के नौ महीने बाद 8 दिसंबर 2020 की सुबह ब्रिटेन के लिए अलग माहौल लेकर आई. अखबारों की हेडलाइन थी, "अपनी बांहें ऊपर करो" या "V-Day." कुछ देर बाद सुबह साढ़े छह बजे, 90 साल की दादी मार्गरेट कीनन को बायोनटेक-फाइजर की कोरोना वैक्सीन का पहला टीका दिया गया. इस तरह ब्रिटिश इतिहास के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान की शुरुआत हुई.
मार्गरेट कीनन अगले हफ्ते 91 साल की होने जा रही हैं. टीकाकरण के बाद मुस्कुराते हुए उन्होंने कहा, "यह जन्मदिन का जल्द मिला सबसे बढ़िया तोहफा है क्योंकि आखिरकार अब मैं परिवार और दोस्तों के साथ न्यू ईयर मना सकूंगी क्योंकि उसके बाद तो अकेले ही रहना है."
हफ्ते भर पहले ही ब्रिटेन बायोनटेक-फाइजर की वैक्सीन को इमरजेंसी मंजूरी देने वाला पहला देश बना. अमेरिका और यूरोपीय संघ में अब भी वैक्सीन का रिव्यू किया जा रहा है. शुरुआती चरण में ब्रिटेन ने वैक्सीन की 80,000 खुराकें खरीदी हैं. पहले चरण में वैक्सीन पैरामेडिकल स्टाफ, हेल्थ वर्कर्स, 80 साल से ज्यादा उम्र के लोगों, केयर होम में रहने और काम करने वाले लोगों को दी जाएगी. पहली डोज ले चुके हर व्यक्ति को 21 दिन बाद दूसरी खुराक दी जाएगी.
सबको टीका देना आसान नहीं
ब्रिटेन को उम्मीद है कि दिसंबर अंत तक उसे बायोनटेक-फाइजर के टीके की 40 लाख डोज मिल जाएंगी. लेकिन संसाधनों के लिहाज से ऐसा करना आसान नहीं हैं. ब्रिटेन पहुंचने वाले ज्यादातर टीके बेल्जियम से आ रहे हैं. बायोनटेक-फाइजर की वैक्सीन को ट्रांसपोर्ट और स्टोरेज के लिए माइनस 70 डिग्री का तामपान चाहिए. कोल्ड चेन बहाल रखने के लिए ब्रिटेन सेना का सहारा ले रहा है.
ब्रिटेन के स्वास्थ्य अधिकारियों ने आम जनता से धैर्य बनाए रखने को कहा है. अधिकारियों के मुताबिक रिस्क के दायरे में आने वाले लोगों को टीकाकरण में प्रथामिकता दी जाएगी. ज्यादातर लोगों को 2021 का इंतजार करना होगा. उम्मीद है कि तब तक बायोनटेक-फाइजर की वैक्सीन की सप्लाई के लिए बेहद पुख्ता सिस्टम विकसित कर लिया जाएगा.
कोरोना का अंत कितना करीब?
बीते साल दिसंबर अंत में चीन के वुहान शहर से फैले कोरोना वायरस ने अब तक दुनिया भर में 15 लाख लोगों को जान ले ली है. ब्रिटेन में ही 61 हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. वहां कुल 16 लाख लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए. उत्तरी गोलार्ध वाले देशों में सर्दियों के आते ही एक बार फिर कोरोना वायरस बेकाबू होता दिख रहा है.
कोरोना वायरस की किसी भी वैक्सीन को अभी फुल यूज की अनुमति नहीं मिली है. दुनिया भर में फेज-3 के ट्रायल तक 13 वैक्सीनें पहुंची हैं. इनमें बायोनटेक-फाइजर और मॉर्डेना की वैक्सीन को सबसे असरदार माना जा रहा है. मॉर्डेना ने भी इमरजेंसी यूज का आवेदन दिया है. एस्ट्रोजिनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन को लेकर अभी कई शंकाएं हैं. वहीं रूस भी इमरजेंसी यूज के तहत स्पुतनिक-5 का टीकाकरण अभियान शुरू कर चुका है.
दुनिया की नजरें ब्रिटेन पर
तीन से चार हफ्ते बाद ब्रिटेन के बड़े टीकाकरण अभियान के नतीजे ज्यादा साफ होने लगेंगे. उसके बाद कुछ और देश भी इस राह में आगे बढ़ सकते हैं. हालांकि दुनिया के ज्यादातर हिस्से तक बायोनटेक-फाइजर की वैक्सीन का पहुंचना मुश्किल है. तापमान के कारण इस वैक्सीन को कोने कोने तक पहुंचाना बड़ी चुनौती है. यही वजह है कि मॉर्डेना और एस्ट्रोजिनेका-ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन की तरफ बड़ी उम्मीद भरी निगाहों से देखा जा रहा है.
ओएसजे/एके (एपी, एएफपी)
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