म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन पर यूक्रेन संकट की छाया
१८ फ़रवरी २०२२सम्मेलन शुरू होने से ठीक पहले जर्मनी की विदेश मंत्री एनालेना बेरबॉक ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने इस समय सबसे बड़ी चुनौती को रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि रूस की मांगें शीत युद्ध की याद दिला रही हैं और इन्हें दोहरा कर रूस यूरोप की सुरक्षा को खतरे में डाल रहा है.
बेरबॉक ने एक बयान में कहा, "यूक्रेन के साथ अपनी सीमा पर अभूतपूर्व सैन्य तैनाती और शीत युद्ध जैसी मांगें कर रूस यूरोपीय शांति व्यवस्था के मूलभूत सिद्धांतों को चुनौती दे रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि रूस को स्थिति की "तीव्रता को कम करने की दिशा में गंभीर कदम" उठाने की जरूरत है.
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बातचीत से उम्मीद
म्युनिक सम्मेलन ऐसे समय पर हो रहा है जब पश्चिम में इस बात को लेकर डर बढ़ता जा रहा है कि रूस यूक्रेन पर हमला करने की तैयारी कर रहा है. इस वजह से पश्चिमी देशों और रूस के बीच तनाव इतना बढ़ गया है जितना शीत युद्ध के बाद आज तक नहीं देखा गया था.
म्युनिक में अमेरिकी उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन, संयुक्त राष्ट्र महासचिव अंटोनियो गुटेरेश, यूरोपीय आयोग की प्रमुख उर्सुला फॉन डेय लाएन, नाटो के महासचिव येंस स्टोल्टेनबर्ग और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदीमीर जेलेंस्की मौजूद रहेंगे. रूस ने अभी तक सम्मेलन में शामिल होने से इंकार किया हुआ है.
सम्मेलन के उद्घाटन समारोह से पहले बेरबॉक ने कहा कि म्युनिक में वो दूसरे देशों से यह चर्चा करने की कोशिश करेंगी कि "हम कैसे अभी भी हिंसा और सैन्य अभियान की धमकियों का बातचीत से मुकाबला कर सकते हैं. यह नुकसान की बात है कि रूस इस मौके का फायदा नहीं उठा रहा है."
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शनिवार को म्युनिक सम्मेलन से इतर जी-सात देशों के विदेश मंत्री म्युनिक संकट पर अलग से चर्चा करेंगे. इस समय समूह की अध्यक्षता जर्मनी के पास है, लिहाजा इस चर्चा की मेजबानी बेरबॉक करेंगी.
रूस अपने रुख पर दृढ़
रूस ने अभी तक हमले की किसी भी योजना से इंकार किया है और यह भी कहा कि उसे सैनिकों को सीमा पर से हटाना शुरू कर दिया है. हालांकि अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देशों ने कहा है कि उन्होंने रूसी सैनिकों के पीछे हटने का कोई सबूत नहीं देखा है.
इसके साथ की पुतिन ने स्पष्ट कहा है कि हर तरह के खतरे को हटाने की कीमत यूक्रेन के कभी भी नाटो में ना शामिल होने का वादा है. इसके अलावा पश्चिमी गठबंधन को पूर्वी यूरोप के कई इलाकों से अपनी सेनाओं को भी हटाना होगा. हालांकि इससे यूरोपीय महाद्वीप शीत युद्ध जैसे प्रभाव के क्षेत्रों में बंट जाएगा.
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यूक्रेन अभी नाटो में शामिल होने के लिए तैयार नहीं है लेकिन उसने इसे पश्चिमी यूरोप के लोकतांत्रिक देशों के साथ जुड़ने के लक्ष्यों में जरूर रखा हुआ है. हार्वर्ड केनेडी स्कूल के बेलफर केंद्र की डैनिएला श्वार्जर ने कहा, "रूस की बातचीत में और विशेष रूप से यूरोप में सुरक्षा को लेकर एक खुली चर्चा में सीमित दिलचस्पी है."
सम्मेलन में शामिल हो रहीं श्वार्जर का मानना है कि यह सम्मेलन "पश्चिमी देशों के लिए रूस और व्यापक रूप से सत्तावादी सरकारों के सामने एकता दिखाने का मौका है."
सीके/एए (एएफपी/रॉयटर्स)