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समाज

कोरोना कालः खाद्य असुरक्षा का गहराता साया

११ जून २०२०

दुनिया भर के लिए आने वाला समय और कठिनाइयों से भरा हो सकता है. कोरोना वायरस महामारी के बीच संयुक्त राष्ट्र ने देशों से खाद्य सुरक्षा के उपायों को लेकर आग्रह किया है.

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तस्वीर: DW/Prabhakar

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव अंटोनियो गुटेरेश ने दुनियाभर के देशों को आगाह किया है कि ''वैश्विक खाद्य आपातकाल से निपटने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए." गुटेरेश का कहना है कि कोविड-19 महामारी के चलते हालात बदतर हो गए हैं और पांच साल से कम उम्र के करीब 14.40 करोड़ बच्चों में पूर्ण रूप से शारीरिक विकास नहीं हो पा रहा है. गुटेरेश ने कहा कि दुनिया की 7.8 अरब आबादी का पेट भरने के लिए पर्याप्त मात्रा में भोजन उपलब्ध है लेकिन ''मौजूदा खाद्य प्रणालियां विफल'' हो रही हैं.

यूएन ने खाद्य सुरक्षा और पोषण पर कोविड-19 के प्रभाव पर एक नीति पत्र जारी किया है. उसके मुताबिक कोरोना वायरस महामारी के पहले से ही 82 करोड़ लोग खाद्य असुरक्षित हैं. इसके साथ ही 13.5 करोड़ लोग संकट या उससे बदतर स्तर पर हैं. गुटेरेश के मुताबिक, ''कोविड-19 के कारण यह संख्या साल के अंत तक दोगुनी हो जाएगी.'' साथ ही उन्होंने कहा कि करीब 4.9 करोड़ लोग कोविड-19 और उसके प्रभावों के कारण अत्यधिक गरीबी का शिकार हो सकते हैं.

उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि वैश्विक जीडीपी में एक फीसदी की भी गिरावट आई तो इसका सीधा असर दुनियाभर के सात लाखों बच्चों के विकास पर पड़ेगा. यूएन का कहना है कि कोविड-19 के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए उठाए कदम खाद्य सप्लाई चेन को प्रभावित कर रहे हैं. यूएन के मुताबिक, "सीमा पर प्रतिबंधों और लॉकडाउन की वजह से दुनिया के कई भागों में फसल की कटाई सुस्त हो गई है. जिस वजह से लाखों मजदूरों को बिना आजीविका के रहना पड़ रहा है. "

गुटेरेश ने कहा, ''ये स्पष्ट होता जा रहा है कि अगर तत्काल कार्रवाई नहीं की गई, तो एक वैश्विक खाद्य आपात स्थिति करीब है जिसका लाखों बच्चों और वयस्कों पर लंबे अर्से के लिए प्रभाव हो सकता है.'' 2021 में होने वाले यूएन खाद्य प्रणालियों के शिखर सम्मेलन की विशेष दूत एग्निस कलिबता के मुताबिक, ''अमेरिका से लेकर भारत तक उपज खेतों में सड़ रही है क्योंकि लॉकडाउन की वजह से लोग काम पर नहीं जा पा रहे थे. किसान नई फसल भी नहीं लगा पा रहे हैं.''

कलिबता ने साथ ही कहा कि लाखों लीटर दूध ब्रिटेन में बहा दिया गया क्योंकि कोई खरीदार नहीं था. साथ ही उन्होंने कहा, ''कोलंबिया में परिवारों ने खिड़की पर लाल झंडे लगा दिए ताकि वे बता सकें कि वे भूखे हैं."

एए/सीके (एएफपी)

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