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2040 तक अफ्रीका के सभी ग्लेशियर खत्म होंगे?

२१ अक्टूबर २०२१

संयुक्त राष्ट्र की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक 2040 तक अफ्रीकी महाद्वीप के सभी ग्लेशियर पिघल सकते हैं.

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तस्वीर: CC BY-SA 3.0/Monfornot

ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में अफ्रीका का हिस्सा 4 फीसदी से कम है, लेकिन जलवायु परिवर्तन से इस क्षेत्र पर भारी असर पड़ने की संभावना है. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार 2040 तक अफ्रीकी महाद्वीप के सभी ग्लेशियर पिघल सकते हैं.

संयुक्त राष्ट्र की नई रिपोर्ट अफ्रीका में जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप खाद्य असुरक्षा, गरीबी और बड़े पैमाने पर जनसंख्या विस्थापन जैसी "अनियमित कमजोरियों" पर रौशनी डालती है.

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संयुक्त राष्ट्र पहले ही चेतावनी दे चुका है कि जलवायु परिवर्तन से पैदा हुई चरम स्थितियां और भी अधिक लोगों को अपने महाद्वीप से दूसरे स्थान पर प्रवास करने के लिए मजबूर कर सकती हैं. नई रिपोर्ट ग्लासगो COP26 शिखर सम्मेलन से ठीक पहले जारी हुई है.

पिछले साल चक्रवाती तूफान और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं ने लगभग 12 लाख लोगों को विस्थापित किया. यह संख्या उस वर्ष संघर्ष से विस्थापित हुए लोगों की संख्या से ढाई गुना अधिक है.

क्या कहती है रिपोर्ट?

अफ्रीकी संघ आयोग में ग्रामीण अर्थशास्त्र और कृषि आयुक्त लियोनेल कोरेआ सैको का कहना है, "अगर इस स्थिति को रोकने के लिए उचित उपाय नहीं किए गए तो अनुमान है कि 2030 तक लगभग 11.8 करोड़ बेहद गरीब लोग गंभीर रूप से प्रभावित होंगे. वे सूखे, बाढ़ और खराब मौसम का सामना करेंगे."

रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र और विश्व मौसम विज्ञान संगठन द्वारा संयुक्त रूप से तैयार की गई है. रिपोर्ट के अनुसार सबसे गरीब लोग वे हैं जिनकी दैनिक आय 1.90 डॉलर से कम है.

सैको कहते हैं, "उप-सहारा अफ्रीका में जलवायु परिवर्तन 2050 तक सकल घरेलू उत्पाद को 3 प्रतिशत तक कम कर सकता है."

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ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में अफ्रीका का हिस्सा 4 प्रतिशत से कम है, लेकिन यह लंबे समय से भविष्यवाणी की गई है कि यह क्षेत्र जलवायु परिवर्तन से गंभीर रूप से प्रभावित हो सकता है. इस क्षेत्र की फसलें पहले से ही सूखे से पीड़ित हैं और इसके अधिकांश प्रमुख शहर तट पर स्थित हैं. साथ ही इसकी अधिकांश आबादी व्यापक गरीबी में रहती है.

जब पिघलेंगे अफ्रीका के ग्लेशियर

डब्ल्यूएमओ के महासचिव पेटेरी टालस ने कहा, "पिछले साल अफ्रीका में भी तापमान में लगातार वृद्धि देखी गई, जिससे समुद्र के स्तर में तेजी से वृद्धि हुई, बाढ़, भूस्खलन और सूखा पड़ा. मौसमी घटनाएं होती रहीं. ये सभी चीजें जलवायु परिवर्तन के संकेतक हैं."

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रिपोर्ट में भविष्यवाणी की गई है कि अगर परिवर्तन मौजूदा दर पर जारी रहा तो 2040 तक अफ्रीका के तीनों ग्लेशियर पिघल जाएंगे. टालस कहते हैं, "पूर्वी अफ्रीका में अंतिम शेष ग्लेशियरों का तेजी से सिकुड़ना, जो निकट भविष्य में पूरी तरह से पिघलने की आशंका है, पृथ्वी की प्रणाली में तत्काल और अपरिवर्तनीय परिवर्तनों के खतरे को इंगित करता है."

रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल अफ्रीका की भूमि और पानी दोनों वैश्विक औसत से अधिक तेजी से गर्म हुए. रिपोर्ट कहती है, "अगर यह प्रवृत्ति जारी रहती है तो 2040 के दशक तक टक्सन के ग्लेशियर पूरी तरह से गायब हो जाएंगे."

रिपोर्ट में कहा गया है कि विशेष रूप से माउंट केन्या के एक दशक पहले पिघलने की संभावना है. इसके मुताबिक, "मानव गतिविधियों के चलते जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियरों को पूरी तरह से खोने वाले ये पहले पहाड़ होंगे."

एए/वीके (रॉयटर्स, एएफपी, एपी)

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