यूएन: अकाल के कगार पर करोड़ों और लोग
८ नवम्बर २०२१विश्व खाद्य कार्यक्रम ने सोमवार को एक बयान में आगाह किया है कि 43 देशों में बिल्कुल अकाल के मुहाने पर पहुंचे लोगों की संख्या बढ़कर साढ़े चार करोड़ हो गई है. ऐसे लोगों की संख्या इस साल 30 लाख और बढ़ गई है. विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) के प्रमुख डेविड बियस्ली ने एक बयान में कहा, "करोड़ लोग एक गहरी खाई में घूरने को मजबूर हैं."
उन्होंने आगे कहा, "हमारे सामने संघर्ष, जलवायु परिवर्तन और कोविड-19 जैसे संकटे हैं, जो तीव्र रूप से भूखे लोगों की संख्या को बढ़ा रहे हैं. और ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि अब 4.5 करोड़ से अधिक लोग भुखमरी के कगार की ओर बढ़ रहे हैं."
इस साल के शुरुआत में अत्यंत भुखमरी का सामने करने वाले लोगों की संख्या करीब 4.2 करोड़ थी, जबकि साल 2019 में ऐसे लोगों की संख्या दो करोड़ 70 लाख थी. मुख्य रूप से अफगानिस्तान में खाद्य असुरक्षा के आपातकालीन स्तर का सामना करने वालों को इस वृद्धि के लिए जिम्मेदार ठहराया गया.
बियस्ली के मुताबिक "मानव निर्मित संघर्ष अस्थिरता को बढ़ा रहे हैं और अकाल की एक विनाशकारी नई लहर को शक्ति दे रहे हैं जो दुनिया को अपनी चपेट में लेने की ताकत रखती है."
अत्यंत भुखमरी के हालात का सामना करने वाले लोगों की संख्या में मुख्य वृद्धि अफगानिस्तान, इथियोपिया, हेती, सोमालिया, अंगोला, केन्या और बुरुंडी में दर्ज की गई है.
अफगानिस्तान क्यों बन गया भूख का हॉट स्पॉट
डेविड बियस्ली ने हाल ही में अफगानिस्तान में हालात जानने के लिए वहां का दौरा किया था, जिसके बाद उन्होंने यह बयान दिया है. देश पर तालिबान के कब्जे के बाद लगभग 2.3 करोड़ लोगों की मदद के लिए खाद्य एजेंसी ने मदद तेज की है. बियस्ली ने कहा, "ईंधन महंगा हो रहा है, खाने-पीने की चीजें महंगी हो रही हैं, उर्वरक अधिक महंगे हो गए हैं और यह सब एक तरह का नया संकट पैदा कर रहे हैं. जैसा कि अफगानिस्तान में इस वक्त और लंबे समय से संघर्ष, अस्थिरता और युद्ध का सामना कर रहे सीरिया-यमन जैसे देशों में देखने को मिल रहा है."
डब्ल्यूएफपी ने बताया कि देश "दुनिया का सबसे बड़ा मानवीय संकट में बदलता जा रहा है. देश की जरूरतें अन्य सबसे ज्यादा प्रभावित देशों से आगे बढ़ रही हैं." परिवारों को लगातार सूखे ने हाशिए पर धकेल दिया है. जिससे आर्थिक मंदी बढ़ी है. सूखा ने लोगों को "विनाशकारी विकल्प" चुनने के लिए मजबूर किया है, जैसे कि अपने बच्चों को स्कूल से निकाल लेना या उनकी जल्दी शादी कराना आदि.
डब्ल्यूएफपी ने कहा, "इस बीच अफगानिस्तान की मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि परिवारों को जीवित रहने के लिए अपने बच्चों को बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है." खाद्य एजेंसी का अनुमान है कि दुनिया भर में अकाल को टालने की कुल लागत अब लगभग सात अरब डॉलर है, जबकि इस साल के शुरुआत में यह लागत लगभग 6.60 अरब डॉलर थी.
एए/सीके (एएफपी, यूएन)