युद्ध अपराध के घेरे में रूसी और यूक्रेनी सेना
२२ अप्रैल २०२२ऑफिस ऑफ यूएन हाई कमीशन फॉर ह्यूमन राइट्स (OHCHR) के मिशेल बाशेलेट ने शुक्रवार को कहा, "रूस की सशस्त्र सेनाओं ने सभी पर बमबारी की और आबादी वाले इलाकों पर भी बम गिराए. इसके कारण आम नागरिक मारे गए और स्कूल, अस्पताल व नागरिक ढांचे तबाह किए गए. ये कदम युद्ध अपराध के दायरे तक जा सकते हैं."
OHCHR के मुताबिक, 24 फरवरी को युद्ध शुरू होने के बाद से 20 अप्रैल तक आम लोगों के हताहत होने के 5,264 मामलों की पुष्टि हुई है. इनमें 2,345 लोग मारे गए और 2,919 घायल हुए. 92.3 फीसदी मामले यूक्रेन में दर्ज किए गए हैं. रूसी सेना और रूस समर्थक अलगाववादियों वाले इलाके में ऐसे 7.7 फीसदी मामले रिकॉर्ड किए गए.
OHCHR ने अपने बयान में यह भी कहा है कि पूर्वी यूक्रेन में यूक्रेनी सेना ने भी आम नागरिकों को निशाना बनाने वाले हथियार इस्तेमाल किए. यूएन मॉनिटर्स के मुताबिक दोनों पक्षों को पता था कि कुछ हथियार आम लोगों के लिए खतरा बन सकते हैं, लेकिन फिर भी वे इस्तेमाल किए गए. पर्यवेक्षकों ने युद्ध में इस्तेमाल किए गए कई किस्म के हथियारों का डॉक्यूमेंटेशन किया है.
मारे गए आम नागरिकों की संख्या कहीं ज्यादा
बाशेलेट कहते हैं, "हमें पता है कि असली संख्या इससे कहीं ज्यादा है. जिन इलाकों में भीषण डरावनी लड़ाई छिड़ी है, जैसे मारियोपोल, वहां के मामले अभी सामने आने बाकी हैं." यूएन मिशन के तहत बूचा गए मानवाधिकार अधिकारियों ने बूचा में कम-से-कम 50 आम नागरिकों की बर्बर हत्या को दर्ज किया है. यूएन अधिकारियों को राजधानी कीव, चेरनिहिव, खारकीव और सुमी में 300 आम लोगों की हत्या की खबर मिली है. फरवरी अंत से मार्च मध्य तक यूक्रेन के ये सभी इलाके रूसी सेना के नियंत्रण में थे.
रूस-यूक्रेन युद्ध को स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन कह रहा है. रूस का आरोप है कि यूक्रेन में हथियारबंद नाजी हैं, जो आम लोगों और रूसी मातृभाषा बोलने वालों को निशाना बना रहे हैं. यूक्रेन इन आरोपों से इनकार करता है. कीव का आरोप है कि रूस नाजियों का नारा देकर उसके इलाकों पर कब्जा करना चाहता है.
जनसंहार का कोई सबूत नहीं
यूक्रेन ने रूसी सैनिकों पर महिलाओं से बलात्कार करने का आरोप भी लगाया है. यूएन के पर्यवेक्षक, दोनों पक्षों पर आम लोगों को गलत तरीके से हिरासत में लेने के आरोपों की भी जांच कर रहे हैं.
ऑफिस ऑफ यूएन हाई कमीशन फॉर ह्यूमन राइट्स की प्रवक्ता रवीना शमदासिनी से जब यह पूछा गया कि यूक्रेन युद्ध में जनसंहार के भी सबूत मिले हैं, तो उन्होंने कहा, "ऐसे कई कानूनी पहलू- मानवता के खिलाफ अपराध और जनसंहार-आखिर में तो इन पर फैसला कानूनी अदालत करती है, लेकिन वहां तक पहुंचने के लिए जरूरी पैटर्न्स अभी हमने डॉक्यूमेंट नहीं किए हैं."
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए युद्ध अपराधी और जनसंहारक जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं. इस शब्दों को लेकर रूस और अमेरिका एक-दूसरे को चेतावनी भी दे रहे हैं.
अब दक्षिणी यूक्रेन को लेकर तीखी जंग
इस बीच रूसी सेना के जनरल रुस्तम मिनेकायेव का कहना है कि रूस पूरे पूर्वी और दक्षिणी यूक्रेन को अपने नियंत्रण में लेना चाहता है. पूर्वी यूक्रेन में डोनबास का इलाका आता है और पूरे दक्षिणी यूक्रेन में मोल्डोवा की सीमा तक लगने वाला क्षेत्र आता है. रूसी जनरल के इस बयान के बाद छोटा सा देश मोल्डोवा भी घबराया हुआ है. अगर रूस ऐसा करता है, तो इसका मतलब होगा कि युद्ध बहुत बड़े इलाके में फैलेगा और इसमें और भी ज्यादा सेना झोंकी जाएगी. यूक्रेन के आर्मी चीफ का कहना है कि रूसी सेना ने पूर्वी यूक्रेन के पूरे फ्रंटियर पर हमले तेज कर दिए हैं.
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने दावा किया है कि मारियोपोल अब भी पूरी तरह रूस के कब्जे में नहीं गया है. जेलेंस्की के मुताबिक दक्षिणी यूक्रेन के तटीय शहर मारियोपोल का बड़ा हिस्सा रूस के नियंत्रण में जा चुका है, लेकिन कुछ हिस्सों में अब भी यूक्रेन की सेना लड़ रही है. राष्ट्रपति और मारियोपोल के मेयर के मुताबिक शहर में 1,20,000 आम नागरिक फंसे हुए हैं. मेयर ने सभी पक्षों से अपील की है कि वे पूरे शहर के आम नागरिकों को बाहर निकलने के लिए सुरक्षित रास्ता मुहैया कराने की कोशिश करें.
पश्चिम की रुख
करीब दो हफ्ते से जारी युद्ध के बीच अब अमेरिका ने यूक्रेन को 80 करोड़ डॉलर की सैन्य मदद की एक और खेप देने का एलान किया है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के मुताबिक, यूक्रेन को इतनी कीमत के हथियार दिए जाएंगे. बाइडेन ने यूक्रेन की और मदद के लिए अमेरिकी संसद से भी अपील की है. वहीं ब्रिटेन ने अपने चैलेंजर टू बैटल टैंक नाटो के सदस्य देश पोलैंड भेजने का एलान किया है. पोलैंड ने अपने टी-72 टैंक यूक्रेन को दिए हैं. अब ब्रिटिश टैंक पोलैंड की सेना इस्तेमाल करेगी. भारत दौरे पर गए ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन का कहना है कि यूक्रेन युद्ध एक साल लंबा खिंच सकता है.
वहीं यूक्रेन युद्ध को लेकर शुरू से दबाव झेल रहे जर्मनी ने एक बार फिर चिंता जताई है. यूक्रेन सरकार की नाराजगी के बावजूद जर्मन चासंलर ओलाफ शॉल्त्स ने कहा कि नाटो को रूस के साथ सीधे सैन्य संघर्ष से बचना चाहिए, वरना ये युद्ध थर्ड वर्ल्ड वॉर में बदल सकता है.
ओएसज/एसएस (एपी, रॉयटर्स)