आरक्षण पर बवाल के बाद सरकार ने वापस ली लैटरल एंट्री की भर्ती
२० अगस्त २०२४केंद्रीय एजेंसी संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने 17 अगस्त को केंद्र सरकार के मंत्रालयों में 45 वरिष्ठ पदों पर भर्ती के लिए नोटिफिकेशन जारी किया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर तीन दिन बाद ही इस फैसले को वापस ले लिया गया है.
कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के मंत्री जितेंद्र सिंह ने यूपीएससी अध्यक्ष प्रीति सुदन को चिट्ठी लिखकर इस नोटिफिकेशन को रद्द करने की जानकारी दी है.
विपक्ष ने किया था विरोध
लेटरल भर्ती के आदेश में आरक्षण का प्रावधान न होने के चलते विपक्षी नेताओं ने इसका खुलकर विरोध किया था. लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इस आदेश के जरिए एससी/एसटी और ओबीसी का हक छीनने का आरोप लगाया.
समाजवादी पार्टी (एसपी) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस कदम के जरिए बीजेपी पर अपनी विचारधारा से जुड़े लोगों को 'पिछले दरवाजे' से यूपीएससी में पहुंचाने का आरोप लगाया.
बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने इस आदेश को गैर-कानूनी और असंवैधानिक बताया था. आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद ने भी इसका विरोध किया था.
एनडीए के सहयोगी दल लोक जन शक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भी इस आदेश पर सहमति न जताते हुए सरकारी भर्तियों में आरक्षण की वकालत की थी.
भारतीय युवाओं में सरकारी नौकरियों का इतना चाव क्यों है
क्या है लैटरल एंट्री
लैटरल एंट्री का मतलब है कोई भर्ती परीक्षा कराए बगैर ही सीधी भर्ती के जरिए नियुक्तियां करना. राज्य और केंद्र सरकारें विभिन्न सरकारी पदों पर अफसरों की नियुक्तियों के लिए परीक्षाएं आयोजित करवाती हैं. कई चरणों के बाद चुने हुए अभ्यर्थियों को अलग-अलग पदों पर नियुक्तियां दी जाती हैं.
पूजा खेड़कर मामला: क्या यूपीएससी की कार्यप्रणाली भी सवाल के घेरे में है?
साल 2018 में केंद्र सरकार ने सरकारी मंत्रालयों में जॉइंट सेक्रेटरी, डायरेक्टर्स और डिप्टी सेक्रेटरी के पदों पर निजी क्षेत्र में काम करने वाले ऐसे योग्य व्यक्तियों को नियुक्ति का मौका दिया, जिनके पास जरूरी योग्यताएं थीं.
लैटरल एंट्री तहत आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों को सीधे इंटरव्यू के जरिए नियुक्ति दी जाती है. कैबिनेट सेक्रेटरी की अगुवाई में एक कमेटी अभ्यर्थियों का इंटरव्यू लेती है. इनकी नियुक्ति अनुबंध के आधार पर की जाती है.
क्यों नहीं मिलता आरक्षण
इस घटनाक्रम पर सबसे बड़ा विवाद आरक्षण न मिलना ही था. केंद्र सरकार ने इस मामले पर 24 जुलाई को लोकसभा में जवाब देते हुए बताया था कि एकल पद पर नियुक्तियों में आरक्षण लागू नहीं होता है. यानी, जहां भी पदों की संख्या तीन से कम होगी वहां आरक्षण लागू नहीं होगा.
सरकार ने जिन अलग-अलग विभागों में भर्तियां निकाली थीं, वहां पदों की संख्या तीन से कम थी इसलिए उनपर आरक्षण का नियम लागू नहीं हुआ. इसके अलावा भर्तियों में विशेषज्ञता को ज्यादा महत्व दिए जाने और कम समय के लिए भी भर्तियां किए जाने की वजह से भी आरक्षण न दिए जाने का तर्क दिया गया.
भारत: सुप्रीम कोर्ट ने दी आरक्षण के अंदर आरक्षण की इजाजत
सरकार ने क्या कहा
यूपीएससी चेयरमैन को लिखी गई चिट्ठी में डीओपीटी के मंत्री जितेंद्र सिंह ने इस फैसले को रद्द करने के कारणों के बारे में लिखा. साथ ही, उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि लैटरल एंट्री के जरिए लोगों को सीधे नौकरी पर लाने का समर्थन साल 2005 में बने दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग ने किया था, जिसके अध्यक्ष वीरप्पा मोइली थे. इसके अलावा, साल 2013 में छठे वेतन आयोग ने भी ऐसी ही बात कही थी. इसके पहले और बाद में भी कई अधिकारियों को लैटरल एंट्री के जरिए सीधे नौकरी पर रखा गया था.
कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल ने भी कांग्रेस के आरोपों का जवाब देते हुए कहा था कि 1976 में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लैटरल एंट्री के जरिए ही वित्त सचिव नियुक्त किया गया था.
जितेंद्र सिंह के भेजे पत्र में आगे लिखा गया है, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मानना है कि सरकारी नौकरियों में आरक्षण हमारे देश में सभी को बराबरी का हक दिलाने के लिए बहुत जरूरी है. उनका दृढ़ विश्वास है कि इस तरह से लोगों को लाने की प्रक्रिया हमारे संविधान में निहित समानता और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के अनुरूप ही होनी चाहिए, खासकर आरक्षण के संबंध में."
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "माननीय प्रधानमंत्री जी का हमेशा से सामाजिक न्याय में दृढ़ विश्वास रहा है. उनके कामों से समाज के सबसे कमजोर वर्गों का कल्याण हुआ है."
अब तक हुई नियुक्तियां
2018 में लैटरल एंट्री के जरिए पहली बार निकाले गए नोटिफिकेशन में 6,077 आवेदन आए थे, जिसके तहत नौ विभागों में नौ लोगों की नियुक्तियां हुई थीं.
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने 9 अगस्त 2024 को राज्य सभा में दी गई जानकारी में बताया कि पिछले पांच सालों में लैटरल एंट्री के जरिए 63 नियुक्तियां हुई हैं, जिसमें से 57 लोग अलग-अलग मंत्रालयों में सेवाएं दे रहे हैं.