वैश्विक हथियारों के बाजार में अमेरिका और चीन का वर्चस्व
७ दिसम्बर २०२०दुनिया के प्रमुख हथियार वॉचडॉग स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट (सिपरी) की तरफ से प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका और चीन का साल 2019 में वैश्विक हथियारों के बाजार पर दबदबा रहा. रिपोर्ट के मुताबिक पहली बार मध्य पूर्व ने शीर्ष 25 हथियार निर्माताओं की सूची में जगह बनाई है. स्वीडन के शोध संस्थान द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक 2019 में अमेरिकी कंपनियां शीर्ष के पांच पदों पर रहीं, जिनमें लॉकहीड मार्टिन, बोइंग, नॉर्थोरूप ग्रुमैन, रेथियोन और जनरल डायनामिक्स शामिल हैं. इन कंपनियों ने एक साल में कुल 166 अरब डॉलर के हथियार बेचे. शीर्ष 25 हथियार निर्माताओं में से 12 अमेरिकी हैं, इन कंपनियों ने शीर्ष 25 कंपनियों द्वारा बेचे गए कुल हथियारों का 61% हिस्सा बेचा.
चीन का उदय
पिछले साल 16 प्रतिशत हथियारों की बिक्री के साथ चीन दूसरे स्थान पर रहा, शीर्ष 25 रैंकिंग में चीन की चार हथियार बनाने वाली कंपनियां शामिल हैं. चीन की चार हथियार बनाने वाली कंपनियों ने 2019 में 56.7 अरब डॉलर के हथियार बेचे. टॉप 25 कंपनियों में जगह बनाने वाली चीनी कंपनियों के नाम हैं- एविएशन इंडस्ट्री कॉर्पोरेशन ऑफ चाइना, चीन इलेक्ट्रॉनिक्स टेक्नोलॉजी ग्रुप कॉर्पोरेशन, चीन नॉर्थ इंडस्ट्रीज ग्रुप कॉरपोरेशन और चीन साउथ इंडस्ट्रीज ग्रुप कॉर्पोरेशन.
सिपरी के वरिष्ठ शोधकर्ता नान तियान ने एक बयान में कहा, "चीन की हथियार कंपनियां पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के आधुनिकीकरण कार्यक्रमों से लाभ उठा रही हैं." सिपरी का कहना है कि शीर्ष 25 कंपनियों की सूची में अधिक चीनी कंपनियों को शामिल किया जा सकता था, लेकिन "संतोषजनक और सटीक डाटा" की कमी के कारण उन्हें शामिल करना संभव नहीं था.
मध्य पूर्व भी क्लब में शामिल
पहली बार एक मध्य पूर्वी हथियार कंपनी भी शीर्ष 25 कंपनियों में जगह बनाने में कामयाब रही है. संयुक्त अरब अमीरात की कंपनी ऐज सूची में 22वें स्थान पर है. शीर्ष 25 हथियार कंपनियों की कुल हथियारों की बिक्री में इसका हिस्सा 1.3 प्रतिशत है. भारत को राफाल लड़ाकू विमान बेचने वाली फ्रांस की कंपनी दासों एविएशन ग्रुप ने पहली बार शीर्ष 25 हथियार कंपनियों की सूची में जगह बनाई है. दासों की वार्षिक हथियारों की बिक्री भी 105 प्रतिशत बढ़ी है. सिपरी के मुताबिक दासों की रैंकिंग में सुधार इसके राफेल लड़ाकू जेट के निर्यात में वृद्धि के कारण है.
एए/सीके (डीपीए, रॉयटर्स)