पेलोसी के बाद अब पांच अमेरिकी सांसद ताइवान पहुंचे
१५ अगस्त २०२२यूएस हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी के ताइवान दौरे को अभी दो हफ्ते भी नहीं गुजरे कि पांच सांसदों वाला अमेरिकी प्रतिनिधि मंडल ताइपे पहुंच गया. 15 अगस्त को ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ने अमेरिकी प्रतिनिधि मंडल से मुलाकात की. इस दौरान अमेरिकी सांसदों ने ताइवान सरकार को पूरा समर्थन देने का वादा दिया. चीन "वन चाइना पॉलिसी" के तहत ताइवान को संप्रभु देश मानने के बजाए अपना हिस्सा कहता है.
प्रतिनिधि मंडल में अमेरिका की दोनों बड़ी राजनीतिक पार्टियों, डेमोक्रैट्स और रिपब्लिकन के नेता शामिल हैं. इसकी अगुवाई मैसाच्युसेट्स के डेमोक्रैट सांसद ईड मार्की कर रहे हैं. अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल ताइवान के सरकारी और निजी क्षेत्र के अहम लोगों से मुलाकात करेगा. माना जा रहा है कि इस दौरान ताइवान की खाड़ी में बढ़ते तनाव को कम करने, निवेश बढ़ाने और सेमीकंडक्टर्स की ग्लोबल सप्लाई को सुनिश्चित करने पर बातचीत होगी.
अमेरिकी सांसदों के इस दौरे से नाराज चीन ने ताइवान के चारों तरफ फिर से सैन्य अभ्यास शुरू कर दिया है. इससे पहले नैंसी पेलोसी के ताइवान दौरे के कारण चीन ने अब तक सबसे बड़ा सैन्य अभ्यास किया था. पहले सैन्य अभ्यास के दौरान ताइवान को चारों तरफ से घेरकर मिलिट्री ड्रिल की गई थी.
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अमेरिकी सांसदों के दौरे की अहमियत
नैंसी पेलोसी के दौरे से भड़के चीन ने सैन्य अभ्यास के दौरान लाइव मिसाइलें दागीं. उसके कई लड़ाकू विमान ताइवान के एयरस्पेस में भी दाखिल हुए. बीजिंग ने युद्धपोतों का भी इस्तेमाल किया. इसके बावजूद पांच अमेरिकी सांसदों को यह दो दिवसीय दौरा बड़ा अहम माना जा रहा है. ताइवान और अमेरिका दोनों ने इस दौरे का पहले एलान नहीं किया था. खास बात यह भी है कि अमेरिकी प्रतिनिधि विशेष सरकारी विमान से ताइवान पहुंचे हैं.
ताइवानी राष्ट्रपति त्साई के कार्यालय ने एक बयान जारी करते हुए कहा है, "खासतौर पर एक ऐसे समय में जब चीन सैन्य अभ्यास के जरिए लगातार ताइवान की खाड़ी और इस इलाके में तनाव बढ़ा रहा है, मार्की की अगुवाई में प्रतिनिधि मंडल का ताइवान दौरा ताइवान के प्रति अमेरिकी संसद के दृढ़ समर्थन को दर्शाता है."
चीन, अमेरिकी नेताओं के ताइवान दौरे को अलग ताइवान राष्ट्र के समर्थन की तरह देखता है. उसे अमेरिकी नेताओं के ताइवान दौरे में एक साजिश नजर आती है.
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पश्चिमी नेताओं के बढ़ते ताइवान दौरे
ताइपे पहुंचे प्रतिनिधियों में रिपब्लिकन पार्टी की अमाता कोलमैन, अमेरिकी समोआ के एक प्रतिनिधि और कैलिफोर्निया व वर्जीनिया के सांसद शामिल हैं. अमेरिकी नेता बीच बीच में ताइवान जाते रहे हैं. लेकिन डॉनल्ड ट्रंप और जो बाइडेन के कार्यकाल में इन दौरों की संख्या काफी बढ़ चुकी है.
हाल के कुछ बरसों में यूरोप और पश्चिमी देशों के अन्य साझेदार देशों के नेता भी ताइवान के काफी चक्कर लगाने लगे हैं. शी जिनपिंग के कार्यकाल में चीन एक आक्रामक रुख अपना रहा है. इन दौरों को शी की इस नीति का जवाब माना जा रहा है. 2013 में शी के राष्ट्रपति बनने के बाद से चीन और उसके कई पड़ोसी देशों के संबंध खराब हुए हैं. पश्चिमी देश चीन पर सेना और कर्ज के सहारे विस्तारवादी नीतियां अपनाने के आरोप लगा रहे हैं.
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चीन की कड़ी प्रतिक्रिया
अमेरिकी सांसदों के इस दौरे पर चीन की सेना ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. उसने ताइवान को घेरकर फिर से नया सैन्य अभ्यास शुरू कर कर दिया है. चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के मुताबिक ताइवान और अमेरिका, राजनीतिक चालबाजी करते हुए ताइवान की खाड़ी और उसके आस पास के इलाके की स्थिरता कमजोर कर रहे हैं.
चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी शिन्हुआ ने अमेरिकी सांसदों को "मौकापरस्त" कहते हुए एक संपादकीय छापा है. एडिटोरियल में कहा गया है, "ताइवान के सवाल पर आग से खेल रहे अमेरिकी नेताओं को अपना तमन्ना त्याग देनी चाहिए." संपादकीय में आगे कहा गया, "जब बात चीन की बुनियादी हितों पर आती है तो समझौते या रियायत के लिए कोई जगह नहीं बचती है."
वॉशिंगटन स्थित चीनी दूतावास ने भी अमेरिका से अपील की है कि वह "एक चीन नीति" का सम्मान करे.
ओएसजे/एनआर (एएफपी, डीपीए, एपी)